लुधियाना: विदेशी तकनीक को अपना रहे हैं पंजाब-हरियाणा के डेयरी किसान

Diti Bajpai | Dec 15, 2018, 18:26 IST
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लुधियाना। पिछले कई वर्षों से डेयरी चलाने वाले गुनवंत सिंह नई तकनीक अपनाकर कारोबार को आगे बढ़ा रहे हैं, इस बार तो उन्होंने ब्राजील की कंपनी से साइलेज बनाने की मशीन खरीदी। अकेले गुनवंत नहीं पंजाब-हरियाणा के कई किसान अब विदेशी तकनीक को अपनाकर डेयरी क्षेत्र में अपनी आय बढ़ा रहे हैं।

गुनवंत जैसे हजारों किसानों ने लुधियाना से तीस किमी. दूर जगरांव में हुए 13वें पीडीएफए इंटरनेशनल डेयरी एंड एग्री एक्सपो-2018 के पहले दिन नई तकनीकी के साथ ही अपने डेयरी कारोबार को कैसे आगे बढ़ाया जाए, इसकी भी जानकारी ली। पिछले तेरह वर्षों से प्रोग्रेसिव डेयरी फार्मर्स एसोसिएशन (पीसीडीएफ) मेले का आयोजन करता आ रहा है। इस बार मेले में करीब 30 से ज्यादा देश-विदेश की कंपनियों ने भाग लिया।

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नीदरलैंड की कंपनी अमीनोरिच न्यूट्रीएंट के इंडियन रिप्रजेंटेटिव अनुज अरोड़ा भारत में विदेशी तकनीक के बढ़ते चलन के बारे में बताते हैं, ''हम नीदरलैंड से ऐसी तकनीकी लाए हैं, जिसकी भारत को सख्त जरूरत है। जैसे पशु की गर्भावस्था से लेकर उसके बाद तक कैसे उन्हें ऐसे न्यूट्रीएंट दें, जिससे उनका दूध उत्पादन बढ़ सके। इनकी हिंदुस्तान के मार्केट को बहुत जरूरत है। किसानों को यह सभी सस्ती दरों पर उपलब्ध कराए जा रहे है।

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वर्ष 1972 में पीडीएफए की शुरूआत हुई थी। यह संगठन पिछले कई वर्षों से डेयरी को मुख्य करोबार बनाने के लिए लगा हुआ है। इसके प्रबंधन निदेशक दलजीत सिंह गिल बताते हैं, ''जब इस संगठन को शुरू किया गया तब इसमें करीब 50 किसान थे, फिर वर्ष २००२ में मुझे इसका प्रेसीडेंट बनाया गया तब मैंने डेयरी को व्यवसायिक स्तर पर लाने की कोशिश की। पहले पशुपालक को खेती के सहायक व्यवसाय के रूप में देखा जाता था, जबकि ये मुख्य कारोबार है। इसलिए हमने इसे आगे बढ़ाने की कोशिश की, बैंकों ने ओएमयू साइन किए जिससे किसानों को कर्ज मिल सके।''



अपनी बात को जारी रखते हुए दलजीत ने गाँव कनेक्शन को बताया, ''हमने 2007 में इस एक्सपो की शुरूआत की थी आज यह एशिया का सबसे बड़ा एक्सपो बन गया है। ऐसा शो एशिया में कहीं लगती जहां पर डेयरी किसानों को डेयरी उपकरणों से लेकर उनके पोषण की जानकारी मिलती है। यहां देश ही नहीं विदेश की कंपनियां भी आती हैं। इस बार देश-विदेश की तीस कंपनियों ने हिस्सा लिया।''

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मेले में पंजाब, हरियाणा जैसे कई राज्यों के किसान अपने पशुओं के साथ प्रतियोगिता में भाग लेने आए। पंजाब के मोगा जिले से आए जगजीत सिंह बताते हैं, ''हम हर साल इस मेले में आते हैं और कुछ ना कुछ नई जानकारी हमको मिलती है। इस बार प्रतियोगिता में भाग दिलाने के लिए अपनी दो गायों को भी साथ में लेकर आए हैं।''

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मेले में हुआ गायों का कैटवॉक

मेले के पहले दिन गायों का कैटवॉक किया, जिसमें 25 गायों ने भाग लिया। इन सभी गायों को पंजाब-हरियाणा जैसे अलग-अलग राज्यों से इनके मालिक लेकर आए थे। इनमें से तीन गायों को बेहतर नस्ल के लिए चुना गया। पहले नंबर पर चुनी गई जर्सी गाय के मालिक गुरमीत सिंह बताते हैं, ''सबसे अच्छी नस्ल के लिए चुना गया है हम गायों को हर बार कंपटीशन में लाते हैं इस बार पहली बार हमने पहली पहला अवार्ड जीता है।'' गुरमीत की डेयरी में 35 से ज्यादा गाय हैं सभी जर्सी नस्ल की है अच्छा दूध उत्पादन करने के लिए गुरमीत रोजाना पशुओं के खाने पीने का ध्यान रखते हैं।''

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जसवीर सिंह की भैंस की बेहतर नस्ल के लिए मिला पहला अवॉर्ड

पिछले तीन साल से अपनी बेटी की तरह पाल रहे रानी भैंस को पहला अवार्ड मिला है जिससे जसविंदर काफी खुश है जसविंदर बताते हैं, ''यह नस्ल नीली रावी की है। इसको मैंने खुद तैयार किया है हमारी डेयरी में जितनी भी गाएं हैं वैसे हैं वह सब इसी नस्ल की हैं। हमको अच्छा लगता है कि हमारी तरह और भी किसान जागरूक हों और ऐसी नस्लों को पालें जो ज्यादा दूध उत्पादन करती हैं।''

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