एपीडा की पहल से राजस्थान के कृषि उत्पादों के निर्यात को मिलेगा बढ़ावा

राजस्थान के कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एपीडा ने कार्यक्रम की शुरूआत की है, इससे राजस्थान में वाले जीरा, ईसबगोल, अनार, सौंफ, अरंडी, ग्वारगम, हिना, सरसों, अनार, खजूर जैसे फसलों की खेती करने वाले किसानों को फायदा होगा।

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एपीडा की पहल से राजस्थान के कृषि उत्पादों के निर्यात को मिलेगा बढ़ावा

एपीडा के अधिकारियों ने कृषि निर्यात पर विभिन्न सरकारी पहलों जैसे वित्तीय सहायता योजनाएं, कृषि निर्यात में जोखिम प्रबंधन, आरबीआई के दिशानिर्देश, कीटनाशक संबंधी मामले, कृषि आपूर्ति श्रृंखला में डिजिटल ट्रेसेबिलिटी आदि के बारे में भी बताया। (Photo: Petr Smelc/Flickr)

राजस्थान के कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एपीडा ने जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय राजस्थान के सहयोग से स्टार्टअप इको-सिस्टम के प्रोत्साहन पर जोर देते हुए एक कार्यक्रम का आयोजन किया।

स्टार्ट-अप्‍स के ओरिएंटेशन कार्यक्रम का उद्देश्य पश्चिमी राजस्थान के किसान, कृषि छात्रों में कृषि निर्यात के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। कार्यक्रम का जोर राजस्थान सरकार से कृषि निर्यात को एक व्यावसायिक अवसर के रूप में अपनाने का आग्रह करना था। जिससे आजीविका के साधन बढ़ेंगे और किसानों की आय भी बढ़ेगी।

28 जुलाई, 2021 को वर्चुअल माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में 430 से अधिक किसानों, छात्रों, व्यापारियों और अन्य संबंधित हितधारकों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान, एपीडा के अधिकारियों ने कृषि निर्यात के मुद्दों और निर्यात आधारित कृषि आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियों के बारे में बताया।

एपीडा के अधिकारियों ने कृषि निर्यात पर विभिन्न सरकारी पहलों जैसे वित्तीय सहायता योजनाएं, कृषि निर्यात में जोखिम प्रबंधन, आरबीआई के दिशानिर्देश, कीटनाशक संबंधी मामले, कृषि आपूर्ति श्रृंखला में डिजिटल ट्रेसेबिलिटी आदि के बारे में भी बताया।


कार्यक्रम के दौरान राजस्थान के कृषि विभाग, जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय और अन्य राज्य सरकार के अधिकारियों ने राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र से विशेष रूप से जौ, अरंडी, फलियां, सरसों, अनार, खजूर आदि फसलों की कृषि निर्यात क्षमता पर चर्चा की। साथ ही कैपेरिस डेसीडुआ इसे स्थानीय स्तर कैर कहा जाता है), एकेसिया सेनेगल , प्रोसोपिस सिनेरेरिया (खेजड़ी सांगरी) जैसी नकदी फसलों की निर्यात संभावनाओं पर भी चर्चा की गई।

इसके अलावा जीरा, ईसबगोल, अनार, सौंफ, अरंडी, ग्वारगम, हिना आदि की निर्यात संभावनाओं पर भी चर्चा की गई। कार्यक्रम में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए कृषि में ऑटोमेशन, मशीनीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया गया, जिससे कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाया जा सके। इस कार्यक्रम में राजस्थान कृषि विपणन बोर्ड (आरएसएएमबी) के अधिकारियों ने भी भाग लिया।

एपीडा संबंधित पक्षों के क्षमता निर्माण के लिए विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद पेशेवर और विशिष्ट विशेषज्ञता वाले कई संगठनों और संस्थानों के साथ तालमेल लाने के लिए सहयोगी दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दे रहा है। जिसके तहत कृषि के विकास और उसके उत्पादोंके निर्यात में वृद्धि के लिए जरूरी कदमों को अमल में लाने के समाधान प्रदान कर रहा है। जो कि 2018 में भारत सरकार द्वारा घोषित कृषि निर्यात नीति (एईपी) के तहत निर्धारित उद्देश्यों के अनुरूप हैं।

एईपीको अमल में लाने के लिए राज्य सरकारों के साथ एपीडा जुड़ा है। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, केरल, नागालैंड, तमिलनाडु, असम, पंजाब, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मणिपुर, सिक्किम, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश द्वारा निर्यात के लिए राज्य विशिष्ट कार्य योजना को अंतिम रूप दे दिया है। जबकि अन्य राज्यअपनी कार्य योजनाओं को अंतिम रूप देने के विभिन्न चरणों में हैं।

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