आय बढ़ाने को महाराष्ट्र ने किसानों को मण्डियों से किया आज़ाद

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लखनऊ। अगर आप महाराष्ट्र में रहते हैं और तो आने वाले दिनों में आप को फल और सब्जियां काफी कम कीमत में मिल सकती हैं। महाराष्ट्र सरकार ने एक ऐसा फैसला किया है, जिससे उपभोक्ताओं की बचत तो होगी ही किसानों की आमदनी भी कई गुना बढ़ सकती है।

महाराष्ट्र सरकार ने अपने नियमों में बदलाव करके किसानों को यह छूट दे दी है कि वे अपनी फल और सब्जि़यां बिना मण्डी में लाने की बाध्यता के सीधे खरीददार को बेच सकते हैं। इस बदलाव के लिए महाराष्ट्र सरकार ने एग्रीकल्चार प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) एक्ट में बदलाव भी किए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य है कि किसान को किसी भी तरह की कमीशनबाज़ी से बचाया जा सके जिससे उसकी आय बढ़े।

एपीएमसी एक्ट लागू इसीलिए किया गया था ताकि किसान बिचौलियों के चक्कर में न पड़े और अपना उत्पाद मण्डियों में लाकर लाइसेंस प्राप्त आढ़तियों के ज़रिए बेचे। लेकिन सरकार के मुताबिक मण्डी व्यवस्था में किसान अतिरिक्त शोषण का शिकार होते हैं क्योंकि मण्डी में तमाम तरह के भाड़ों के साथ-साथ आढ़तिए एकाधिकार दिखाकर किसान के उत्पाद की बोली बहुत कम लगाते हैं। इन सबके अलावा किसान को अपना उत्पाद बेचने के लिए भी आढ़तियों को कमीशन देना पड़ता था।

उदाहरण के तौर पर जब कोई किसान अपनी प्याज़ की फसल लेकर मण्डी जाता है तो आढ़तिए उसका दाम 1.50 से दो रुपए प्रति किलो लगाकर खरीदते हैं। लेकिन यही प्याज़ जब एक उपभोक्ता को बेचा जाता है तो इसका दाम 15-17 रुपए हो जाता है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फण्डनवीस सरकार को यह उम्मीद है कि किसान और उपभोक्ता के बीच के इस अंतर को कम करने में नए बदलाव सफल साबित होंगे। सरकार के अनुसार किसान जब सीधे उपभोक्ता को अपने फल या सब्ज़ी बेचेगा तो उसे तो बेहतर दाम मिलेगा ही, उपभोक्ता को भी कम दाम पर उत्पाद मिल पाएगा। किसान की आय सुधरेगा और महंगाई पर भी लगाम लग पाएगी।

महाराष्ट्र सरकार द्वारा किए गए इन बदलावों का किसान हित में काम करने वाले देशभर के सभी तबकों में स्वागत किया गया। हालांकि सरकार को आढ़तियों के संघ के विरोध का सामना करना पड़ा। इस फैसले के विरोध में राज्य में कई बार मण्डियां भी बंद की गईं। लेकिन सरकार ने फिलहाल ये फैसला वापस लेने से इंकार कर दिया है।

मंडियों को 5000 करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका

विरोध का कारण यह है कि सरकार के इस फैसले से मण्डियों को अनुमानित 5,000 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। फिलहाल, महाराष्ट्र में 295 मण्डियों से 50,000 करोड़ रुपए का सालाना टर्नओवर आता है। महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले को केंद्र सरकार के महात्वाकांक्षी राष्ट्रीय कृषि बाजार (एनएएम) से भी जोड़कर देखा जा रहा है। एनएएम का उद्देश्य भी देश भर की सारी मण्डियों को आपस में जोड़कर उत्पाद के मूल्य संबंधी जानकारी ऑनलाइन करने का है। इससे किसान को अपने उत्पाद का जहां अच्छा मूल्य मिले, वहां बेचने के लिए स्वतंत्र होगा।

यूपी में नाबार्ड बनवा रहा है किसानों की कंपनियां

किसानों की आय बढ़ इसके लिए नाबार्ड के सहयोग से उत्तर प्रदेश में किसानों की खुद की कंपनियों बनवाई जा रही है। 100 किसान मिलकर 1000-1000 रुपये जोड़कर अपनी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाते हैं, पैसे लगाने वाले किसान ही अपनी कंपनी में मुख्य कार्यकारी अधिकारी और निदेशक बनते हैं। ये कंपनियां थोक भाव में किसानों के लिए उपयोगी खाद और बीज जैसी चीजें बड़ी कंपनियों से सीधे खरीद रही हैं तो अपने खेत के उत्पादों को बिगबाजार और स्पेंसर जैसे स्टोर को बेचने की तैयारी में है। इस पूरी कवायद का मकसद भी किसानों को ज्यादा मुनाफा दिलाना और बिचौलियों को खत्म करना है।

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