मधु संदेश परियोजना ने बारामती के किसानों का बदला जीवन
Sanjay Srivastava 11 Nov 2016 6:48 PM GMT

बारामती (भाषा)। बारामूला तालुका में किसानों को मधुमक्खी पित्ती की कमी पड़ रही है। क्षेत्र में मधमक्खी पालन व्यापकतौर पर होता है और इसका एक बड़ा उद्देश्य अनार और प्याज के परागण में सुधार के लिए किया जा रहा है। दुनिया में सबसे अधिक मधुमक्खियां भारत में पाई जाती हैं।
मधुमक्खी पालन सामान्यत: शहद के लिए किया जाता है पर यहां इस काम का एक उद्येश्य फसलों की परागण प्रक्रिया में सुधार है जिससे फसल की उपज बढ़ती है।
कीटनाशक कंपनियों के संघ क्रॉप लाईफ इंडिया, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और कृषि विकास ट्रस्ट के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), बारामती द्वारा नवंबर 2015 में प्रारंभ की गई प्रायोगिक परियोजना ‘मधु संदेश' ने यहां किसानों के जीवन में सकारात्मक तब्दीली लाई है, जिन्होंने इसके बाद से काफी अच्छी कमाई करना शुरू किया है।
परियोजना से संबद्ध अनार उत्पादकों और प्याज बीज उत्पादकों की सफलता की दास्तां ने बारामती में कई किसानों को मधुमक्खीपालन के इस्तेमाल के जरिए अपने फसलों का परागण करने और बेहतर उपज हासिल करने के लिए प्रेरित किया है।
वास्तव में अब वे इस काम के लिए अधिक भुगतान करने की इच्छा रखते हैं, मौजूदा समय में वहां के 46 गाँव में किसानों की मदद करने के लिए केवल चार युवा पेशेवर घूम-घूम कर किसानों को मधुमक्खीपालन में मदद कर रहे हैं।
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