लीची की खेती के लिए किसानों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
Ashwani Nigam | Aug 14, 2017, 12:56 IST
अश्वनी कुमार निगम
लखनऊ। देश में किसान लीची के अधिक से अधिक खेती कर सकें इसको लेकर राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र मुजफ्फरपुर किसानों को प्रशिक्षण दे रहा है। लीची के विकास एवं उत्पादन बढ़ाने के लिए शोध करके नई-नई किस्मों एवं तकनीकों का विकास करके इसका प्रचार-प्रसार कर रहा है। यहां के निदेशक डॉ. विशाल नाथ ने बताया '' देश में 84000 हेक्टेयर में लीची की खेती होती और सालाना 594000 मीट्रिक टन लीची की पैदावार देशभर में होती है। बिहार लीची उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है, अभी बिहार में 32 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल से लगभग 300 हजार मीट्रिक टन लीची का उत्पादन हो रहा है। बिहार का देश के लीची के क्षेत्रफल एवं उत्पादन में लगभग 40 प्रतिशत का योगदान है। लीची के महत्व को देखते हुए 6 जून, 2001 को यहां राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की गई। ''
उन्होंने बताया कि लीची को अधिक से अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सके इसके लेकर भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र एवं राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने लीची फल को उपचारित करके औ कम तापमान पर 60 दिनों तक भंडारित करके रखने में सफलता पाई हैं। जिसका एक प्रसंस्करण संयंत्र भी विकसित किया गया है। यह तकनीक निश्चित रूप से लीची उत्पादकों एवं व्यापारियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। इस तकनीक को प्रभावशाली बनाने के लिए उत्पादकों को अच्छी गुणवत्ता के फल का उत्पादन करना होगा, जिसके लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर ने अनेक तकनीकों का विकास किया है।
देश में लीची की खेती बढ़ सके इसको लेकर लीची अनुसंधान संस्थान के निदेशक ने बताया कि राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर प्रत्येक साल लगभग 35-40 हजार पौधे देश के विभिन्न संस्थानों/राज्यों को उपलब्ध करा रहा है। इसके अलावा यह केन्द्र आईसीएआर के अन्य संस्थानों, राज्यों के कृषि विष्वविद्यालयों एवं केन्द्र, राज्य सरकारों के विकास प्रतिष्ठानों जैसे राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, एपीडा और राष्ट्रीय बागवानी मिशन के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।
यहां के वैज्ञानिक डा. एसडी पांडेय ने बताया कि यहां के वैज्ञानिक दिन-रात मेहनत करके उन्नत किस्मों और कृषि क्रियाओं का विकास कर रहे हैं जिसे राज्य सरकार, एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों और अन्य संस्थाओं की ओरे से आम जनता तक पहुचाने की जरूरत है। फार्मर फस्ट परियोजना के तहत पूर्वी चंपारण जिले के 8 गावों में 1000 किसान परिवार को लीची तकनीक का प्रशिक्षण दियाज जा रहा है। केन्द्र ने सायल हेल्थ कार्ड की योजना भी शुरू की है जिसके माध्यम से किसानों के बागों का परीक्षण करके उन्हें उचित सलाह दी जा रही है। बिहार ही नहीं देश के कई क्षेत्र हैं जहां लीची की सफल बागवानी हो सकती है। अतः इन क्षेत्रों में भी शोध को बढ़ावा देने की जरूरत है।
लखनऊ। देश में किसान लीची के अधिक से अधिक खेती कर सकें इसको लेकर राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र मुजफ्फरपुर किसानों को प्रशिक्षण दे रहा है। लीची के विकास एवं उत्पादन बढ़ाने के लिए शोध करके नई-नई किस्मों एवं तकनीकों का विकास करके इसका प्रचार-प्रसार कर रहा है। यहां के निदेशक डॉ. विशाल नाथ ने बताया '' देश में 84000 हेक्टेयर में लीची की खेती होती और सालाना 594000 मीट्रिक टन लीची की पैदावार देशभर में होती है। बिहार लीची उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है, अभी बिहार में 32 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल से लगभग 300 हजार मीट्रिक टन लीची का उत्पादन हो रहा है। बिहार का देश के लीची के क्षेत्रफल एवं उत्पादन में लगभग 40 प्रतिशत का योगदान है। लीची के महत्व को देखते हुए 6 जून, 2001 को यहां राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की गई। ''
उन्होंने बताया कि लीची को अधिक से अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सके इसके लेकर भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र एवं राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने लीची फल को उपचारित करके औ कम तापमान पर 60 दिनों तक भंडारित करके रखने में सफलता पाई हैं। जिसका एक प्रसंस्करण संयंत्र भी विकसित किया गया है। यह तकनीक निश्चित रूप से लीची उत्पादकों एवं व्यापारियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। इस तकनीक को प्रभावशाली बनाने के लिए उत्पादकों को अच्छी गुणवत्ता के फल का उत्पादन करना होगा, जिसके लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर ने अनेक तकनीकों का विकास किया है।
देश में लीची की खेती बढ़ सके इसको लेकर लीची अनुसंधान संस्थान के निदेशक ने बताया कि राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर प्रत्येक साल लगभग 35-40 हजार पौधे देश के विभिन्न संस्थानों/राज्यों को उपलब्ध करा रहा है। इसके अलावा यह केन्द्र आईसीएआर के अन्य संस्थानों, राज्यों के कृषि विष्वविद्यालयों एवं केन्द्र, राज्य सरकारों के विकास प्रतिष्ठानों जैसे राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, एपीडा और राष्ट्रीय बागवानी मिशन के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।
यहां के वैज्ञानिक डा. एसडी पांडेय ने बताया कि यहां के वैज्ञानिक दिन-रात मेहनत करके उन्नत किस्मों और कृषि क्रियाओं का विकास कर रहे हैं जिसे राज्य सरकार, एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों और अन्य संस्थाओं की ओरे से आम जनता तक पहुचाने की जरूरत है। फार्मर फस्ट परियोजना के तहत पूर्वी चंपारण जिले के 8 गावों में 1000 किसान परिवार को लीची तकनीक का प्रशिक्षण दियाज जा रहा है। केन्द्र ने सायल हेल्थ कार्ड की योजना भी शुरू की है जिसके माध्यम से किसानों के बागों का परीक्षण करके उन्हें उचित सलाह दी जा रही है। बिहार ही नहीं देश के कई क्षेत्र हैं जहां लीची की सफल बागवानी हो सकती है। अतः इन क्षेत्रों में भी शोध को बढ़ावा देने की जरूरत है।