अमेरिका समेत कई देशों में लोगों को अपने खेतों की सैर करवाकर लाखों की कमाई करते हैं किसान

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अमेरिका समेत कई देशों में लोगों को अपने खेतों की सैर करवाकर लाखों की कमाई करते हैं किसानफार्म में खेलते बच्चे।

विवेक पांडेय

न्यूजर्सी । गर्मी की छुट्टियाँ होते ही बार-बार हम लोग मम्मी-पापा से पूछने लगते थे कि गाँव कब जाएंगे। गर्मी बहुत होती थी, बिजली भी नहीं आती थी, टीवी भी नहीं देखने को मिलता था पर फिर भी गाँव जाने का बेसब्री से इंतजार रहता था। हम जब छोटे थे तो बकरी के बच्चों के बीचे दौड़ने, भूसे या पैसे के ढेर में कूदने, कुएं से पानी निकलता देखने आदि में बड़ा मजा आता था। थोड़ा बड़े हुए तो ट्रैक्टर-ट्रॉली में घूमना, ट्यूबवेल में नहाना, पेड़ों पर चढ़ना, फल सब्जी तोड़ के लाना आदि। सिर्फ अपना घर ही नहीं, पूरा गाँव ही अपना था। खेती होते हुए देखी।

गेहूं कटते हुए देखा, पानी से भरे खेतों में धान लगते हुए देखा। शायद इसीलिए जब एग्जाम में रबी और खरीफ की फसलों के बारे में लिखने को आता था तो रट्टा लगा के प्राप्त किए गए ज्ञान का सहारा नहीं लेना पड़ता था। पर जो कभी गाँव गए ही नहीं उनका क्या। अन्न तो सभी खाते हैं पर अन्नदाता कैसे रहता है। वो कैसे अन्न उगाता है। यह तो वो कभी जान ही नहीं पाते। किसान से उपभोक्ता का जो कनेक्शन होना चाहिए वो कभी बन ही नहीं पाता। अगर ये कनेक्शन बन जाये तो लोग कम खाना बर्बाद करें। कम पानी बर्बाद करें।

अमेरिका में बड़े शहरों के पास बहुत सारे कृषि फार्मों की आय का एक बड़ा जरिया टूरिज्म है। जी हाँ, ये हैं फार्म टूरिज्म या कृषि पर्यटन। फसल के काटने के समय पूरा फार्म आम जनता के घूमने के लिए तैयार किया जाता है। ट्रैक्टर ट्राली से लोगों को फार्म की सैर कराई जाती है। ट्राली में भूसा पड़ा होता है और लोग उसी पर बैठ के घूमते हैं। ट्राली से उतर के लोग खेतों में जाते हैं। फल और सब्जियां तोड़ते हैं और अपनी टोकरी भरते जाते हैं। भुट्टे के खेत में भूल-भुलैया बनायीं जाती है और क्या बड़े क्या बच्चे, सब घंटों इसमें खोये रहते हैं। माता-पिता, दादा-दादी बच्चों को खेल-खेल में बता देते हैं कि फल और सब्जियां कैसे उगती हैं। बच्चों के खेलने के लिए पैरे के बड़े-बड़े ढेर लगाये जाते हैं। मक्के से भरा हुआ कमरा बनाया जाता है। पालतू जानवर जैसे गाय, भेड़, बकरी आदि रखे जाते हैं।

किसानों को होता है मुनाफा

फार्म में जाने के लिए एंट्री टिकट लगता है। फल, सब्जी के लिए अलग से पैसे देने होते हैं। कैरी बैग के भी पैसे लिए जाते हैं। पैरे के ढेर और मक्के के खेत की भूल भुलैया में भी जाने का अलग से टिकट लगता है। खाने-पीने के स्टाल लगते हैं। इस तरह कृषि फार्म वालों की अच्छी कमाई भी हो जाती है। मैंने जब न्यू जर्सी में ये फार्म विजिट किया था तो पार्किंग में लघभग एक हज़ार कार रही होंगी। खाने-पिने को छोड़ दें तो एन्र्टी टिकेट और फल सब्जी पे ही लगभग पचास डॉलर खर्च हो गए थे। इतने सारे लोग घूमने के लिए आते हैं तो खूब सारी व्यवस्था भी करनी पड़ती है। और इस व्यवस्था के लिए खूब सारे कार्यकर्ताओं की जरूरत पड़ती है। पार्किंग की व्यवस्था करने, टिकट बेचने, ट्रैक्टर चलने और सब्जियां तोड़ने आदि के लिए खूब सारे लोगों की जरूरत पड़ती है।

चाक चौबंद रहती है व्यवस्था

ज्यादा संख्या में लोग फार्म विजिट करने आते हैं। ऐसे में किसी को कोई असुविधा न हो इसके लिए सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था रहती है। प्राथमिक उपचार का भी प्रबंध होता है। पार्किंग वाले इलाके में लोगों की मदद के लिए बहुत सारे कार्यकर्ता लगे रहते हैं। जगग-जगह रास्ते बताने के लिए सिग्नल बोर्ड लगे रहते हैं। मनोरंजन के लिए लाइव म्यूजिक आदि की व्यवस्था भी रहती है। इस यादगार फार्म विजिट से मुझे मेरी गाँव की छुट्टियाँ याद आ गईं और मैंने अपने चार साल के बेटे को भी गांव और किसानों से जोड़ा।

          

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