सरसों की अगेती खेती: बढ़िया उत्पादन के लिए अपने क्षेत्र के हिसाब से विकसित किस्मों की ही करें बुवाई

Divendra Singh | Aug 31, 2021, 07:41 IST
सितम्बर से सरसों की अगेती किस्मों की बुवाई शुरू हो जाती है, सरसों की खेती में बीज, खेती की तैयारी से लेकर बुवाई के सही तरीके को अपनाकर किसान अच्छा उत्पादन पा सकते हैं।
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अगर आप भी सरसों की खेती करना चाह रहे हैं तो यह अगेती किस्मों की खेती करने का बिल्कुल सही समय है। लेकिन अगेती सरसों की खेती करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि बढ़िया उत्पाद मिले।

सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर, राजस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार शर्मा बताते हैं, "सरसों की खेती करते समय यह ध्यान देना चाहिए कि आप सरसों की बुवाई कब और कहां कर रहे हैं। क्योंकि हर सीजन और सिंचित व असिंचित क्षेत्रों के लिए अलग तरह किस्में विकसित की गई हैं। इसलिए हमेशा सही बीजों का ही चयन करें।"

बहुत से किसान खरीफ में खेत खाली रखते हैं, ताकि फरवरी-मार्च में गन्ना या फिर सब्जियों की खेती कर सकें। ऐसे किसान इस समय सरसों की अगेती किस्मों की बुवाई कर सकते हैं।

सरसों उत्पादन में भारत, चीन और कनाडा के बाद तीसरे नंबर पर है। भारत में सरसों के कुल उत्पादन का 87.5% उत्पादन राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में होता है।

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सरसों की अगेती और कम समय में तैयार होने वाली किस्में

पूसा अग्रणी: सरसों की यह किस्म 110 से 115 दिन में तैयार हो जाती है और इसमें प्रति हेक्टेयर 1500-1800 किग्रा सरसों का उत्पादन होता है। यह किस्म दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे क्षेत्रों के लिए विकसित की है, इसमें तेल का प्रतिशत 40% होता है।

पूसा सरसों 27: यह किस्म 115-120 दिनों में तैयार होती है और उत्पादन प्रति हेक्टेयर 1400 से 1700 किग्रा मिलता है। यह किस्म उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान जैसे राज्यों के लिए उपयुक्त होती है। इसमें तेल का प्रतिशत 42% होता है।

पूसा सरसों 28: सरसों की यह किस्म 105-110 दिनों में हो जाती है और प्रति हेक्टेयर उत्पादन 1750-1990 किग्रा मिलता है। यह किस्म हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों के लिए विकसित की गई है। इसमें तेल प्रतिशत 41.5 % मिलता है।

पूसा सरसों 25: यह किस्म 105 से 110 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर उत्पादन 1400-1500 किग्रा होता है। यह उत्तर पश्चिमी राज्यों के लिए उपयुक्त किस्म है और तेल 39.6% मिलता है।

पूसा तारक: सरसों की यह किस्म 118-123 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 1500 से 2000 किग्रा उत्पादन होता है। यह किस्म उत्तरी पश्चिमी राज्यों के लिए उपयुक्त किस्म है। इसमें तेल 40% मिलता है।

पूसा महक: सरसों की यह किस्म लगभग 115-120 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 1750 किग्रा मिलता है। यह किस्म उत्तरी पूर्वी और पूर्वी राज्यों के लिए विकसित की है, इसमें तेल 40% मिलता है।

बुवाई का सही समय

सरसों की अगेती किस्मों की बुवाई सितम्बर से अक्टूबर महीने में कर लेनी चाहिए।

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बीजोपचार करके बचा सकते हैं बीमारियां

सरसों में सफेद रतुआ के बचाव के लिए मेटालैक्सिल 6 ग्राम प्रति किग्रा बीज दर से या फिर बाविस्टीन 2 ग्राम / किग्रा बीज दर से उपचारित करें।

बुवाई का तरीका

एक एकड़ खेत में एक किग्रा बीज का इस्तेमाल करना चाहिए, बुवाई करते100 किग्रा सिंगल सुपरफॉस्फेट, 35 किग्रा यूरिया और 25 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश का इस्तेमाल करें। बुवाई के 20-25 दिन बाद खेत की निराई-गुड़ाई करें। खेत में पौधों के बीच लाइन से लाइन की दूरी 45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी रखें।

खरपतवार नियंत्रण

सरसों में खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई से पहले 2.2 लीटर/ हेक्टेयर फ्लूक्लोरोलिन का 600-800 पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। अगर बुवाई से पहले खरपतवार नियंत्रण नहीं किया गया है तो 3.3 लीटर पेंडीमिथालिन (30 ई सी ) को 600-800 पानी में घोलकर बुवाई के 1-2 दिन बाद छिड़काव करें।

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