नये कारोबारी वर्ष में अब तक 1.79 लाख टन चीनी का निर्यात

उद्योग संगठन एआईटीए ने बुधवार को कहा कि करीब 1.55 लाख टन चीनी जनवरी की शुरुआत में निर्यात के लिए तैयार है। पिछले साल चीनी मिल 20 लाख टन चीनी के निर्यात के अनिवार्य कोटे को पूरा नहीं कर सके थे

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नये कारोबारी वर्ष में अब तक 1.79 लाख टन चीनी का निर्यात

लखनऊ। इस साल अक्टूबर से शुरू हुए नये गन्ना पेराई सत्र में भारत ने अब तक 1.79 लाख टन चीनी का निर्यात किया है। इस सत्र में अब तक श्रीलंका को सबसे ज्यादा शक्कर का निर्यात किया गया है। चीनी उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है।

उद्योग संगठन एआईटीए ने बुधवार को कहा कि करीब 1.55 लाख टन चीनी जनवरी की शुरुआत में निर्यात के लिए तैयार है। पिछले साल चीनी मिल 20 लाख टन चीनी के निर्यात के अनिवार्य कोटे को पूरा नहीं कर सके थे। पिछले साल देश से महज 6.7 लाख टन चीनी दूसरे देशों में भेजा गया था।

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चीनी के अतिरक्ति भंडारण को देखते हुए सरकार ने चीनी मिलों को 2018-19 के सत्र (अक्टूबर से सितंबर) में 50 लाख टन चीनी का अनिवार्य तौर पर निर्यात करने को कहा है। ऑल इंडिया सुगर ट्रेड एसोसिएशन (एआईटीए) ने बयान जारी कर कहा, "चीनी मिलों से 2.15 लाख टन चीनी निकला है, जिसमें से 1.79 लाख टन का निर्यात किया गया है। इसके अतिरक्ति 36,099 टन कच्ची चीनी को निर्यात के लिए बंदरगाह स्थित चीनी रिफाइनरियों को भेजा गया है।" एक अन्य उद्योग संगठन इस्मा ने हाल में कहा था कि चीनी मिलों को अब तक 10 लाख टन चीनी के निर्यात का ठेका मिला है।

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भारत 16 साल बाद पहली बार चीनी उत्पादन में ब्राजील को पछाड़कर नंबर वन बनने जा रहा है। चालू सीजन में भात में उत्पदान 5.2 फीसदी बढ़कर 3.59 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है। वहीं ब्राजील में खराब मौसम होने के कारण 21 फीसदी उत्पादन घटकर तीन करोड़ छह लाख टन रह सकता है। जबकि इससे पहले इस्मा ने अपनी ही कमें बताया था कि उत्तर प्रदेश गन्ना बुवाई का रकबा बढ़कर 23.90 लाख हेक्टेयर था जो पिछसे साल 22.99 लाख हेक्टेयर था। भारत में उत्तर प्रदेश (36.1%), महाराष्ट्र (34.3%) और कनार्टक (11.7%), तीन सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य हैं। 2015-16 में भारत में चीनी उत्पादन 24.8 मिलियन टन हुआ था।

(भाषा से इनपुट)


  

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