गाँव से शहर आते ही चार गुना महंगी हो जाती हैं सब्ज़ियां

दिवेंद्र सिंह | Sep 16, 2016, 16:17 IST
India
लखनऊ। गाँव के पास सरोजनीनगर इलाके की बाजार में भिंडी 10-15 रुपये किलो बिक रही है तो गोमतीनगर में 40 रुपये किलो की बिक्री की जा रही है। यानि शहर के एक कोने से दूसरे कोने के बीच एक ही सब्जी की फसल में 25-30 रुपए का अंतर। इस अंतर से न तो किसानों को फायदा हुआ न ही नागरिक को, फायदा सिर्फ बिचौलिए ने उठाया।

उन्नाव जिले के हसनगंज ब्लॉक के नसरतपुर गाँव के किसान प्रभाशंकर सिंह (48) अपनी दो बीघा जमीन में भिंडी, लौकी, करेला और तरोई जैसी सब्जियां उगाते हैं। प्रभाशंकर गाँव के पास ही लगने वाली साप्ताहिक बाजार में सब्जियां सस्ते दामों पर बेच भी देत हैं, लेकिन इस बार उनकी लागत नहीं निकल पा रही है। वो बताते हैं, "हमारा खर्च सब्जियों से ही चलता है, इतनी खेती नहीं है कि मण्डी तक अपनी सब्जियां ले जाएं। बाजार में जो भाव चलता है उसी में सब्जियां बेचनी पड़ती हैं।"

प्रभाशंकर आगे कहते हैं, "इस बार खेती में खर्च भी ज्यादा लगा है, लेकिन तरोई चार-पांच रुपये किलो तो करेला दस रुपये किलो में बिक रहा है।" शहर से गाँव में सब्जियों के दाम में चार गुना का अंतर है। गोमती नगर के विपुल खंड में सब्जी की दुकान लगाने वाले असगर अहमद सीतापुर रोड स्थित गल्ला मंडी से सब्जी खरीद कर लाते हैं। ऊंचे भाव पर सब्जी बेचने के प्रश्न पर वो कहते हैं, "जैसे हमें मिलती है, उसी दाम में हम सब्जियां बेचते हैं"।

गोमती नगर में भिंडी चालीस रुपये किलो तो गाँव में दस रुपये में बिक रही है, वहीं कद्दू शहर में बीस रुपये तो गाँव में पांच रुपये किलो में बिक रहा है। शहर के सब्जी बाजार में स्थानीय सब्जियां, लौकी, कद्दू, तरोई, बैंगन, भिंडी, करेला, टिंडा और पालक जैसी हरी सब्जियां मौजूद हैं। गाँव में एक ओर जहां किसान अपनी खेती की लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं, शहर के सब्जी विक्रेताओं को उनसे दोगुना-तीगुना दाम मिल रहा है। निशातगंज, कैसरबाग, अमीनाबाद, पुरनिया, भूतनाथ, गोमतीनगर मिठाई चौराहा, नरही समेत कई खास सब्जी बाजार में सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं।

खेत से लेकर ठेलों तक सब्जी पहुंचते-पहुंचते होने वाली इस महंगाई के बारे में पूछने पर नवीन गल्ला मंडी के आढ़ती संजय सोनकर बताते हैं, "खेत से मंडी तक किराया भाड़ा लगता है। मंडी में छटाई के उत्पाद का वजन कम होता है, साथ ही 10 से 20 फीसदी खराब गुणवत्ता के चलते हटा दिया जाता है। फिर मंडी शुल्क, आढ़त का खर्च पड़ता है। उसके बाद कुछ माल फुटकर विक्रेता के पास सड़ जाता है, ऊपर से उसकी मजदूरी और दूसरे खर्चे लगते हैं। इसलिए शहर में सब्जी महंगी बिकती है।"

लखनऊ और आसपास के बड़े किसान स्थानीय बाजारों की अपेक्षा शहर की मंडियों में ही सब्जी बेचते हैं। सब्जी मंडी से शहर के सब्जी विक्रेता खरीदकर उन्हें महंगे दाम में नागरिकों को बेचते हैं।

मण्डी में सब्जी बेचने आने वाले सरोजनीनगर के बंथरा गाँव के एक बड़े किसान रामअवतार वर्मा दूसरे-तीसरे दिन आलमबाग मंडी में सब्जी बेचने आते हैं। रामअवतार बताते हैं, "अगर हम लोग गाँव की बाजार में सब्जी बेचते हैं, तो बहुत कम दाम मिलता है, इसीलिए मैं दूसरे-तीसरे दिन आलमबाग मंडी में आ जाता हूं। यहां पर ज्यादा दाम मिलता है"।

सब्जियों की खेती में घाटा बढ़ने की एक वजह सूखे के चलते सिंचाई की लागत बढ़ना भी है। पहले जहां एक घंटे में एक बीघा की सिंचाई हो जाती थी, अब दो घंटे लग जाते हैं। नसरतगंज के किसान राम प्रसाद कहते हैं, "दो साल पहले तक एक घंटे की सिंचाई का किराया 100 रुपये था, अब उसी एक घंटे का 125 रुपये लगने लगा है, अब तो सिंचाई में भी ज्यादा समय लगता है। पहले जिस डीजल इंजन ट्यूबवेल इंजन से एक घंटे में एक बीघा की सिंचाई होती थी, लेकिन अब डेढ़ घंटे से ज्यादा समय लग जाता है।"

Tags:
  • India

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.