दवा कंपनियों से कांट्रैक्ट कर ऐसे मुनाफा कमा रहे यूपी के किसान

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
दवा कंपनियों से कांट्रैक्ट कर ऐसे मुनाफा कमा रहे यूपी के किसानयूपी में औषधीय खेती का रकबा तेजी से बढ़ा है।

मोबीन अहमद - कम्यूनिटी रिपोर्टर

अहमदपुर (रायबरेली)। औषधीय पौधे की खेती किसानों की आर्थिक तंगी का भी इलाज कर रही है। प्रदेश के किसान औषधीय खेती को प्राथमिक फसलों के तौर पर अभी तक नहीं करते थे, लेकिन यह चलन अब बदल रहा है। जिले की अहमदपुर गाँव के किसान वीरेंद्र कुमार चौधरी ने कई औषधीय पौधों की व्यावसायिक खेती करके ना केवल पारंपरिक खेती की तुलना में अच्छा मुनाफा कमाया बल्कि आस पड़ोस के किसानों को औषधीय खेती के गुर सिखाकर उनकी सहायता भी कर रहे हैं। सैकड़ों किसानों ने इसके लिए बाकायदा कंपनियों से करार भी किए हैं।

औषधीय खेती की मदद से कम समय में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए वीरेंद्र बताते हैं, ''अगर किसी किसान के पास कम खेती है और उसे जल्दी पैसे कमाने हैं तो आर्टीमीशिया की खेती से किसान को बहुत फायदा हो सकता है। एक एकड़ की खेती में 12 कुंतल तक आर्टीमीशिया की पैदावार आसानी से प्राप्त होती है। इससे बीज भी मुफ्त में मिल जाता है और कंपनी भी इसे अच्छे दाम पर खरीद लेती है।''

आर्टीमीशिया की खेती 90 दिनों में पूरी हो जाती है और इसके बीज भी आसानी से मिल जाते हैं। इसकी खेती के लिए मध्यप्रदेश की फार्मा कंपनी (इपका) किसानों की मदद करती है। रायबरेली जिला मुख्यालय से करीब 17 किमी. दक्षिण दिशा में अहमदपुर गाँव के वीरेंद्र चौधरी तीन हेक्टेयर खेत में पिछले दस वर्षों से औषधीय खेती कर रहे हैं। वो आठ एकड़ ज़मीन में वीरेंद्र कुमार तुलसी, अश्वगंधा, सतावर व आर्टीमीशिया जैसे कई औषधीय पौधों की खेती करते हैं। इसके अलावा वीरेंद्र शुद्ध सतावर से बना च्यवनप्राश, अश्वगंधा पाउडर व औषधीय तेल खुद बना कर लखनऊ व कानपुर में व्यापारियों को बेचते हैं।

वीरेंद्र कुमार चौधरी, किसान

राष्ट्रीय औषधीय बोर्ड के अनुसार उत्तर प्रदेश में 2,50,000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में औषधीय खेती की जाती है। प्रदेश के गाजीपुर, सीतापुर, बाराबंकी, कन्नौज, अलीगढ़, सोनभद्र और मिर्जापुर जिलों में औषधीय खेती बड़े पैमाने में की जाती है। भारत में 6,000 से ज्यादा किस्मों के औषधीय पौधे पाए जाते हैं। उत्तर प्रदेश में औषधीय पौधों का व्यापार प्रतिवर्ष पांच हज़ार करोड़ रुपए होता है।

रायबरेली जिले में औषधीय खेती कम मशहूर है। इसके बावजूद वीरेंद्र ने अपने क्षेत्र के 100 से भी ज्यादा किसानों को औषधीय खेती के प्रति प्रोत्साहित किया है। औषधीय खेती को व्यावसायिक दर्जा देने व इसकी पैदावार बढ़ाने के लिए वीरेंद्र को मेडिसिनल एंड एरोमेटिक प्लांट सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा राजकीय पुरस्कार भी मिला है। रायबरेली के साथ ही सीतापुर, बाराबंकी, शाहजहांपुर, कन्नौज और लखीमपुर में भी औषधीय खेती का रकबा बढ़ा है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.