ऑयल पाम मिशन खाद्य तेलों में बनाएगा देश को आत्मनिर्भर : केंद्रीय कृषि मंत्री
राष्ट्रीय खाद्य तेल-ऑयल पाम मिशन व्यापार शिखर सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ ही अन्य प्रदेशों में भी ऑयल पाम का काफी उत्पादन किया जा सकता है, जिससे आयात पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
गाँव कनेक्शन 29 Dec 2021 11:00 AM GMT

खाद्य तेलों में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हैदराबाद में राष्ट्रीय खाद्य तेल-ऑयल पाम मिशन व्यापार शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। यह मिशन का ऐसा दूसरा शिखर सम्मेलन है; पहला 5 अक्टूबर 2021 को पूर्वोत्तर राज्यों के लिए गुवाहाटी में आयोजित किया गया था।
इस अवसर पर केन्द्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश के किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार चौतरफा प्रयास कर रही है। कृषि क्षेत्र की मजबूती सरकार का प्रमुख ध्येय है, जिससे दुनिया में भारत की ताकत व मजबूती और बढ़ेगी। ऑयल पाम मिशन खाद्य तेलों की आयात निर्भरता कम करेगा व खाद्य तेलों में देश को आत्मनिर्भर बनाएगा,जिसके लिए केंद्र सरकार हर कदम पर राज्यों के साथ खड़ी है।
ऑयल पाम के लिए आयात निर्भरता को कम करने के लिए प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने एक महत्वाकांक्षी ऑयल पाम मिशन को मंजूरी दी है, जिस पर 11,040 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
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मिशन हेतु 8,844 करोड़ रु केंद्र व 2,196 करोड़ रु राज्य का हिस्सा होगा।#EdibleOil pic.twitter.com/UaiMoUjgJ9
केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान है, यही भारत की सबसे बड़ी ताकत है। इसके रहते विदेशी आक्रांता भी भारत की एकता को नहीं तोड़ पाए और कृषि व गांवों की अर्थव्यवस्था ने देश को कभी कमजोर नहीं होने दिया। कोविड में देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था थम गई थी लेकिन कृषि का पहिया चलता रहा, किसान परिश्रम करते रहे, सरकार भी मदद करती रही। महामारी के दौर में भी किसानों ने बंपर पैदावार की, सरकार ने भी बंपर खरीदी की और कृषि ने एक बार फिर अपनी प्रासंगिकता सिद्ध की है। कृषि हमारे देश की अर्थव्यवस्था में मेरूदंड के समान है, इसे हम जितना बढ़ाएंगे, उतनी ही मजबूती के साथ विश्व में भारत और ताकत से मजबूत होकर कामयाबी हासिल करता रहेगा।
केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा कि पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ ही अन्य प्रदेशों में भी ऑयल पाम का काफी उत्पादन किया जा सकता है, जिससे आयात पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण ने राष्ट्रीय खाद्य तेल – ऑयल पाम मिशन के प्रथम शिखर सम्मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन गत 5 अक्टूबर को गुवाहाटी में किया। कुछ एमओयू भी साइन हुए, जिससे पूर्वोत्तर में इकाइयां खुलने से वहां की तस्वीर व तकदीर बदलेगी। केंद्र, राज्यों को कोई कमी नहीं आने देगा, कंधे से कंधा और कदम से कदम मिलाकर केंद्र सरकार राज्यों के साथ चलती रहेगी।
यह योजना देश में ऑयल पाम के बागान के तहत अतिरिक्त साढ़े छह लाख हेक्टेयर लाएगी। परिणामस्वरूप ऑयल पाम का क्षेत्रफल बढ़कर वर्ष 2025-26 तक 10 लाख हेक्टेयर व 2029-30 तक 16.71 लाख हेक्टेयर हो जाएगा। क्रूड पाम ऑयल उत्पादन 2025-26 में 11.20 लाख टन व 2029-30 में 28.11 लाख टन तक बढ़ने की उम्मीद है।
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हैदराबाद में दूसरा व्यापार शिखर सम्मेलन शेष भारत के उन राज्यों को कवर करेगा, जिनके पास ऑयल पाम की खेती के लिए महत्वपूर्ण संभावित क्षेत्र हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, ओडिशा, गोवा, गुजरात व छत्तीसगढ़ के लिए सवा तीन लाख हेक्टेयर ऑयल पाम पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि आयात पर निर्भरता कम करने के लिए मोदी जी की सरकार खाद्य तेलों के उत्पादन पर बहुत जोर दे रही है। किसानों की मेहनत, वैज्ञानिकों की कुशलता व सरकार की नीतियों से हर काम सफल होता है। केंद्र के प्रयासों व राज्य सरकारों के सहयोग से खेती के प्रति रूझान बढ़ रहा है। किसान रेल जैसी योजनाओं से किसानों को लाभ मिल रहा है।
भारत सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से ऑयल पाम के क्षेत्र और उत्पादन को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इन विकासात्मक प्रयासों के परिणामस्वरूप, 1991-92 में ऑयल पाम का क्षेत्रफल 8,585 हेक्टेयर था, जो 2020-21 में बढ़कर 3.70 लाख हेक्टेयर हो गया है...#EdibleOil pic.twitter.com/2J968mhN2f
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मिशन के नए प्रावधानों को शामिल करते हुए 11 राज्यों की संशोधित वार्षिक कार्य योजनाओं को अंतिम रूप दिया है और फसल विविधीकरण कार्यक्रम के उप-विषय के रूप में अरुणाचल प्रदेश में ऑयल पाम पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया है। 106.90 करोड़ रुपये मूल्य के 11 राज्यों के एएपी को 6563 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तार के लिए मंजूरी दी गई थी, जिसमें मौजूदा और नए ताड़ के बागों के 25197 हेक्टेयर में 3058 हेक्टेयर रखरखाव और इंटरक्रॉपिंग तथा 1569 हेक्टेयर ताड़ के बागों में ड्रिप सिंचाई सुविधा शामिल है।
मिशन की सब्सिडी से पूर्वोत्तर राज्यों में 4 प्रसंस्करण मिलें स्थापित की जाएंगी। इसके अलावा, अंकुरित बीज और पौध की उपलब्धता बढ़ाने के लिए 3 बीज उद्यान तथा 39 नर्सरी बनाई जाएंगी। गुणवत्तापूर्ण जैविक खाद के उत्पादन के लिए वर्मीकम्पोस्ट शेड (360) और उद्यान उपकरण किराए पर लेने के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर (18) को भी वर्तमान वर्ष में चालू किया जाएगा। इसके अलावा ताड़ की नर्सरी का निर्यात करने वाले देशों के भारतीय राजदूतों के साथ एक बैठक आयोजित की गई ताकि इसकी नर्सरी की बड़े पैमाने पर निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
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