ये तरीके अपनाकर गाजर घास से पाया जा सकता है छुटकारा

गाजर घास फसलों के अलावा मनुष्यों और पशुओं के लिए भी गम्भीर समस्या है। इस खरपतवार के सम्पर्क में आने से एग्जिमा, एलर्जी, बुखार, दमा व नजला जैसी घातक बीमारियां हो जाती हैं।

Divendra SinghDivendra Singh   21 Aug 2018 10:25 AM GMT

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ये तरीके अपनाकर गाजर घास से पाया जा सकता है छुटकारा

लखनऊ। खेतों के आस-पास साधारण सी दिखने वाली गाजर इंसानों के साथ ही फसलों को भी नुकसान पहुंचाती है, इसकी वजह से फसलों की पैदावार 30-40 प्रतिशत तक कम हो जाती है। इसलिए कुछ उपाय अपनाकर इससे छुटकारा पाया जा सकता है। १६ अगस्त से लेकर २१ अगस्त तक गाजर घास के बारे में जागरूक करने के लिए गाजर घास जागरूकता अभियान चलाया जाता है।


कृषि विज्ञान केंद्र, कटिया, सीतापुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आनंद सिंह बताते हैं, "गाजर घास या 'चटक चांदनी' एक घास है, जो बड़े आक्रामक तरीके से फैलती है। यह एकवर्षीय शाकीय पौधा है जो हर तरह के वातावरण में तेजी से उगकर फसलों के साथ-साथ मनुष्य और पशुओं के लिए भी गंभीर समस्या बन जाता है। इस विनाशकारी खरपतवार को समय रहते नियंत्रण में किया जाना चाहिए। इसकी पत्तियां असामान्य रूप से गाजर की पत्ती की तरह होती हैं।"

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पशुओं के लिए भी खतरनाक है ये घास

देश में 1955 में सबसे पहले इसे देखा गया था। गाजर घास 350 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैल गया गाजर घास फसलों के अलावा मनुष्यों और पशुओं के लिए भी गम्भीर समस्या है। इस खरपतवार के सम्पर्क में आने से एग्जिमा, एलर्जी, बुखार, दमा व नजला जैसी घातक बीमारियां हो जाती हैं। इसे खाने से पशुओं में कई रोग हो जाते हैं। पशुओं में होने नुकसान के बारे में पशु विशेषज्ञ डॉ. आनंद सिंह बताते हैं, "इसके लगातार संर्पक में आने से मनुष्यों एवं पशुओं में डरमेटाइटिस, एक्जिमा, एर्लजी, बुखार, दमा आदि की बीमारियां हो जाती हैं। पशुओं के लिए भी यह खतरनाक है। दुधारू पशुओं के दूध में कड़वाहट आने लगती है। पशुओं द्वारा अधिक मात्रा में इसे चर लेने से उनकी मृत्यु भी हो सकती है।"

"प्रत्येक पौधा एक हजार से पचास हजार तक अत्यंत सूक्ष्म बीजपैदा करता है, जो जमीन पर गिरने के बाद प्रकाश और अंधकार में नमी पाकर अंकुरित हो जाते हैं। यह पौधा ती-चार माह में ही अपना जीवन चक्र पूरा कर लेता है और साल भर उगता और फलता फूलता है। यह हर प्रकार के वातावरण में तेजी से वृद्धि करता है। इसका प्रकोप खाद्यान्न, फसलों जैसे धान, ज्वार, मक्का, सोयाबीन, मटर तिल, अरंडी, गन्ना, बाजरा, मूंगफली, सब्जियों एवं उद्यान फसलों में भी देखा गया है। इसके बीज अत्यधिक सूक्ष्म होते हैं, "केंद्र के गृह वैज्ञानिका डॉ. सौरभ बताती हैं।


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बना सकते हैं कीटनाशक, खरपतवार जैसे कई उत्पाद

पादप रक्षा वैज्ञानिक डॉ. दया शंकर श्रीवास्तव इससे छुटकारा पाने के उपाय के बारे में बताते हैं, "गाजर घास का उपयोग अनेक प्रकार के कीटनाशक, जीवाणुनाशक और खरपतवार नाशक दवाइयों के निर्माण में किया सकता है। इसकी लुग्दी से विभिन्न प्रकार के कागज तैयार किये जा सकते हैं। बायोगैस उत्पादन में भी इसको गोबर के साथ मिलाया जा सकता है। इससे खाद्यान्न फसल की पैदावार में लगभग 35-40 प्रतिशत तक की कमी आंकी गई है। इस पौधे में पाये जाने वाले एक विषाक्त पर्दाथ के कारण फसलों के अंकुरण और वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं।"

ऐसे पा सकते हैं इससे छुटकारा

इसके रोकथाम के लिए वैज्ञानिक, यांत्रिक, रासायनिक व जैविक विधियों का उपयोग किया जाता है। गैरकृषि क्षेत्रों में इसके नियंत्रण के लिए शाकनाशी रसायन एट्राजिन का प्रयोग फूल आने से पहले व 1.5॰ किग्रा. सक्रिय तत्व प्रति हैक्टेयर पर उपयोग किया जाना चाहिए। ग्लायफोसेट 2 किग्रा सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर और मैट्रीब्यूजिन 2 किग्रा. तत्व प्रति हेक्टेयर का प्रयोग फूल आने से पहले किया जाना चाहिए। मक्का, ज्वार, बाजरा की फसलों से एट्रीजिन 1 से 1.5॰ किग्रा. सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर बुवाई के तुरंत बाद (अंकुरण से पहले) प्रयोग किया जाना चाहिए।

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