नोटबंदी से फीकी पड़ी फूलों की खुशबू
Darakhshan Quadir Siddiqui 21 Nov 2016 4:11 PM GMT

लखनऊ। बड़े नोट बंद होने से बाजार सुस्त है। इसका असर फूलों के व्यापार में भी दिख रहा है। यह सहालग का समय है ऐसे में बाजार में फूल की डिमांड ज्यादा रहती है और फूलों के दाम भी आसमान छूते हैं लेकिन इस बार फूल मंडी में एकदम सन्नाटा पसरा है किसान से लेकर फुटकर और होलसेलर सभी इस मंदी से परेशान हैं।
चौक स्थित कंचन फूल मंडी में वसुन्धरा फ्लॉवर शॉप के थोक व्यापारी शहाबुद्दीन ने बताया कि नोट बन्द होने से हमारा व्यापार फीका पड़ गया है। हर साल इस समय प्रति दिन दस हज़ार का व्यापार हो जाता था लेकिन नोट बंदी के चलते आई मंदी के कारण एक हज़ार का भी माल नहीं बिक रहा है।
कारोबार में 50 फीसदी गिरावट
साक्षी कट फ्लॉवर नाम से अपनी दुकान चला रहे राजेश ने बताया 500 और 1000 रुपए के नोटों की वैधता खत्म होने के बाद इस बाजार के कारोबार में 50 फीसदी की गिरावट आई है। राजेश के मुताबिक लेन-देन चेक के जरिए होता है लेकिन इसके बावजूद ट्रांसपोर्टेशन और दिहाड़ी मज़दूरों को देने के लिए नक़द राशि की ज़रूरत होती है।
लंबे अरसे से जुड़े फूलों के व्यापारी गुड्डू के मुताबिक नवंबर-दिसंबर और जनवरी के महीने में व्यापार तिगुना बढ़ जाता है क्योंकि यह शादी समारोह का समय होता है। इसके साथ-साथ नए साल और क्रिसमस में भी फूलों की मांग देसी और विदेशी बाजार में उछाल लाती है लेकिन 500 और हज़ार रुपये के नोटों पर रोक की वजह से व्यापार ठप हो गया है।
सालभर तक नहीं उबर नहीं पाएंगे
न सिर्फ फूलों के व्यापारी बल्कि किसानों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। फूलों की खेती कर रहे किसान विजय बहादुर ने बताया कि फूलों की खेती से घर का खर्चा निकाल कर कुछ पैसा बच जाता था लेकिन इस बार सहालग के टाइम जो मंदी आई है उससे तो लगता है साल भर तक घर में खाने के लाले पड़ जाएंगे। वहीं गुलाब की खेती कर रहे किसान शिवनाथ का कहना है कि इस बार नोटबंदी से फूलों के बीज तक नहीं खरीद पा रहे हैं। ऐसी मंदी तो हमने अपनी जिन्दगी में नहीं देखी।
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