हमारा प्याज हमारा दाम: अपने प्याज का खुद से दाम तय करेंगे महाराष्ट्र के किसान
महाराष्ट्र के किसानों ने प्याज की कीमतों के लेकर 'हमारा प्याज हमारा दाम' आंदोलन शुरू किया है, प्याज किसानों का कहना है कि एक किलो प्याज का दाम कम से कम तीस रुपए मिलना चाहिए।
Divendra Singh 24 Aug 2021 11:23 AM GMT

महाराष्ट्र के नाशिक, अहमदनगर, पुणे, धुले, शोलापुर जिले में किसान प्याज की खेती करते हैं।
प्याज के दाम में साल भर उतार चढ़ाव होता रहता है, पिछले कुछ साल से मौसम की मार से भी किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में प्याज उत्पादक किसानों ने अपने प्याज का दाम खुद ही तय करने का फैसला किया है।
महाराष्ट्र के अहमदनगर में किसानों ने अहमदनगर में बैठक कर के 30 रुपये किलो की दर पर प्याज बेचने को कहा। महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले आंदोलन के बारे में गाँव कनेक्शन को बताते हैं, "प्याज किसानों को कभी भी उनकी मेहनत भर का दाम भी नहीं मिलता है, इसलिए हमने प्याज का एक दाम निर्धारित करने के लिए यह आंदोलन शुरू किया है। किसान इतनी मेहनत से प्याज उगाते हैं और उसका फायद व्यापारी लेकर जाते हैं।"
महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन ने मार्च महीने में ही प्याज के गढ़ कहे जाने वाले नासिक जिले की लासलगांव मंडी से इस आंदोलन की शुरूआत की थी, लेकिन मार्च महीने में कोविड के मामले बढ़ने के बाद से उसे वहीं रोक दिया गया था। अब कोविड-19 के नियंत्रण के बाद से फिर से आंदोल शुरू किया है। 23 अगस्त को अहमदनगर से इसे एक बार फिर शुरू किया है।
प्याज उत्पादक जिलों से भी जुड़ेंगे किसान
महाराष्ट्र के पुणे में स्थित प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय (ICAR-DOGR) के अनुसार देश में सबसे अधिक प्याज उत्पादन महाराष्ट्र में होता है, उसके बाद कर्नाटक, गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य आते हैं। महाराष्ट्र के नाशिक, अहमदनगर, पुणे, धुले, शोलापुर जिले में किसान प्याज की खेती करते हैं।
भारत दिघोले आगे कहते हैं, "हमसे फेसबुक और व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए लाखों की संख्या में किसान जुड़े हुए हैं, सभी सहयोग भी मिल रहा है। आने वाले समय में महाराष्ट्र के पुणे, नाशिक, धुले, सोलापुर जिले जहां पर प्याज की खेती होती है, वहां पर भी किसानों से मिलने जाएंगे। आने वाले समय में हम मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात जैसे राज्य जहां पर प्याज की खेती होती है, वहां पर जाएंगे और किसानों को जागरूक करेंगे।"
भंडारण की व्यवस्था न होने से खराब हो जाता है प्याज
किसान प्याज तैयार होने के बाद जल्द से जल्द उसे मंडी पहुंचाना चाहते हैं, क्योंकि उनके पास भंडारण की उचित व्यवस्था नहीं होती है।
भंडारण की समस्या पर भारत बताते हैं, "गाँव में कुछ ही किसानों के पास स्टोरेज की व्यवस्था होती है। सरकार स्टोर बनाने के लिए बहुत कम आर्थिक मदद देती है। 25 टन के स्टोरेज के लिए चार लाख रुपए लगते हैं, जबकि सरकार अधिकतम 87,500 रुपये ही देती है। अगर एक तहसील में 2000 किसानों ने स्टोर के लिए आवेदन किया तो लॉटरी में 100 का नंबर आता है। इस तरह इसके लिए लंबा इंतजार करना होता है। इसलिए किसान को मजबूरी में भी व्यापारियों को प्याज बेचनी पड़ती है।"
महाराष्ट्र में साल में चार बार (अगेती खरीफ, खरीफ, पछेती खरीफ और रबी) प्याज की खेती होती है। अगेती खरीफ में फरवरी-मार्च में बीज की बुवाई, अप्रैल-मई में प्याज की रोपाई और अगस्त-सितम्बर महीने में प्याज की हार्वेस्टिंग होती है। खरीफ में मई-जून में बीज की बुवाई, जुलाई-अगस्त में रोपाई और अक्टूबर-दिसम्बर महीने में हार्वेस्टिंग होती है। पछेती खरीफ में अगस्त-सितम्बर में बीज की बुवाई, अक्टूबर-नवंबर में रोपाई और जनवरी-मार्च में हार्वेस्टिंग होती है। जबकि रबी मौसम में अक्टूबर-नवंबर में बीज बुवाई, दिसम्बर-जनवरी में रोपाई और अप्रैल मई में प्याज की हार्वेस्टिंग होती है।
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