गन्ना भुगतान: 3 वर्षों में इथेनॉल बेचकर मिलों ने कमाए 22,000 करोड़ रुपए, अतिरिक्त चीनी के निर्यात से भी सुधरे हालात

केंद्र सरकार का दावा है कि गन्ना आधारित कृषि अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए अतिरिक्त चीनी के निर्यात और चीनी से इथेनॉल बनाने बनाने की प्रक्रिया कारगर साबित हो रही है। इथेनॉल की बिक्री से वर्तमान सत्र में चीनी मिलों को लगभग 15,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिल रहा है।

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
गन्ना भुगतान: 3 वर्षों में इथेनॉल बेचकर मिलों ने कमाए 22,000 करोड़ रुपए, अतिरिक्त चीनी के निर्यात से भी सुधरे हालात

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 में रिकॉर्ड 90,872 करोड़ रुपए के गन्ने की खरीद हुई थी, जिसमें से 81,963 करोड़ रुपए का भुगतान किसानो को कर दिया गया है। जबकि पिछले सत्र 2019-20 का सिर्फ 142 करोड़ रुपए किसानों का बाकी है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक अतिरिक्त चीनी के निर्यात और अतिरिक्त चीनी से इथेनॉल बनाने में आई तेजी से गन्ना मूल्य भुगतान में रफ्तार आई है। इथेनॉल की बिक्री से वर्तमान चीनी सत्र में चीनी मिलों को लगभग 15,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिल रहा है।

उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के 16 अगस्त के आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान सत्र के 90872 करोड़ रुपए के गन्ने के मुकाबले 81963 करोड़ रुपए का भुगतान किसानों को किया जा चुका है और 8,908 करोड़ बाकी है जबकि पिछले चीनी सत्र 2019-20 में, लगभग 75,845 करोड़ रुपये के देय गन्ना बकाये में से 75,703 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया और सिर्फ 142 करोड़ रुपये का बकाया लंबित है।

मंत्रालय के मुताबिक, केन्द्र सरकार चीनी मिलों को सरप्लस चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और चीनी के निर्यात को सहज बनाने के लिए चीनी मिलों को वित्तीय प्रोत्साहन उपलब्ध कराया है, जिससे उनकी लिक्विडिटी (तरल मनी) की स्थिति में सुधार हो और उन्हें गन्ना किसानों के गन्ना मूल्य के समयबद्ध भुगतान में सक्षम बनाया जा सके।

पिछले 3 सत्रों 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में, क्रमशः लगभग 6.2 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी), 38 एलएमटी और 59.60 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया। वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) में, सरकार चीनी के 60 एलएमटी निर्यात को आसान तक बनाने के लिए 6000 रुपए प्रति मीट्रिक टन की आर्थिक सहायता भी दे रही है।

इथेनॉल, गन्ने और चीनी बनाया जाऩे वाला अतिरिक्त उत्पाद है,जिसे पेट्रोल में मिलाया जाता है। ये पेट्रोल के मुकाबले काफी सस्ता पड़ता है। सरकार का दावा है कि हरित ईंधन का उद्देश्य पूरा होता है, बल्कि कच्चे तेल के आयात के मद में विदेशी मुद्रा की भी बचत होती है। इसके साथ ही एथेनॉल बनाने से चीनी मिलों को अतिरिक्त आमदनी होती है।

मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 2 चीनी सत्रों 2018-19 और 2019-20 में, लगभग 3.37 लाख मीट्रिक टन और 9.26 एलएमटी चीनी से एथेनॉल बनाया गया है। वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 में, 20 एलएमटी से एथेनॉल बनाए जाने का अनुमान है। जबकि आगामी चीनी सत्र 2021-22 में, लगभग 35 एलएमटी चीनी को परिवर्तित किए जाने का अनुमान है जबकि 2024-25 तक 60 एलएमटी चीनी को एथेनॉल में परिवर्तित करने का लक्ष्य है। सरकारी बयान के मुताबिक 2024-25 तक चीनी मिलों में अतिरिक्त डिस्टिलेशन क्षमता जुड़ जाएगी, इसलिए 2-3 वर्षों तक अतिरिक्त चीनी का निर्यात जारी रहेगा।

एक निजी चीनी मिल में चीनी की बोरी पैक करता श्रमिक। फोटो-अरविंद शुक्ला

तीन वर्षों में इथेनॉल बेचकर मिलों ने कमाया 22,000 करोड़ रुपए

पिछले 3 चीनी सत्रों में चीनी मिलों/ डिस्टिलरियों ने तेल विपणन कंपनियों (OMC) को इथेनॉल की बिक्री से लगभग 22,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है। वर्तमान चीनी सत्र 2020-21 में, चीनी मिलों द्वारा ओएमसी को एथेनॉल की बिक्री से लगभग 15,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिल रहा है, जिससे चीनी मिलों को किसानों को गन्ना बकाये का समय से भुगतान करने में सहायता मिली है।

अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय रॉ शुगर की मांग बढ़ी

पिछले एक महीने में चीनी के अंतर्राष्ट्रीय मूल्य में खासी बढ़ोतरी हुई है और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय रॉ शुगर की मांग खासी ज्यादा है, इसे देखते हुए सीएएफएंडपीडी मंत्रालय ने सभी चीनी मिलों के लिए परामर्श जारी किया है कि आगामी चीनी सत्र 2021-22 की शुरुआत से ही रॉ शुगर के उत्पादन की योजना बनाई जानी चाहिए और चीनी के ऊंचे अंतर्राष्ट्रीय मूल्य व वैश्विक कमी का फायदा लेने के लिए आयातकों के साथ अग्रिम अनुबंध करने चाहिए। चीनी का निर्यात और चीनी से इथेनॉल बनाने वाली चीनी मिलों को घरेलू बाजार में बिक्री के लिए अतिरिक्त मासिक घरेलू कोटा के रूप में प्रोत्साहन भी दिया जाना चाहिए।

क्या हैं इसके फायदे

इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है, जिसे पेट्रोल में मिलाकर फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इथेनॉल का उत्पादन यूं तो मुख्य रूप से गन्ने की फसल से होता है लेकिन शर्करा वाली कई अन्य फसलों से भी इसे तैयार किया जा सकता है। ये पर्यावरण अनुकूल ईंधन है। इसमें कम कॉर्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड को कम उत्सर्जन होता है।



#sugarcane #Sugarcane crop #sugar mills #story 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.