छुट्टा जानवरों से परेशान हैं तो अपनाएं ये तकनीक, मामूली खर्च में मिलेगी जीवनभर के लिए सुविधा

छुट्टा जानवरों से निजात पाने के लिए किसान इस तकनीक को अपना सकते हैं। अगर किसान के पास बांस है तो लागत कम आयेगी। इससे जानवर न तो घायल होते हैं और न ही मरते हैं सिर्फ तारों में आये करेंट के झटकों से डर जाते हैं।

Neetu SinghNeetu Singh   27 Oct 2018 1:11 PM GMT

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लखनऊ। छुट्टा जानवरों से परेशान किसानों के लिए कृषि कुम्भ मेले में एक ऐसी तकनीक आयी है जिससे किसान अपनी फसल को बचा सकते हैं। मामूली लागत पर अगर किसान इसे एक बार अपनी फसल में लगा देता है तो उसे हमेशा के लिए छुट्टा जानवरों से मुक्ति मिल जाएगी।

कृषि कुम्भ मेले में आए भदोही के एक किसान राम इकबाल तिवारी ने अपने 10 हेक्टेयर खेत में 'फसल सुरक्षा कवच' (जानवरों को बचाने की आधुनिक तकनीक) तीन साल पहले लगाया था। उन्होंने बताया, "इन तारों से जानवर मरते नहीं हैं डर जाते हैं। छुट्टा जानवरों से हमे ऐसी मुक्ति मिली कि पिछले साल उत्तर प्रदेश में सरसों में सबसे अच्छी पैदावार करने वाले किसानों में हमारी गिनती हुई।" राम इकबाल ने तीन साल पहले अपने दस हेक्टेयर खेत में डेढ़ लाख रुपए खर्च करके इन प्लेन तारों को लगाया था।

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'फसल सुरक्षा कवच' लगाने के लिए किसान के पास अगर बांस है तो लागत कम आयेगी। इसमें टाटा जी.आई. तार (प्लेन लोहे का तार) एक बांस के सहारे खेत के चारो तरफ लगा देंगे। इसमें सोलर या बैटरी से करेंट इन तारों में पहुंचाएंगे जिससे जब जानवर इन तारों के पास पहुंचेगा तो उसे हल्का सा झटका लगेगा जिससे जानवर डरकर फसल को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।

मेले में इस यंत्र की प्रदर्शनी लगाये किसान त्रिलोकीनाथ दिवेदी ने कुछ प्लेन तार और सोलर पैनल की तरफ इशारा करते हुए बताया, "इसे 'फसल सुरक्षा कवच' कहते हैं। ये सोलर, बिजली, लाईट किसी से भी चल सकता है। इससे जानवर मरते नहीं है। अगर जानवर इन तारों के पास में जाएगा तो उसे हल्का से झटका लगेगा जिससे वो डरकर दोबारा फसल के पास नहीं जाता।" तीन साल पहले अपने खेत में लगे फसल सुरक्षा कवच का अनुभव साझा करते हुए कहा, "मैंने भी इन तारों को अपने खेत में तीन साल पहले लगाया था। हमारी फसल का बिलकुल नुकसान नहीं हुआ। इसे लगाने में किसान का ज्यादा खर्चा नहीं आता है। पांच एकड़ में 40,000 रुपए की लागत आती है। बांस और बल्ली का इंतजाम किसान को करना पड़ता है।"

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मिर्जापुर जिले के पहाड़ी ब्लॉक के बरकछा गाँव के रहने वाले त्रिलोकीनाथ दिवेदी जब दक्षिण भारत किसान यात्रा पर गये थे तब उन्होंने वहां के आठ राज्यों में ज्यादातर किसानों के खेतों में इन तारों को लगे हुए देखा।

उन्होंने बताया, "मुझे वहां जानकारी हुई कि यहाँ के लगभग पांच करोड़ किसान इस सुरक्षा कवच का उपयोग कर रहे हैं। इन आठ राज्यों में इसपर 50-90 प्रतिशत तक किसानों को सब्सिडी भी मिल रही है। इसलिए इसे लगाने के लिए किसानों की संख्या वहां ज्यादा है। अगर उत्तर प्रदेश सरकार भी इसपर सब्सिडी दे तो यहाँ भी ज्यादा से ज्यादा किसान इसे लगा सकते हैं।"

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लखनऊ के तेलीबाग में स्थित भारतीय गन्ना शोध संस्था (आईआईएसआर) में 26 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगने वाले कृषि कुंभ में 200 से ज्यादा कम्पनियां शामिल हुई हैं। जिसमें कुछ महंगे तो कुछ सस्ते कृषि यंत्र उपलभ्ध हैं। इस मेले में केंद्र एवं राज्य सरकार से जुड़े कृषि और पशुपालन से जुड़े कई विभाग भी शामिल हुए हैं।

देश के ज्यादातर किसानों की फसल छुट्टा जानवरों की वजह से बर्वाद हो रही है। अगर किसान अपनी फसल में कटीले तार लगाते हैं तो जानवर बुरी तरह से जख्मी हो जाता है। इन नुकीले तारों पर सुप्रीम कोर्ट ने अब वैन भी लगा दिया है।

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