50 बोरी आलू का मंडी में किसान को मिला एक रुपया, ‘पंजाब-हरियाणा में 70 आलू किसानों ने की आत्महत्या’

Arvind shukklaArvind shukkla   9 March 2017 12:43 PM GMT

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50 बोरी आलू का मंडी में किसान को मिला एक रुपया, ‘पंजाब-हरियाणा में 70 आलू किसानों ने की आत्महत्या’रेट न मिलने से परेशान हैं पूरे देश का आलू किसान। तस्वीरों में पंजाब में सड़क पर आलू फेंकते किसान और इंदौर में मंडी की रसीद।

यही हालात रहे तो देश में विद्रोह हो जाएगा, किसान सड़क पर उतरेगा। पिछले 10 दिनों में पंजाब और हरियाणा में 70 किसानों ने आत्महत्या की है। भटिंडा में पिता-पुत्र ने आलू के घाटे के चलते जान दी है।
बलविंदर सिंह बाजवा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन

इंदौर/ लखनऊ। 50 कट्टे (यानी 25 कुंटल) आलू की कीमत एक रुपये सुनकर थोड़ी हैरानी हो रही होगी लेकिन ये सच है। मध्य प्रदेश इंदौर में एक किसान ने 50 कट्टे आलू मंडी पहुंचाया जहां उसकी कीमत 1175 रुपये लगी, लेकिन मंडी में 1174 रुपये खर्चा काटा गया और किसान को सिर्फ एक रुपया ही मिला। वहीं पंजाब में घाटे से परेशान किसान आलू को सड़कों पर फेंक रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन का दावा है आलू में घाटे के चलतें 10 दिनों में 70 किसान आत्महत्या कर चुके है।

इंदौर के ईश्वरखेडी गाँव निवासी राजकुमार चौधरी (28 वर्ष) के पास 10 बीघा आलू था। 23 फरवरी को वह 50 बोरी आलू मंडी ले गए जहां 1000 रुपये गाड़ी का भाड़ा हो गया और बाकी 174 रुपये मंडी के अन्य खर्च हो गए, मंडी से उन्हें सिर्फ एक रुपया ही मिला। राजकुमार ने फोन पर गाँव कनेक्शन को बताया, "दो दिन पहले मैं 108 कट्टे और आलू लेकर मंडी पहुंचा तो मुझे अपनी जेब से 773 रुपये का खर्च देना पड़ा, इससे अच्छा है आलू खेत में सड़ जाए या फिर पंजाब की तरह सड़क पर फेंक दूं।”

पहले 50 कट्टे (25 कुंटल) के मंडी में एक रुपये मिला। बाद में 108 कट्टे आलू लेकर मंडी पहुंचा तो मुझे अपै नी जेब से 773 देने पड़े। इससे तो अच्छा है आलू खेत में ही सड़ जाए।
राजकुमार चौधरी, आलू किसान, इंदौर, मध्यप्रदेश

ये भी पढ़ें- नोटबंदी के बाद बंपर उत्पादन ने किया आलू किसानों को बेदम, 2 रुपये किलो तक पहुंचीं कीमतें

मध्य प्रदेश से ज्यादा बदतर हालात पंजाब के हैं, यहां किसानों ने आलू को सड़कों पर फेंकना शुरु कर दिया। साहनी और भटिंडा इलाके में कई जगह किसानों ने सड़कों पर आलू फेंककर अपना विरोध जताया है। भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) समेत दूसरे कई संगठन इस मुद्दे को लेकर सड़क पर उतर रहे हैं। भाकियू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बलविंदर सिंह बाजवा गुस्से में बताते हैं, "यही हालात रहे तो देश में विद्रोह हो जाएगा, किसान सड़क पर उतरेगा फिर सरकार हालात नहीं संभाल पाएगी। पिछले 10 दिनों में पंजाब और हरियाणा में 70 किसानों ने आत्महत्या की है। बठिंडा में पिता-पुत्र ने आलू के घाटे के चलते जान दी है।"

वो आगे कहते हैं, "सरकार को चाहिए कि तुरंत सरकारी दाम पर आलू खरीद करवाए और आगे से गेहूं की तरह न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए, वर्ना लोग आलू बोना बंद कर देंगे। 5 मार्च को हम लोग हरियाणा के कुरुक्षेत्र में सम्मेलन कर रहे हैं, जिसमें आलू अहम मुद्दा होगा।" सबसे ज्यादा आलू उत्पादक राज्यों में शामिल उत्तर प्रदेश में भी कमोबेश यही हालात हैं। किसानों का आलू 200 रुपये कुंटल मांगा जा रहा है, जिसमें उनको हजारों रुपये प्रति बीघे का घाटा हो रहा है। हजारों किसानों का आलू खेतों से अभी खुदा नहीं है, जो खोद चुके हैं उन्हें कोल्ड स्टोर में रखने की जगह नहीं मिल रही है।

कोल्ड स्टोर में आलू रखते मजदूर। फोटो- अजय राजपूत

यूपी में सभी आलू स्टोर फुल

उत्तर प्रदेश में लगभग सभी आलू स्टोर फुल हो चुके हैं। किसान अपने आलू को लेकर इधर-उधर भटक रहे हैं। कई जिलों में किसान उन इलाकों का रुख कर रहे हैं जहां आलू पैदा हुआ है और स्टोर में आलू रखने की गुंजाइश है। बाराबंकी के कई किसान लखनऊ और बहराइच और फैजाबाद के स्टोर के बाहर ट्रैक्टर और ट्रक में आलू लेकर कतार में मिले हैं।

इंदौर किसान राजकुमार को 50 कट्टे बोरी के आलू बदले मिले एक रुपये की पर्ची।

उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उप्र (आलू विभाग) के आलू निरीक्षक गया प्रसाद बताते हैं, “निजी तौर पर कोल्ड स्टोरेज तैयार करने वाले लोग अपनी ही जमीन पर उसे बनवाते हैं। इसलिए किस रेट पर किसानों को आलू भंडारण करने दिया जाएगा, ये वही लोग निर्धारित करते हैं या फिर यूपी कोल्ड स्टोरेज संगठन करता है।” उन्होंने बताया कि साल 1997 से पहले सरकार की तरफ से इसके रेट रखे गए थे लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया। अब स्टोरेज का मालिक ही खुद तय करते हैं। राजधानी में 6 महीने के लिए कोल्ड स्टोरेज में आलू स्टोर करने के लिए लगभग 220 रुपए प्रति क्विंटल का रेट रखा गया है। यह रेट हर जगह कोल्ड स्टोरेज के संचालक और मालिक के मुताबिक अलग-अलग तय किया जाता है।

राजकुमार को अपने बाकी 108 बोरी आलू के बदले 773 रुपये जेब से देने पड़े।

लखनऊ और उसके आसपास फुटकर में आलू 20 रुपये का 3-4 किलो मिल रहा है। जबकि खेतों में किसानों से 200 रुपये कुंटल का भावदिया जा रहा है। दिल्ली की आजादपुर मंडी में भी खपत से कई गुना ज्यादा रोजाना आलू पहुंच रहा है। मौसम की मेहरबानी से इस बार आलू का उत्पादन कई गुना ज्यादा हुआ है लेकिन अब किसानों की लागत नहीं निकल पा रही है।

पंजाब में कुछ इस तरह सड़क पर आलू फेंककर और संगठनों ने जताया विरोध- फोटो- साभार पंजाब केसरी

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