धान की खेती: बढ़िया उत्पादन के लिए नर्सरी तैयार करते समय रखें इन बातों का ध्यान

धान की खेती करने वाले किसानों के लिए बेहद अहम जानकारी, अच्छे उत्पादन के लिए करें नर्सरी की ऐसे तैयारी

Sumit YadavSumit Yadav   13 May 2021 7:20 AM GMT

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धान की खेती: बढ़िया उत्पादन के लिए नर्सरी तैयार करते समय रखें इन बातों का ध्यान

नर्सरी तैयार करते समय कुछ बातों का ध्यान रखकर किसान नुकसान से बच सकते हैं। सभी फोटो: गाँव कनेक्शन

मई महीने से धान की खेती तैयारी शुरू हो जाती है, ऐसे में सबसे जरूरी होता है कि आप धान की नर्सरी कैसे तैयार करते हैं। क्योंकि नर्सरी के समय ही ध्यान देकर कई तरह के रोग और कीटों से होने वाले नुकसान से बच सकते हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र, धौरा, उन्नाव वैज्ञानिक डॉ. रत्ना सहाय बता रही हैं कि धान की नर्सरी तैयार करते समय किसानों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

धान की अच्छी पैदावार के लिए दोमट व जीवांश युक्त भूमि पर नर्सरी डालनी चाहिए। धान की नर्सरी बेड पर पानी का जल भराव ना हो यह भी ध्यान में रखना चाहिए इसके लिए अच्छी जल निकास वाली भूमि का चुनाव करना चाहिए। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की खेती के लिए 800-1000 वर्ग मी स्थान धान की नर्सरी के लिए पर्याप्त होता है।

खेत की तैयारी

मई माह में जिस खेत में धान की नर्सरी डालनी हो उस खेत पर गोबर की खाद बिछा दें। खेत की 2 से 3 बार जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरी करें और अंतिम जुताई से पहले 10 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद मिलाएं।

खेत को समतल कर के करीब 1 से डेढ़ मीटर चौड़ी, 10 से 15 सेंटीमीटर ऊंची व जरूरत के मुताबिक लंबी क्यारियां बनाएं। 1 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए 1000 वर्गमीटर की नर्सरी पर्याप्त होती है।

हर जुताई के बाद पाटा लगा दें। ताकि ढेले टूट जाएँ और मिट्टी भुरभुरी व समतल हो जाए। जुताई के पहले नाइट्रोजन की आधी मात्रा व फ़ोस्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा भूमि के अवश्य डाल दें।

नर्सरी के लिए बेड तैयार करना

नर्सरी के लिए 1.0 से 1.5 मीटर चौड़ी व 4 से 5 मीटर लंबी क्यारियां बनाना सही रहता है। क्यारियों के चारों तरफ पानी निकलने के लिए नालियां जरूर बनाएं।

नर्सरी डालने का समय

नर्सरी के लिए मध्यम व देर से पकने वाली किस्मों की बुवाई मई के अंतिम सप्ताह से जून के दूसरे सप्ताह तक करें।


बीज की मात्रा

धान की नर्सरी के लिए महीन धान 30-35 किलोग्राम व मोटे धान की 40 किलोग्राम बीज की मात्रा पर्याप्त होता है।

बुवाई के पहले खोखले व थोथे बीजों को निकालने के लिए, बीजों को 2 फीसदी नमक के घोल में डाल कर अच्छी तरह से हिलाएं जिससे खोखले व थोथे बीज ऊपर तैरने लगेंगे। बीजों को छानकर अलग कर दें।

नर्सरी में अधिक बीज डालने से पौधे कमजोर रहते हैं और उनके सड़ने का भी डर रहता है । अतः अत्यधिक बीज सघनता न होने पाए ऐसा ध्यान रखना चाहिए।

बीज उपचार भी जरूरी

बीज जनित रोगों से बचाव के बीजों का उपचार करना बेहद ज़रूरी होता है। बीज उपचार के लिए किसी भी फफूँदीनाशक जैसे केप्टान, थाइरम, मेंकोजेब, कार्बंडाजिम व टाइनोक्लोजोल में से किसी एक दवा को 20 से 30 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित कर लें।

पौधों को अंगमारी रोग से बचाने के लिए 1.5 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन को 45 लीटर पानी के घोल में बीजों को 12 घंटे भिगो दें, इसके बाद सुखा कर बुवाई करें।

बीज की अंकुरण क्षमता को बढ़ाने और पौधों की बढ़वार तेज करने के लिए 400 मिलीलीटर सोडियम हाइपोक्लोराइड व 40 लीटर पानी के घोल में 30 से 35 किलोग्राम बीजों को भिगो कर व सुखा कर बुवाई करें।

धान की नर्सरी डालने का सही तरीका

बीज को 24 घण्टे पानी में भिगोकर 36-48 घण्टे तक ढेर बनाकर रखना चाहिए, जिससे बीज में अंकुरण प्रारम्भ हो जाए। इस अंकुरित बीज को खेत में लेव लगाकर दो सेमी खड़े पानी में छिड़काव विधि से बोया जाना चाहिए।

धान की नर्सरी में 100 किग्रा नत्रजन और 50 किग्रा० फास्फोरस प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग करें। ट्राइकोडर्मा का एक छिड़काव नर्सरी लगने के 10 दिन के अन्दर कर देना चाहिए।

बुवाई के 10-14 दिन बाद एक सुरक्षात्मक छिड़काव रोगों और कीटों के बचाव के लिएख् खैरा रोग के लिए एक सुरक्षात्मक छिड़काव 5 किग्रा० जिंक सल्फेट का 20 किलो यूरिया या 2.5 किग्रा बुझे हुए चूने के साथ 1000 लीटर पानी के साथ प्रति हेक्टेयर की दर से पहला छिड़काव बुवाई के 10 दिन बाद और दूसरा 20 दिन बाद करना चाहिए।

सफेदा रोग के नियंत्रण हेतु 4 किलो फेरस सल्फेट का 20 किलो यूरिया के घोल के साथ मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। झोंका रोग की रोकथाम के लिए 500 ग्राम कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लूपी का प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें औश्र भूरा धब्बे के रोग से बचने के लिए 2 किलोग्राम मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। नर्सरी में लगने वाले कीटों से बचाव के लिए 1.25 लीटर क्लोरोपाइरोफास 20 ईसी प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें।

नर्सरी में पानी का तापक्रम बढ़ने पर उसे निकाल कर पुनः पानी देना सुनिश्चित करें। नर्सरी में खरपतवार दिखाई दें तो उन्हें निकाल कर नष्ट कर दें। इस के बाद नाइट्रोजन का इस्तेमाल करें।

बुवाई के 15 से 20 दिन में नर्सरी रोपाई के लिए तैयार हो जाती है। जिसे खुरपी की सहायता से खुदाई कर खेत में रोप दें। रोपाई के समय पौध निकाल कर पौधों की जड़ों को पानी में डुबोकर रखें। पौध को क्यारियों से निकालने के दिन ही रोपाई करना सही होता है।

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