'इजरायल, ब्राजील की इस तकनीक को अपनाया तो महंगा नहीं होगा प्याज'

Mithilesh Dhar | Nov 13, 2019, 12:00 IST
#onion price
प्याज की कीमतें एक बार फिर आसमान छू रही हैं। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। लेकिन प्याज की इन बढ़ती कीमतों को रोका जा सकता है। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) ने एक अध्ययन के बाद कहा है कि भारत इजरायल और ब्राजील जैसे देशों की तकनीक अपनाकर प्याज की कीमतों को नियंत्रित कर सकता है।

भारत के व्यापारिक संगठनों के संघ फिक्की ने भंडारण व्यवस्था में सुधार पर जोर देते हुए कहा है कि अभी प्याज के भंडारण की जो भी सुविधाएं हैं वो सभी महंगी हैं। ऐसे में जरूरी है कि खेत के आसपास भंडारण की व्यवस्था होनी चाहिए। ब्राजील में प्याज की खरीद और भंडारण व्यवस्था उनके खेतों के पास ही होती है। इसके लिए वे हवादार भंडारण (साइलो) प्रणाली का उपयोग करते हैं। उनके पास कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था भी सबसे उच्च क्वालिटी वाली होती है। भारत के अलग-अलग हिस्सों में प्याज की खेती सालभर होती है ऐसे में जुलाई, अगस्त और सितंबर महीने को छोड़कर बाजार में हमेशा फ्रेश प्याज की उपलब्धता हो सकती है।

आगे उन्होंने कहा है कि जहां नुकसान ज्यादा है वहां कटाई के बाद प्याज को लगभग तीन महीने तक पारंपरिक हवादार गोदामों में रखना चाहिए क्योंकि कटाई के बाद ही प्याज की 20 से 40 फीसदी फसल उचित रखरखाव न होने के कारण खराब हो जाती है। ऐसे में अगर देश में इजरायल और ब्राजील की तकनीक अपनाई जाती है तो नुकसान को 5-10 फीसदी तक समेटा जा सकता है। भारत के कुल प्याज उत्पादन में कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश का योगदान 60 फीसदी है और इन सभी राज्यों में बारिश का चक्र बदला है।

तमाम कवायदों के बावजूद सरकार प्याज की कीमतों पर नियंत्रण नहीं लगा पा रही है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने बीते शनिवार को ट्वीट करके बताया था कि सरकार ने प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एक लाख टन प्याज के आयात का फैसला लिया है।

लेकिन सरकार के इस फैसले का अभी तक तो कोई असर नहीं दिखा है। दिल्ली की आजादपुर मंडी में सोमवार को प्याज के थोक दाम में 500 रुपए प्रति कुंतल की वृद्धि दर्ज की गई। आजादपुर मंडी में शनिवार को जहां प्याज का थोक भाव 35-55 रुपए प्रति किलो था वहीं सोमवार को थोक भाव 40-60 रुपए प्रति किलो हो गया। बाजार में यह कीमत 80 से 100 रुपए प्रति किलो है।

फिक्की ने प्याज की बढ़ती कीमतों पर किये गये इस अध्ययन रिपोर्ट को सरकार को सौंप दिया है। रिपोर्ट में बताया है कि देश में भंडारण की व्यवस्था ठीक नहीं है। ऐसे में कटाई के बाद अगर बरसात होती है तो लगभग 40 फीसदी प्याज खराब हो जाता है। ऐसे में सरकार को चाहिए वे प्याज को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से हटा दें। साथ ही मंडियों की स्थिति में भी सुधार की आवश्यकता है। प्याज में पानी की मात्रा ज्यादा होती है इस लिहाज उसके भंडारण पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

देश में प्याज की कीमतें आसमान छू रही हैं लेकिन महाराष्ट्र में किसान 50 रुपए बोरी प्याज बेचने को मजबूर हैं। क्योंकि भारी बारिश के बाद घरों में रखा प्याज सड़ रहा है। ऐसे में वे इसे किसी भी भाव में बेचने को तैयार हैं। लातूर मंडी के प्याज व्यापारी और किसान इलियास कहते हैं, " जिस प्याज की कीमत इस समय 30 से 40 रुपए प्रति किलो होनी चाहिए वो इतने में एक बोरी बेच रहे हैं। कई किसान तो प्याज फेंककर जा रहे हैं।"

342094-whatsapp-image-2019-11-11-at-130717
342094-whatsapp-image-2019-11-11-at-130717
महाराष्ट्र के लातुर की एक मंडी में रखा प्याज फिक्की ने अपनी वेबसाइट पर इस मामले को लेकर पूरी जानकारी दी है। उसमें उन्होंने लिखा है, " प्याज की बढ़ी कीमतों के पीछे कई कारण हैं। हालांकि प्याज की कीमतें मौसम के कारण घटती-बढ़ती रहती हैं। ऐसे में सरकार को दूरदर्शी कदम उठाने चाहिए। इसके लिए ब्राजील और इजरायाल मॉडल का अध्ययन करके प्याज भंडारण के लिए कम लागत वाली आधुनिक तकनीक पर खर्च करने की जरूरत है।"

वर्ष 2017 में इमर्सन क्लाइमेट टेक्नोलॉजीज इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सालाना 44,000 करोड़ रुपए का फल-सब्जी और अनाज बर्बाद हो जाता है। सीफेट की ही एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में लगभग 6.1 करोड़ टन कोल्ड स्टोरेज की जरूरत है, ताकि बड़ी संख्या में फल, अनाज के साथ खाद्यान्न खराब न हो। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश भर में हर साल कोल्ड स्टोरेज के अभाव में 10 लाख टन प्याज बाजार में नहीं पहुंच पाता है।

देशभर में फल-सब्जियों के भंडारण के लिए जितने कोल्ड स्टोरेज हैं, लगभग उतने ही और चाहिए। देशभर में इस समय भारत सरकार की रिपोर्ट की मानें तो 6300 कोल्ड स्टोरेज हैं, जिनकी भंडारण क्षमता 3.1 करोड़ टन है। जबकि देश में लगभग 6.1 करोड़ टन कोल्ड स्टोरेज की जरूरत है ताकि बड़ी संख्या में फल, अनाज के साथ खाद्यान्न खराब न हो और किसानों को इसका लाभ मिले।



उद्योग मंडल एसोचैम के पूर्व महासचिव डीएस रावत ने वर्ष 2017 में अध्ययन के हवाले से कहा था "भारत के पास करीब 6,300 कोल्ड स्टोरेज की सुविधा मौजूद है जिसकी कुल भंडारण क्षमता तीन करोड़ 1.1 लाख टन की है। इन स्थानों पर देश के कुल जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों के करीब 11 प्रतिशत भाग का भंडारण कर पाता है।

वर्ष 2018-19 में भारत ने 3,468 करोड़ रुपए में 2.1 करोड़ कुंतल प्याज निर्यात किया जबकि इस वर्ष प्याज आयात करने की नौबत नहीं आई। इसके पिछले वर्ष 2017-18 में भारत ने लगभग 11 करोड़ रुपए से 65925.85 कुंतल प्याज आयात किया जबकि 3088 करोड़ रुपए का 15.88 लाख कुंतल प्याज निर्यात भी किया। लेकिन 2019-20 की स्थिति ठीक नहीं लग रही।

नई दिल्ली की आजादपुर मंडी के कारोबारी और ऑनियन मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा भी कहते हैं प्याज की बढ़ी कीमतों के लिए खराब मौसम ज्यादा जिम्मेदार है। वे बताते हैं, "कर्नाटक और महाराष्ट्र में भारी बारिश की वजह से प्याज की फसल बर्बाद हुई, साथ ही, उधर से आवक भी रुक गई है जिस कारण प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। उधर, मध्य प्रदेश में लगातार बारिश हुई जिस कारण प्याज की आवक रुक कई और इधर कीमत बढ़ गई।"

Tags:
  • onion price
  • story

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.