अरहर खरीद अवधि बढ़ने से किसानों को राहत

Bidyut Majumdar | Mar 28, 2017, 19:21 IST
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लखनऊ। पछेती अरहर की खेती कर रहे किसानों को सरकार द्वारा बढ़ाई गई अरहर खरीद की अवधि का लाभ मिल सकता है। केंद्र ने इस वर्ष अरहर दाल की सरकारी खरीद अवधि 15 अप्रैल तक बढ़ा दी है।
अरहर खरीद का समय बढ़ाए जाने से मझोले किसानों को अच्छे दाम मिलने की बात कहते हुए लखनऊ की नवीन गल्ला मंडी में पिछले 20 वर्षों से दालों का व्यापार कर रहे सतीश चंद्र 58 वर्ष बताते हैं ," मंडी में बाराबंकी ,सीतापुर उन्नाव और फैजाबाद जिलों की गल्ला मिलें अरहर खरीदती हैं। सरकारी दाल खरीद का समय बढ़ जाने से अब सरकारी मिलों के पास दाल खरीदने का अधिक समय होगा। इसलिए इस वर्ष पिछले साल की तुलना में अरहर अच्छी बिकेगी।"
वित्त मंत्रालय, भारत सरकार ने इस वर्ष दलहनी फसलों के रिकॉर्ड उत्पादन के कारण सभी राज्यों को दिए गए मूल्य स्थिरीकरण कोष समिति की मदद से अागामी 15 अप्रैल तक अरहर की खरीद अवधि बढ़ा दी है।

मंडियों में बनाया जा रहा दाल का स्टॉक " पछेती अरहर अभी झांसी की मंडियों में आना शुरू हो गयी है। लखनऊ की मंडियों में फिलहाल पछेती अरहर तीन चार दिन में आना शुरू हो जाएगी। इस समय मंडी में अरहर का रेट 48,00 से 5,500 रूपए प्रति कुंतल चल रहा है।" सतीश चंद्र आगे बताते हैं।

कृषि मंत्रालय, भारत सरकार व्दारा जारी किए गए आंकड़ो के अनुसार इस वर्ष देश में 20 लाख टन ( 10 लाख टन घरेलू दाल खरीद ,10 लाख टन आयातित दाल खरीद ) दलहनी फसलों का बफर स्टॉक बनाया जाना है। मौजूद समय में देश के घरेलू उत्पादन की मदद से अभी तक 6.1 लाख टन दाल खरीदी जा चुकी है।घरेलू दलहन स्टॉक को बढ़ाने के लिए सरकार ने खरीद अवधि बढ़ाई है।

सरकार द्वारा अरहर की खरीद अवधि बढ़ाए जाने को एक बेहतर कदम मानते हुए यूपी दाल एवं राईस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष भारत भूषण गुप्ता बताते हैं," इस बार पिछलेे वर्ष की तुलना में प्रदेश में अरहर का रकबा बढ़ा है। इस समय पछेती अरहर कटने का समय है। इसलिए यह स्वाभाविक है कि खरीद का समय बढ़ जाने से किसानों को अधिक मुनाफा मिल सकता है।"

अरहर की खरीद का समय बढ़ जाने से न केवल गल्ला मिलों व किसानों को राहत मिलेगी बल्कि इसकी मदद से प्रदेश में पछेती अरहर के व्यापार में भी इजाफा हो सकता है। " पछेती अरहर की (यूपीएएस-120, यूपीएएस-125 और यूपीएएस-151) जैसी किस्मे देर से उगती हैं। अभी तक इन किस्मों के देर से उगने के कारण किसान इन्हें थोक व्यापारियों को बेच देते थें। खरीद अवधि बढ़ जाने से इन किस्मों को भी सरकारी दामों पर बेचा जा सकेगा।" दिनेश चंद्र, सह निदेशक कृषि विपणन एवं विदेश व्यापार ,उत्तर प्रदेश ने बताया।

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