आम लोगों के लिए राहतभरी खबर, दालों की कीमत कम करने के लिए राज्यों को तय कीमत पर दाल देगी केंद्र सरकार

Mithilesh Dhar | Oct 11, 2020, 03:13 IST
कोरोना के कारण दालों की कीमतों में पिछले एक-दो महीनों के दौरान काफी तेजी आयी है। ऐसे में केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि वह दालों की कीमत को कम करने के लिए एक तय कीमत पर प्रदेशों को दाल मुहैया करायेगी।
Ram Vilas Paswan
आम लोगों के लिए थोड़ी राहतभरी खबर है। केंद्र सरकार ने दाल की बढ़ी हुई कीमतों को कम करने के लिए केंद्र शासित राज्यों सहित सभी राज्यों को तय कीमत पर दाल मुहैय्या कराने का फैसला लिया है। कोरोना महामारी के कारण दालों की आपूर्ति बाधित हुई है जिस कारण कई शहरों में दालों की कीमत काफी बढ़ गयी है खासकर अरहर (तुअर) की दाल। ऐसे में आम लोगों को आने वाले दिनों में थोड़ी राहत मिल सकती है।

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट करके जानकारी दी कि केंद्र सरकार खरीफ-18 कीस्म वाली धुली उड़द दाल की कीमत 79 रुपए प्रति किलोग्राम में और खरीफ-19 किस्म की धुली उड़द दाल 81 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से केंद्र शासित राज्यों सहित अन्य राज्यों को उपलब्ध करायेगी। वहीं तुअर यानी अरहर की दाल 85 रुपए प्रति किलोग्राम में मिलेगी। अरहर दाल की कीमत पिछले दो-तीन महीने पहले 85 से 95 रुपए तक थी लेकिन अब ये बढ़कर 110 से 135 रुपए किलो तक पहुंच गयी है। मूंग और मसूर की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है।

केंद्र सरकार ने कहा है कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को यह प्रस्ताव दिया गया है कि वे जरूरत के हिसाब से 500 ग्राम या एक किलो के खुदरा पैकेट में दाल वितरित करें।

पीयूष गोयल ने अपने ट्वीट में कहा, "उपभोक्ताओं के हित को ध्यान में रखते हुए तुअर और उड़द की खुदरा कीमतों में वृद्धि को कम करने और दालों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए यह फैसला लिया गया।''

भारत इस समय दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक, उपभोक्ता और आयातक तीनों है। बावजूद इसके देश में दाल की भारी कमी है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल 17 मिलियन टन दाल पैदा होती है जो खपत से लगभग पांच लाख टन कम है। ऐसे में आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने शोध के बाद 12 ऐसे सुझाव दिए हैं जिससे दाल की पैदावार से साथ-साथ किसानों का मुनाफा भी बढ़ सकता है।

दुनियाभर में दालों की जितनी पैदावार होती है, उसमें भारत का योगदान लगभग 25 फीसदी है जबकि खपत 28 फीसदी है। ऐसे में भारत को हर साल कनाडा, म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया और कुछ अफ्रीकन देशों से 2 से 6 मिलियन टन दाल आयात करना पड़ रहा है।

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