उत्तर भारत में बढ़ी गाय-भैंसों की कीमतें, मुर्रा नस्ल की भैंसों की सबसे ज्यादा मांग

Diti BajpaiDiti Bajpai   17 Feb 2017 6:18 PM GMT

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उत्तर भारत में बढ़ी गाय-भैंसों की कीमतें, मुर्रा नस्ल की भैंसों की सबसे ज्यादा मांगभैंस की कीमतें बढ़ीं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। साहीवाल, मुर्रा जैसी नस्ल सुधारने वाली गाय-भैंसों की मांग उत्तर भारत में लगातार तेजी से बढ़ रही है लेकिन इस नस्ल के लिए प्रसिद्ध राज्य दूसरे राज्यों में भेजने पर कतरा रहे हैं। इसका असर पशुओं के दाम पर पड़ रहा है जो दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं।

“ज्यादा दूध देने वाली गाय-भैंसों को खरीदने के लिए पहले दलालों से जुगाड़ लगाना पड़ता है। उसके कुछ महीने बाद ही पशु खरीद पाते हैं। जुगाड़ से पशु मिलता है तो महंगा ही पड़ता है।” ऐसा बताते हैं, लखनऊ जिले के मॉल ब्लॉक में रहने वाले अजय राज त्रिपाठी।

त्रिपाठी आगे बताते हैं, “अभी तक योजना के तहत जितनी भी गाय खरीदी हैं वो पंजाब से ली हैं। 10 लीटर तक दूध देने वाली भैंस हमको 80 हजार रुपए तक पड़ती है। वही भैंस वहां के लोगों को कम दाम मिल जाती है। ज्यादातर पशुपालक मुर्रा भैंस ही खरीदते हैं।”

अच्छी नस्ल के पशुओं को खरीदने के लिए हमारे पास कई राज्यों से लोग आते हैं। ऐसा नहीं है कि उनको महंगे दामों पर बेचते हैं। दूध की क्षमता के मुताबिक हम रेट लगाते हैं।
रचपाल डिंडसा, व्यापारी, जालंधर (पंजाब)

भारत में भैंसों की 13 नस्लों में से मध्य हरियाणा की मुर्रा भैंसों की मांग सबसे ज्यादा है। उन्हें ‘नस्ल सुधारने’ वाला माना जाता है यह नस्ल खासतौर पर अपनी ज्यादा दूध देने की क्षमता की वजह से मांग में है। इसीलिए कई राज्यों से इसको खरीदने के लिए लोग पंजाब आते हैं।

लखनऊ स्थित पशुपालन विभाग के उप निदेशक डॉ. वी.के सिंह बताते हैं, “दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा जो योजनाएं शुरू की गई है उनमें जो भी पशु आने हैं वो अलग राज्यों से ही आते हैं। तो जितने पशुपालक योजना लेते हैं वो ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से गाय-भैस खरीदते हैं। मांग बढ़ रही तो पशुओं की कीमत भी बढ़ेगी। साथ ही उनको लाने में भी पशुपालकों का खर्चा हो जाता है।”

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

          

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