आज क्या होगा चेरी का भाव? रियल-टाइम AI सिस्टम से मिलेगा सटीक अनुमान
Gaon Connection | Dec 13, 2025, 14:36 IST
भारत में चेरी जैसे ज़ल्दी खराब होने वाले और महंगे फलों की कीमतें अब अंदाज़ों पर नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर तय होंगी। वैज्ञानिकों ने डीप लर्निंग आधारित ऐसा सिस्टम विकसित किया है, जो अलग-अलग मंडियों से मिलने वाले रियल-टाइम डेटा के आधार पर रोज़ाना चेरी के दामों का बेहद सटीक पूर्वानुमान देता है।
भारत में चेरी एक कीमती वाली लेकिन जल्दी खराब होने फसल मानी जाती है। इसकी कीमतें हर दिन बदलती रहती हैं और ज़रा-सी ग़लती किसानों, व्यापारियों और नीति-निर्माताओं सभी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए भारतीय वैज्ञानिकों ने डीप लर्निंग आधारित एक उन्नत प्रणाली विकसित की है, जो चेरी की कीमतों का सटीक और रियल-टाइम पूर्वानुमान करने में सक्षम है।
Scientific Reports में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह जानने की कोशिश की कि क्या आधुनिक डीप लर्निंग मॉडल न केवल पारंपरिक सांख्यिकीय तरीकों से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं, बल्कि उन्हें रोज़मर्रा की बाजार सलाह प्रणाली में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस शोध के लिए भारत की पाँच प्रमुख थोक मंडियों से वर्ष 2012 से 2024 तक के रोज़ाना चेरी मूल्य डेटा का विश्लेषण किया गया।
अध्ययन में कुल छह पूर्वानुमान विधियों की तुलना की गई, SARIMA और Prophet जैसे पारंपरिक सांख्यिकीय मॉडल, Random Forest और XGBoost जैसे मशीन लर्निंग मॉडल, और दो अत्याधुनिक डीप लर्निंग मॉडल: LSTM (Long Short-Term Memory) और Transformer। नतीजे साफ़ थे, चेरी की कीमतों में आने वाले जटिल और गैर-रेखीय (non-linear) उतार-चढ़ाव को डीप लर्निंग मॉडल कहीं बेहतर ढंग से पकड़ पाए।
विशेष रूप से LSTM और Transformer मॉडल सभी प्रमुख मापदंडों, MAE, RMSE, sMAPE, MFE, NMBE और Directional Accuracy, पर सबसे आगे रहे। इन मॉडलों ने न सिर्फ़ कीमत की दिशा बताई, बल्कि यह भी दिखाया कि कितनी तेज़ी से और कितनी मात्रा में बदलाव हो सकता है।
इस शोध की सबसे अहम बात यह रही कि यह प्रयोग सिर्फ़ लैब तक सीमित नहीं रहा। वर्ष 2025 के चेरी सीज़न के दौरान सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले LSTM मॉडल को एक लाइव, वेब-आधारित सिस्टम के रूप में तैनात किया गया। इस सिस्टम में मंडी अधिकारियों ने ज़मीनी हालात के आधार पर रियल-टाइम डेटा डाला और मॉडल ने रोज़ाना कीमतों का पूर्वानुमान जारी किया।
सीज़न खत्म होने के बाद जब अनुमानित कीमतों की तुलना वास्तविक मंडी भावों से की गई, तो नतीजे चौंकाने वाले थे। बाजार-किस्म-ग्रेड के अलग-अलग संयोजनों में यह सिस्टम 92 प्रतिशत से अधिक सटीकता के साथ सही साबित हुआ। आज़ादपुर, नरवाल और परिमपोरा जैसी बड़ी मंडियों में sMAPE अक्सर 5 से 10 प्रतिशत के भीतर रहा, जबकि औसत त्रुटि (MAE) और RMSE भी काफी कम दर्ज की गई।
सांख्यिकीय रूप से भी डीप लर्निंग की श्रेष्ठता साबित हुई। Diebold–Mariano टेस्ट ने दिखाया कि LSTM और Transformer मॉडल पारंपरिक तरीकों की तुलना में स्पष्ट रूप से बेहतर हैं। इसका मतलब है कि यह सिर्फ़ संयोग नहीं, बल्कि ठोस वैज्ञानिक बढ़त है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि यह अध्ययन भारत के कृषि और सहायक क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल की दिशा में एक नया रास्ता खोलता है। यह मॉडल न केवल चेरी, बल्कि अन्य नाशवान और उच्च-मूल्य वाली फसलों की कीमतों के पूर्वानुमान में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे किसानों को बेहतर दाम पर बिक्री का मौका मिलेगा, व्यापारियों को सप्लाई चेन प्रबंधन में मदद मिलेगी और सरकार को समय पर नीतिगत हस्तक्षेप के लिए ठोस डेटा मिलेगा।
कुल मिलाकर, यह अध्ययन दिखाता है कि अगर डीप लर्निंग को ज़मीनी हकीकत और रियल-टाइम डेटा से जोड़ा जाए, तो भारतीय कृषि बाज़ारों में अनिश्चितता को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
Scientific Reports में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह जानने की कोशिश की कि क्या आधुनिक डीप लर्निंग मॉडल न केवल पारंपरिक सांख्यिकीय तरीकों से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं, बल्कि उन्हें रोज़मर्रा की बाजार सलाह प्रणाली में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस शोध के लिए भारत की पाँच प्रमुख थोक मंडियों से वर्ष 2012 से 2024 तक के रोज़ाना चेरी मूल्य डेटा का विश्लेषण किया गया।
अध्ययन में कुल छह पूर्वानुमान विधियों की तुलना की गई, SARIMA और Prophet जैसे पारंपरिक सांख्यिकीय मॉडल, Random Forest और XGBoost जैसे मशीन लर्निंग मॉडल, और दो अत्याधुनिक डीप लर्निंग मॉडल: LSTM (Long Short-Term Memory) और Transformer। नतीजे साफ़ थे, चेरी की कीमतों में आने वाले जटिल और गैर-रेखीय (non-linear) उतार-चढ़ाव को डीप लर्निंग मॉडल कहीं बेहतर ढंग से पकड़ पाए।
विशेष रूप से LSTM और Transformer मॉडल सभी प्रमुख मापदंडों, MAE, RMSE, sMAPE, MFE, NMBE और Directional Accuracy, पर सबसे आगे रहे। इन मॉडलों ने न सिर्फ़ कीमत की दिशा बताई, बल्कि यह भी दिखाया कि कितनी तेज़ी से और कितनी मात्रा में बदलाव हो सकता है।
Diebold–Mariano टेस्ट ने दिखाया कि LSTM और Transformer मॉडल पारंपरिक तरीकों की तुलना में स्पष्ट रूप से बेहतर हैं। इसका मतलब है कि यह सिर्फ़ संयोग नहीं, बल्कि ठोस वैज्ञानिक बढ़त है।
इस शोध की सबसे अहम बात यह रही कि यह प्रयोग सिर्फ़ लैब तक सीमित नहीं रहा। वर्ष 2025 के चेरी सीज़न के दौरान सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले LSTM मॉडल को एक लाइव, वेब-आधारित सिस्टम के रूप में तैनात किया गया। इस सिस्टम में मंडी अधिकारियों ने ज़मीनी हालात के आधार पर रियल-टाइम डेटा डाला और मॉडल ने रोज़ाना कीमतों का पूर्वानुमान जारी किया।
सीज़न खत्म होने के बाद जब अनुमानित कीमतों की तुलना वास्तविक मंडी भावों से की गई, तो नतीजे चौंकाने वाले थे। बाजार-किस्म-ग्रेड के अलग-अलग संयोजनों में यह सिस्टम 92 प्रतिशत से अधिक सटीकता के साथ सही साबित हुआ। आज़ादपुर, नरवाल और परिमपोरा जैसी बड़ी मंडियों में sMAPE अक्सर 5 से 10 प्रतिशत के भीतर रहा, जबकि औसत त्रुटि (MAE) और RMSE भी काफी कम दर्ज की गई।
सांख्यिकीय रूप से भी डीप लर्निंग की श्रेष्ठता साबित हुई। Diebold–Mariano टेस्ट ने दिखाया कि LSTM और Transformer मॉडल पारंपरिक तरीकों की तुलना में स्पष्ट रूप से बेहतर हैं। इसका मतलब है कि यह सिर्फ़ संयोग नहीं, बल्कि ठोस वैज्ञानिक बढ़त है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि यह अध्ययन भारत के कृषि और सहायक क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल की दिशा में एक नया रास्ता खोलता है। यह मॉडल न केवल चेरी, बल्कि अन्य नाशवान और उच्च-मूल्य वाली फसलों की कीमतों के पूर्वानुमान में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे किसानों को बेहतर दाम पर बिक्री का मौका मिलेगा, व्यापारियों को सप्लाई चेन प्रबंधन में मदद मिलेगी और सरकार को समय पर नीतिगत हस्तक्षेप के लिए ठोस डेटा मिलेगा।
कुल मिलाकर, यह अध्ययन दिखाता है कि अगर डीप लर्निंग को ज़मीनी हकीकत और रियल-टाइम डेटा से जोड़ा जाए, तो भारतीय कृषि बाज़ारों में अनिश्चितता को काफी हद तक कम किया जा सकता है।