वर्ष 2018 में पराली जलाने की घटनाओं में 41% कमी आई, पंजाब सरकार और ज्यादा रोकथाम के लिए मशीनों पर सब्सिडी देगी
गाँव कनेक्शन 13 Aug 2019 11:37 AM GMT
वर्ष 2018 में पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने कहा है कि जनता और निजी प्रयासों के जरिए इस तरह की चुनौतियों का कारगर तरीके से मुकाबला किया जा सकता है। वहीं पंजाब सरकार ने पराली की रोकथाम के लिए मशीनों पर सब्सिडी देने का फैसला लिया है।
पंजाब कृषि विभाग किसानों को इस वित्त वर्ष के दौरान 278 करोड़ रुपए की सब्सिडी पर 28,000 से ज्यादा मशीनें देगी।
पंजाब के कृषि सचिव एस पन्नू ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, "सरकार पराली की रोकथाम के लिए किसानों को अत्याधुनिक मशीनें देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। कृषि विभाग को रियायती मशीनों के लिए अब तक किसानों, किसान समूहों और सोसाइटियों द्वारा 12,000 से ज्यादा आवेदन मिले हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि पराली की रोकथाम के लिए इस योजना के तहत किसानों को 50 से 80 फीसदी तक की रियायत दी जा रही है। सहकारी संगठनों को 80 फीसदी तक सब्सिडी दी जाएगी जबकि अकेले लेने वाले किसानों को 50 फीसदी की रियायत दी जाएगी।
यह भी पढ़ें- ग्रामीण बच्चों की सेहत को प्रभावित कर रहा पराली का प्रदूषण
कृषि सचिव ने बताया कि पहले चरण में लगभग 15,000 मशीनें किसानों को दी जाएंगी जिस पर 50 फीसदी के अनुदान पर मशीनों दी जाएंगी। अन्य 13,000 कृषि मशीनों को लगभग 2,200 किसान समूहों को 80 फीसदी की सब्सिडी पर मशीनें दी जाएंगी। उन्होंने आगे कहा कि किसानों को नई मशीनें फसल आवक से पहले 15 सितंबर तक दे दी जाएंगी, इसके लिए राज्य सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है।
गौरतलब है कि पराली जलाने को लेकर पिछले साल काफी विवाद हुआ था। दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्र भयंकर प्रदूषण की चपेट में आ गये जिसके लिए पराली को जिम्मेदारी ठहराया जा रहा था। इस पर कृषि सचिव ने कहा किपराली जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में किसानों को जानकारी देने के लिए सूचना शिक्षा संचार (आईईसी) जैसी गतिविधियां राज्य में पहले ही शुरू कर दी गई है। पराली जलाने से न केवल पर्यावरण प्रदूषण होता है, बल्कि इससे मिट्टी की सतह को भी नुकसान पहुंचता है। राज्य में हर साल किसानों द्वारा खेतों पर पराली जलाई जाती है, जबकि राज्य सरकार इसको रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
2018 में पराली जलाने की घटनाओं में 41 प्रतिशत की कमी
उधर आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा नई दिल्ली में कहा कि वर्ष 2016 की तुलना में 2018 में पराली जलाने की घटनाओं में 41 प्रतिशत की कमी आई है। हरियाणा और पंजाब के 4500 से अधिक गांव पराली जलाने से मुक्त हो गये हैं।
वर्ष 2018 में पराली जलाने की घटनाओं में कमी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जनता और निजी प्रयासों के जरिए इस तरह की चुनौतियों का कारगर तरीके से मुकाबला किया जा सकता है। वे नई दिल्ली में मंगलवार को पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कृषि मशीनीकरण को प्रोत्साहन और पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में पराली प्रबंधन संबंधी केन्द्रीय योजना के तहत धान की पराली को जलाने की घटनाओं में 2017 की तुलना में 15 प्रतिशत और 2016 की तुलना में 41 प्रतिशत की कमी आई है।
डॉ. महापात्रा ने बताया कि 2018 में हरियाणा और पंजाब के 4500 से अधिक गांव पराली जलाने से मुक्त घोषित किए गए हैं। इस दौरान पराली जलाने की एक भी घटना नहीं हुई है।
उन्होंने आगे कहा की केन्द्र सरकार ने 2018-19 से 2019-20 की अवधि के लिए कुल 1151.80 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है, ताकि वायु प्रदूषण को दूर किया जा सके और पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पराली प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनों पर सहायता प्रदान की जा सके। योजना लागू होने के एक साल के भीतर 500 करोड़ रुपए का इस्तेमाल करते हुए भारत के उत्तर-पश्चिमी राज्यों के 8 लाख हेक्टेयर जमीन पर सीडर प्रौद्योगिकी अपनाई गई है।
वर्ष 2018-19 के दौरान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के लिए क्रमश: 269.38 करोड़ रुपए, 137.84 करोड़ रुपए और 148.60 करोड़ रुपए जारी किए गए। इसी तरह वर्ष 2019-20 के दौरान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के लिए क्रमश: 273.80 करोड़ रुपए, 192.06 करोड़ रुपए और 105.29 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।
आईसीएआर इस योजना को 60 कृषि विज्ञान केन्द्रों के जरिए लागू कर रहा है, जिनमें से पंजाब के 22, हरियाणा के 14, दिल्ली का 1 और उत्तर प्रदेश के 23 केन्द्र शामिल हैं। बैनर और होर्डिंग के जरिए जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके अलावा गांव स्तर पर 700,200 किसान गोष्ठियों, 86 किसान मेलों और 250 स्कूलों तथा कॉलेजों के जरिए जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
More Stories