मशरूम उत्पादन का हब बन रहा यूपी का ये जिला, कई प्रदेशों से प्रशिक्षण लेने आते हैं किसान
Divendra Singh | Sep 12, 2018, 13:08 IST
एक समय था जब सहारनपुर जिले के किसान साल भर गन्ने की खेती करते थे। गन्ने की खेती में फायदा तो था लेकिन चीनी मिलों समय से गन्ने के भुगतान न हो पाने से किसान परेशान हो गए थे, ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों को नई राह दिखायी।
सहारनपुर। कभी गन्ने की खेती करने वाले यहां के किसानों को अब मशरूम की खेती भाने लगी है, यही नहीं किसानों की मेहनत ने सहारनपुर जिले को मशरूम उत्पादन में प्रदेश में नंबर एक पर पहुंचा दिया है। आज सहारनपुर में कई प्रदेशों के किसान मशरूम की खेती की ट्रेनिंग लेने आते हैं।
एक समय था जब सहारनपुर जिले के किसान साल भर गन्ने की खेती करते थे। गन्ने की खेती में फायदा तो था लेकिन चीनी मिलों समय से गन्ने के भुगतान न हो पाने से किसान परेशान हो गए थे, ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र सहारनपुर के प्रभारी व मशरूम विशेषज्ञ डॉ. आईके कुशवाहा ने किसानों को नई राह दिखायी।
जिले के रामपुर मनिहार ब्लॉक के मदनूकी गाँव में दर्जन से अधिक किसान मशरूम की खेती करने लगे हैं। मदनूकी गाँव के किसान सत्यवीर सिंह ने 2009 में कृषि विज्ञान केंद्र की सहायता से उन्होंने मशरूम की खेती की शुरूआत की। वो बताते हैं, "साल 2009 में मैंने मशरूम की खेती तीस कुंतल कंम्पोस्ट के एक छोटी सी झोपड़ी बनाकर शूरू की थी। आज मैं साल में लगभग 6000 बैग्स में बटन मशरूम लगाता हूं, और आठ हजार बैग आयस्टर मशरूम के लगता हूं।
वो आगे बताते हैं, "शुरू में मुझे परेशानी हुई थी, लेकिन केवीके वैज्ञानिक कुशवाहा जी से मैंने प्रशिक्षण लिया था और अब भी वो हमारी पूरी सहायता करते हैं। समय-समय पर वो आकर हमें बताते रहते हैं कि कैसे मशरूम की खेती को रोगों से बचाए, कैसे कम्पोस्ट बनाए ये सब जानकारी देते रहते हैं।"
"पहले मैं धान, गेहूं और गन्ना कि फसलों की खेती करता था, गन्ने का पैसा समय पर नहीं मिलता। कई जगह पर प्राइवेट नौकरी भी की, लेकिन मशरूम की खेती में जो फायदा है वो कहीं नहीं है। आज एक साल में हम 17-18 लाख का बिजनेस करते हैं, "उन्होंने आगे बताया।
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वहीं सहारपुर जिले के खटकेड़ी गाँव के किसान अमरीश कुमार कहते हैं, "पिछले साल मैंने ट्रेनिंग ली थी, उसके बाद मैंने एक झोपड़ी बनाकर मशरूम उत्पादन शुरू किया, छह सौ बैग्स से मैंने शुरूआत की थी, उससे तीन-चार महीने में बटन मशरूम में 1,37,000 रूपए की कमाई हुई, इस साल अभी से ही मशरूम की खेती तैयारी शुरू कर दी है।"
केंद्र पर आयस्टर और बटन मशरूम की खेती प्रशिक्षण दिया जाता है, यही नहीं किसानों को मशरूम के स्पान (बीज) भी उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही किसानों को रोग-कीटों से बचने, कम्पोस्ट बनाने की सही तरीका भी बताया जाता है। ट्रेनिंग लेने के बाद किसान फोन पर लगातार वैज्ञानिकों के संपर्क में रहते हैं कि कैसे व कब मशरूम की खेती शूरू कर सकते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र में हर साल पांच दिवसीय मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण का कार्यक्रम चलाया जाता है, जिसमें सहारनपुर, बिजनोर, शाहजहांपुर, शामली जैसे आसपास के जिलों के साथ ही राजस्थान और उत्तराखंड के किसान भी प्रशिक्षण लेने आते हैं। राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के श्यामलाल भी अपने साथियों के साथ मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लेने आए थे। वो बताते हैं, "हमारे एक साथी पहले यहां मशरूम की खेती की ट्रेनिंग लेने आए थे, उन्होंने खेती भी शुरू कर दी है, उन्हीं से यहां के बारे में जानकारी मिली थी। पांच दिनों में बहुत कुछ सीख गया हूं, जिससे मैं भी मशरूम की खेती की शुरुआत कर सकता हूं।"
कृषि विज्ञान केंद्र, भरसार
खजूरी बाग, नुमाइश कैंप के नजदीक
न्यू गोपाल नगर
सहारनपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर- 9412376121
एक समय था जब सहारनपुर जिले के किसान साल भर गन्ने की खेती करते थे। गन्ने की खेती में फायदा तो था लेकिन चीनी मिलों समय से गन्ने के भुगतान न हो पाने से किसान परेशान हो गए थे, ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र सहारनपुर के प्रभारी व मशरूम विशेषज्ञ डॉ. आईके कुशवाहा ने किसानों को नई राह दिखायी।
जिले के रामपुर मनिहार ब्लॉक के मदनूकी गाँव में दर्जन से अधिक किसान मशरूम की खेती करने लगे हैं। मदनूकी गाँव के किसान सत्यवीर सिंह ने 2009 में कृषि विज्ञान केंद्र की सहायता से उन्होंने मशरूम की खेती की शुरूआत की। वो बताते हैं, "साल 2009 में मैंने मशरूम की खेती तीस कुंतल कंम्पोस्ट के एक छोटी सी झोपड़ी बनाकर शूरू की थी। आज मैं साल में लगभग 6000 बैग्स में बटन मशरूम लगाता हूं, और आठ हजार बैग आयस्टर मशरूम के लगता हूं।
वो आगे बताते हैं, "शुरू में मुझे परेशानी हुई थी, लेकिन केवीके वैज्ञानिक कुशवाहा जी से मैंने प्रशिक्षण लिया था और अब भी वो हमारी पूरी सहायता करते हैं। समय-समय पर वो आकर हमें बताते रहते हैं कि कैसे मशरूम की खेती को रोगों से बचाए, कैसे कम्पोस्ट बनाए ये सब जानकारी देते रहते हैं।"
"पहले मैं धान, गेहूं और गन्ना कि फसलों की खेती करता था, गन्ने का पैसा समय पर नहीं मिलता। कई जगह पर प्राइवेट नौकरी भी की, लेकिन मशरूम की खेती में जो फायदा है वो कहीं नहीं है। आज एक साल में हम 17-18 लाख का बिजनेस करते हैं, "उन्होंने आगे बताया।
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हमारे जिले में पिछले साल चार सौ टन मशरूम का उत्पादन हुआ जोकि उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा है। मदनूकी गाँव में इस समय सबसे अधिक मशरूम का उत्पादन होता है, इसके साथ ही तीस और भी गाँव हैं जहां पर मशरूम का उत्पादन हो रहा है। यूट्यूब और फेसबुक के माध्यम से किसान केवीके के बारे में जानते हैं और यहां पर प्रशिक्षण लेने आते हैं, इस समय करीब छह राज्यों के किसान यहां पर मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण ले चुके हैं।" डॉ. आईके कुशवाहा, प्रभारी व मशरूम, कृषि विज्ञान केंद्र सहारनपुर
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ट्रेनिंग के बाद उपलब्ध कराए जाते हैं मशरूम के बीज
केंद्र पर आयस्टर और बटन मशरूम की खेती प्रशिक्षण दिया जाता है, यही नहीं किसानों को मशरूम के स्पान (बीज) भी उपलब्ध कराया जाता है। साथ ही किसानों को रोग-कीटों से बचने, कम्पोस्ट बनाने की सही तरीका भी बताया जाता है। ट्रेनिंग लेने के बाद किसान फोन पर लगातार वैज्ञानिकों के संपर्क में रहते हैं कि कैसे व कब मशरूम की खेती शूरू कर सकते हैं।
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दूसरे प्रदेशों के किसान भी लेने आते हैं मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण
अधिक जानकारी कृषि विज्ञान केंद्र पर कर सकते हैं संपर्क..
खजूरी बाग, नुमाइश कैंप के नजदीक
न्यू गोपाल नगर
सहारनपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर- 9412376121