कम बारिश वाले क्षेत्र में करें बाजरा की खेती
गाँव कनेक्शन | Sep 16, 2016, 16:22 IST
लखनऊ। प्रदेश में क्षेत्रफल की दृष्टि से बाजरा का स्थान गेहूं, धान और मक्का के बाद आता है। कम वर्षा वाले स्थानों के लिए यह एक अच्छी फसल है।
40 से 50 सेमी. वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में इसकी खेती सफलता पूर्वक की जा सकती है। बाजरा की खेती मुख्यत: आगरा, बरेली एवं कानपुर मंडलों में होती है।
जलवायु एवं मिट्टी
इसकी खेती लगभग सभी प्रकार की भूमि पर हो सकती है, लेकिन जल जमाव के प्रति इसकी संवेदनशीलता के कारण इसकी खेती के लिये बलुई, दोमट मिट्टी जिसमें जल निकास अच्छा हो, सर्वाधिक अनुकूल पायी गयी है।इसकी खेती गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में जहां 400-650 मिली मीटर वार्षिक वर्षापात हो, करना लाभदायक है।
इसके परागण के समय वर्षा होने पर पराग के धुलने एवं उत्पादन में ह्रास की संभावना रहती है।तेज धूप एवं कम वर्षा के कारण जहां पर ज्वार की खेती संभव नहीं है। वहां के लिये बाजरा एक अच्छी वैकल्पिक फसल है। बाजरा के विकास के लिए 20-30 सेंटीग्रेट तापक्रम सर्वाधिक उचित है। यह अम्लीय मिट्टी के प्रति संवेदनशील है।
40 से 50 सेमी. वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में इसकी खेती सफलता पूर्वक की जा सकती है। बाजरा की खेती मुख्यत: आगरा, बरेली एवं कानपुर मंडलों में होती है।
जलवायु एवं मिट्टी
इसकी खेती लगभग सभी प्रकार की भूमि पर हो सकती है, लेकिन जल जमाव के प्रति इसकी संवेदनशीलता के कारण इसकी खेती के लिये बलुई, दोमट मिट्टी जिसमें जल निकास अच्छा हो, सर्वाधिक अनुकूल पायी गयी है।इसकी खेती गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में जहां 400-650 मिली मीटर वार्षिक वर्षापात हो, करना लाभदायक है।
इसके परागण के समय वर्षा होने पर पराग के धुलने एवं उत्पादन में ह्रास की संभावना रहती है।तेज धूप एवं कम वर्षा के कारण जहां पर ज्वार की खेती संभव नहीं है। वहां के लिये बाजरा एक अच्छी वैकल्पिक फसल है। बाजरा के विकास के लिए 20-30 सेंटीग्रेट तापक्रम सर्वाधिक उचित है। यह अम्लीय मिट्टी के प्रति संवेदनशील है।