फूड प्रोसेसिंस सेक्टर को इस बजट से हैं कई उम्मीदें, जानें बजट में क्या चाहते हैं एक्सपोटर्स

Devanshu Mani Tiwari | Jan 30, 2018, 14:50 IST
Union Budget 2018
किसानों की आमदनी साल 2022 तक दोगुनी करने के लिए केंद्र सरकार इस बजट को अपने आखिरी मौके की तरह ले रही है। वित्तमंत्री अरूण जेटली यह साफ कर चुके हैं कि इस बार के बजट में एग्रीकल्चर फूड प्रोसेसिंस सेक्टर पर काफी फोकस करेगी। आइए जानते हैं कि देश में सब्जियों के बाज़ार और एग्रीकल्चर फूड प्रोसेसिंस सेक्टर को इस बजट से क्या उम्मीदें हैं।

मेक इन इंडिया के मुताबिक भारत दुनिया में फूड और फूड प्रोडक्टस के निर्यात में 12वें स्थान पर है। देश में फूड प्रोसेसिंस सेक्टर से अनाज मिलिंग, चीनी, खाद्य तेल, पेय पदार्थ, फलों और सब्जियों के प्रसंस्करण और डेयरी उत्पाद से संबंधित जुड़े उद्योग जुड़े हैं। भारत में मौजूदा समय में 37,000 से अधिक रजिस्टर्ड फूड प्रोसेसिंग यूनिट हैं।

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) में रजिस्टर्ड एक्सपोर्टर गुजरात बायोटेक प्राईवेट लिमिटेड श्रीलंका, बांग्लादेश, इजिप्ट और दुबई में तेल और मसालों को निर्यात करती है। कंपनी के प्रमुख मनोज बाजोरिया को आने वाले सरकार के बजट से काफी उम्मीदे हैं। मनोज बताते हैं, ''इंडिया में प्रोसेस्ड फूड को एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों को सरकार से हर एक्सपोर्ट पर पांच पर्सेंट इंसेंटिव मिलता है, जो की अच्छा कदम है। लेकिन कई बार हमें फ्रॉड बायर्स से नुकसान सहना पड़ता है।''

वो आगे बताते हैं कि कई बार विदेशी कंपनियां हम से माल मंगवा लेती हैं पर वहां उनका पता गलत मिलता है, या वो कई तरह के बहाने बनाकर माल लेने से मना कर देती हैं, जिससे हमें बहुत नुकसान हो जाता है। ऐसी कंपनियों को सरकार को ब्लैक लिस्टेड करे और उनका नाम सार्वजनिक करें तो इससे एक्पोर्टस को फायदा होगा।

एपीडा के मुताबिक भारत ने खाद्य और कृषि-प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग) क्षेत्र के संबंध में कई परियोजनाएं शुरू करने जा रही है। इसके अलावा, सरकार ने निवेश को ध्यान में रखते हुए फूड प्रोसेसिंग में विदेशी सहयोग, सस्ते औद्योगिक लाइसेंस बनवाने और 100 प्रतिशत निर्यात करने वाली कंपनियों के प्रस्ताव स्वीकार किए हैं। इससे आने वाले समय में फूड प्रोसेसिंग इकाईयों को मदद मिलेगी।

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले की में जुपिटर इंपोर्ट एंड एक्सपोर्ट कंपनी कृषि उत्पाद का निर्यात दुबई, सउदी अरब, इजिप्ट और ईरान जैसे देशों में करते हैं। इस कंपनी के मालिक शुभम अग्रवाल चाहते हैं कि सरकार इस बजट में विदेश भेजे जाने वाले कृषि उत्पादों पर लगने वाले जीएसटी कर को कम करे। शुभम बताते हैं, ''देश में फूड प्रोडक्ट्स के एक्पोर्टर्स के सामने आज सबसे बड़ी परेशानी है शिपमेंट टैक्स की। आज किसी माल को मिडिल ईस्ट देशों में भेजने के लिए उस पर लगने वाले शिपमेंट टैक्स पर काफी खर्चा हो जाता है। अगर इस टैक्स पर सरकार छूट दे, तो हमारे लिए बहुत आराम हो जाएगा।''

हिमाचल प्रदेश में शिमला हिल्स ऑफरिंग प्राईवेट लिमिटेड कंपनी एपीडा से रजिस्टर्ड है और यह विदेशों में आम और आम से जुड़े प्रोसेस्ड फूड का निर्यात करती है। इस कंपनी की व्यापार प्रबंधक पूजा यश बताती हैं, ''अगर आप आम का निर्यात यूरोप में कर रहे हैं, तो आपको कोलंबिया से ज़्यादा एक्सपोर्ट ड्यूटी चुकानी पड़ेगी। अगर सभी देशों को एक जैसे रेट पर एक्सपोर्ट ड्यूटी चुकानी पड़े, तो देशों के बीच कंपटीशन बढ़ेगा और यह सस्ता भी बढ़ेगा। हम चाहते हैं कि सरकार फूड और प्रोसेस्ड फूड पर लगने वाली एक्सपोर्ट ड्यूटी को कम करवाए।''

भारत में पिछले साल निर्यात हुए प्रोसेस्ड कृषि उत्पाद

वर्ष 2016-17 के दौरान भारत का प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स निर्यात 27,263.94 करोड़ रुपए रहा। इसमें शामिल हुए प्रोसेस्ड खाद्य उत्पाद इस प्रकार हैं।

प्रोसेस्ड फूड निर्यात राशि

आम का गूदा 864.97 करोड़ रुपए

सूखी और संरक्षित सब्जियां 1,088.55 करोड़ रुपए

प्रसंस्कृत फल और सब्जियां 3,116.08 करोड़ रुपए

दालें 1,140.13 करोड़ रुपए

मूंगफली 5,456.72 करोड़ रुपए

ग्वारगम 3,131.74 करोड़ रुपए

गुड़ और कंफेक्शनरी 1,471.64 करोड़ रुपए

कोको उत्पाद 1,089.99 करोड़ रुपए

अनाज से बने उत्पाद 3,572.61 करोड़ रुपए

नशीले और गैर नशीले पेय पदार्थ 2,000.63 करोड़ रुपए

विविध उत्पाद 2,570.48 करोड़ रुपए

मिल के उत्पाद 817.68 करोड़ रुपए

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