प्याज, आलू के बाद अब महंगी हो सकती है चीनी, उत्पादन में 35 फीसदी गिरावट

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प्याज, आलू के बाद अब महंगी हो सकती है चीनी, उत्पादन में 35 फीसदी गिरावट

प्याज, आलू, दाल और सब्जियों के बाद चीनी की कीमत रसोई का बजट बिगाड़ सकती है। देश में चीनी का उत्पादन चालू सीजन में 35 फीसदी कम हो गया है। ऐसे में नये साल में चीनी की कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने बुधवार को जारी अपने रिपोर्ट में बताया कि चीनी उत्पादन चालू मार्केटिंग सीजन में 15 दिसंबर तक 35 फीसदी गिरकर 45.8 लाख टन पर आ गया है। मार्केटिंग वर्ष 2018-19 में इसी अवधि में चीनी की उत्पादन 70.5 लाख टन था। इस्मा निजी मिलों का सबसे बड़ा संगठन है। इस्मा ने बताया कि 15 दिसंबर 2019 तक 406 मिलों में गन्ने की पेराई चल रही है जबकि पिछले साल इस अवधि में 473 मिलों में पेराई चल रही थी।

रिपोर्ट में बताया गया है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्रा पेराई देर से शुरू होने के कारण उत्पादन पर असर पड़ा है। चालू सीजन में महाराष्ट्र में 15 दिसंबर तक चीनी का उत्पादन का लगभग 74 फीसदी जबकि कर्नाटक में 24 फीसदी कम हुआ है। हालांकि सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन इस दौरान 12 फीसदी से भी ज्यादा रहा है।

कम उत्पादन के चलते नये वर्ष में चीनी की कीमतें बढ़ सकती है। प्याज और महंगी सब्जियों के बाद चीनी किचन का बजट बिगड़ सकता है। एग्री एक्सपोर्ट के जानकार विजय सरदाना कहते हैं, " उत्पादन भले ही कम हो लेकिन निर्यात में कमी नहीं आयेगी। निर्यात मांग का अनुमान पहले ज्यादा है। ऐसे में मिल मालिकों को तो फायदा होगा लेकिन आम लोगों पर महंगाई की मार पड़ेगी।"

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उत्तर प्रदेश चीनी उत्पादन के मामले में इस बार भी नंबर एक बना हुआ है। चालू सीजन में राज्य में 15 दिसंबर तक 21.1 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका जो कि पिछले साल की अपेक्षा 12.17 फीसदी ज्यादा है। राज्य में इस समय 119 चीनी मिलों में गन्ना पेराई का काम चल रहा है जबकि पिछले साल इस समय 116 चीनी मिलों में पेराई चल रही थी।

देश के दूसरे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और कर्नाटक में उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गई है। बात अगर महाराष्ट्र की करें तो यहां चीनी मिलें 15 दिसंबर तक 7.66 लाख टन चीनी उत्पादन कर सकी हैं जबकि पिछले साल इस अवधि में 29 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। राज्य में 15 दिसंबर तक 124 चीनी मिलों में गन्ने की पेराई चल रही थी जबकि पिछले साल सामान्य अवधि में राज्य की 178 चीनी मिलों में पेराई का काम चल रहा था।

महाराष्ट्र में चीनी सीजन 2018-19 के दौरान महाराष्ट्र में 107 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था जो इस बार घटकर 58 लाख टन तक पहुंच सकता है। खराब मौसम को महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन में कमी का कारण माना जा रहा है। खराब मौसम के कारण गन्ना का रकबा घट गया था।

चीनी उत्पादन में कर्नाटक देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। राज्य में 15 दिसंबर तक चीनी उत्पादन 23.74 फीसदी गिरकर 10.6 लाख टन पर आ गया। पिछले साल यह उत्पादन 13.9 लाख टन था। कर्नाटक में 63 चीनी मिलों में गन्ना पेराई का काम चल रहा है। गुजरात में 1.52 लाख टन, बिहार में 1.35 लाख टन, पंजाब में 75 हजार टन, तमिलनाडु में 73 हजार टन, हरियाणा में 65 हजार टन, मध्य प्रदेश में 35 हजार टन और तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश में मिलाकर 30 हजार टन चीनी का उत्पादन हुआ है।

  

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