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'लागत कम करने के साथ उत्पादकता बढ़ानी हैं तो हर स्तर पर तकनीक की जरूरत'

Diti Bajpai | Sep 10, 2018, 12:47 IST
कृषि का क्षेत्र हो या उद्योग, अगर लागत कम करने के साथ उत्पादकता बढ़ानी है तो हर स्तर पर तकनीक की जरूरत होती है। इसलिए उत्पादन बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत लिंग सोरटेड वीर्य उत्पादन हेतु 10 वीर्य केन्द्रो को चिन्हित किया जा चुका है।
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आणंद (गुजरात)। "भारत पिछले दो दशकों से विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, इसका श्रेय हमारे देश के किसानों को जाता है। किसानों को अधिक समृद्ध बनाने के लिए डेयरी क्षेत्र का विकास महत्वपूर्ण है। " ऐसा कहना था केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह का।

गुजरात के आणंद में "डेयरी किसानों की आय दोगुनी करने में प्रौद्योगिकी की भूमिका " समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में राधामोहन ने कहा कि राष्ट्रीय डेयरी योजना (एनडीपी) व डेयरी प्रसंस्कंरण और बुनियादी ढांचा विकास निधि (डीआईडीएफ) के कार्यान्वमयन में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) सक्रिय भूमिका निभा रहा है। एनडीडीबी ने शुरूआत से ही, 'ऑपरेशन फ्लड' सहित कई बड़े डेयरी विकास कार्यक्रमों को देश में कार्यान्वित किया है, जिसके बाद देश में दूध की मांग पूरा करने के लिए आज हम आत्मनिर्भर बन गए हैं।"

देश में उत्पादन बढ़ाने और नस्ल सुधार के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम

कृषि मंत्री ने कहा कि चाहे कृषि का क्षेत्र हो या उद्योग, अगर लागत कम करने के साथ उत्पादकता बढ़ानी है तो हर स्तर पर तकनीक की जरूरत होती है। इसलिए उत्पादन बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत लिंग सोरटेड वीर्य उत्पादन हेतु 10 वीर्य केन्द्रो को चिन्हित किया जा चुका है। दो केन्द्रों का प्रस्ताव उत्तराखंड, महाराष्ट्र के लिए भी स्वीकृत किया गया हैंl इससे बछियों का ही उत्पादन होगा और आवारा पशु की संख्या में कमी आयगीl साथ ही देशी नस्लों के उच्च अनुवांशिक क्षमता वाले सांडों के उत्पादन के लिए भ्रूण प्रोद्योगिक (एम्ब्र्यो ट्रांसफर टेक्नीक) के 20 केंद्रों की स्थापना की जा रही है, जिनमें अब तक 19 केंद्रो के प्रस्ताव को स्वीकृत किया जा चुका है।

जेनॉमिक चयन के लिए विकसित की इंडसचिप

समारोह में कृषि मंत्री में आगे कहा, "देशी नस्लों के जेनॉमिक चयन के लिए इंडसचिप को विकसित किया गया हैl साथ ही 6000 पशुओं की इंडस चिप के उपयोग से जीनोमिक चयन के लिए पहचान की जा चुकी है।



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देश में खोले जा रहे 20 गोकुल ग्राम

राधामोहन ने बताया, "राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के अंतर्गत वर्तमान सरकार द्वारा मार्च, 2018 तक 29 राज्यों से आये प्रस्तावों के लिए रूपये 1600 करोड़ स्वीकृत किये गये हैं, जिसमें से 686 करोड़ राशि जारी की जा चुकी है। 20 गोकुल ग्राम इसी योजना के अंतर्गत स्थापित किये जा रहे हैंl" उन्होंने आगे बताया, ''पशु संजीवनी घटक के अंतर्गत 9 करोड दुधारु पशुओं की यूआईडी द्वारा पहचान की जा रही है। इन सभी पशुओं को नकुल स्वास्थ्य पत्र देने का प्रावधान भी योजना अंतर्गत किया गया है। अब तक 1.4 करोड़ पशुओं की पहचान की जा चुकी है।''

नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग केंद्र स्थापित

कृषिमंत्री के अनुसार उत्पादन में जोखिम को कम करने के लिए देशी नस्लों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसके अंतर्गत दुधारू पशुओं, विशेषकर देशी नस्लों के नस्ल सुधार कार्यक्रम हेतु 2200 सांडो के उत्पादन के लक्ष्य के समक्ष अब तक 1831 सांडो का उत्पादन हो चुका है। इसी तरह उत्तम सांडो से उत्पादित वीर्य डोज का उपयोग दुधारू पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने हेतु 6500 मैत्री को प्रशिक्षित कर ग्राम स्तर पर लगाया जा चुका है। इसके अतिरिक्त देशी नस्लों के संरक्षण हेतु दक्षिण भारत के चिंतलदेवी, आंध्र प्रदेश में तथा एक उत्तर भारत के इटारसी, मध्य प्रदेश में दो नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग केंद्र स्थापित किए जा रहे है। इसके तहत 41 गोजातीय नस्लों और 13 भैंस की नस्लों को संरक्षित किया जाएगा। आंध्र प्रदेश में एक केंद्र पहले से पूर्णतया स्थापित किया जा चुका है।

किसानों को जोड़ने के लिए शुरू किया गया ई-पशुहाट पोर्टल

उन्होंने आगे बताया की डिजिटल तकनीक के बढ़ते उपयोग को देखते हुए देश मे पहली बार ई पशुहाट पोर्टल स्थापित किया गया है। यह पोर्टल देशी नस्लों के लिए प्रजनकों और किसानों को जोड़ने मे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। पोर्टल पर आज तक 104570 पशुओं, 8.32 करोड़ वीर्य डोजेस एवं 364 भुणों की पूर्ण सूचना उपलब्ध है।



उन्होंने जानकारी देते हुए बताया, राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत प्रोत्साहन हेतु 5 अवार्ड निर्धारित किए गये हैं- गोपाल रत्न अवार्ड, कामधेनु अवार्ड, सर्वश्रेष्ठ ए आई टेक्नीशियन, सर्वश्रेष्ठ पशु चिकित्सक एवं सर्वश्रेष्ठ राज्य की श्रेणी में अवार्ड का निर्धारण किया गया है। उन्होंने कहा कि संगोष्ठी के माध्यम से हम ग्रामीण युवाओं को डेयरी तथा संबन्धित क्षेत्र में तकनीक तथा कौशल से युक्त कर पाएंगे, जिससे 2022 तक किसानों की आय दुगना करने का लक्ष्य निश्चित रूप से पूरा हो सकेगा।

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