जरा सी लापरवाही पशुओं पर पड़ सकती है भारी, इसलिए पशुपालक सर्दियों में इन बातों का रखें ध्यान

Diti Bajpai | Nov 21, 2018, 13:13 IST
#Livestock
सर्दियों का मौसम शुरू हो चुका है। इस मौसम में छोटे, बड़े और दुधारू पशुओं की खिलाई-पिलाई और प्रबंधन के प्रति विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। जरा सी लापरवाही से पशुपालन को घाटे का सौदा बना सकती है। ऐसे में अपने पशुओं का ध्यान कैसे रखें, पशु चिकित्सक डॉ ओम प्रकाश ने दी पूरी जानकारी

पशुओं को दें संतुलित आहार

सर्दियों के दिनों में ज्यादातर गाय-भैंस दूध दे रही होती हैं। इसलिए उनको दुग्ध उत्पादन के अनुपात के अनुसार उन्हें संतुलित आहार देने की आवश्यकता होती है। संतुलित आहार बनाने के लिए 35 प्रतिशत खल, दालों और चने का चोकर 20 प्रतिशत और खनिज लवण मिश्रण 2 और नमक 3 प्रतिशत मात्रा में लेकर तैयार किया जा सकता है। दुधारू पशुओं के अलावा गर्भवती पशुओं को भी सर्दियों में एक से दो किग्रा संतुलित आहार देते रहना चाहिए। सूखे चारे के रूप में अगर करवी या भूसा खिला रहे हैं तो उसमें बरसीम और जई का हरा चारा मिलाकर खिलाना चाहिए। सर्दियों में दुधारू पशुओं से अधिक दुग्ध उत्पादन करने के लिए अधिक मात्रा में हरे चारे के रूप में बरसीम और जई को खिलाना चाहिए। छोटे पशु जैसे बकरी और भेड़ को सर्दियों के दिनों में अरहर, चना, मसूर का भूसा भरपेट खिलाना चाहिए।

RDESController-2605
RDESController-2605
गांव कनेक्शन मेला में किसानों को जानकारी देते डॉ ओम प्रकाश

यह भी पढ़ें-पशुओं को जन्म के बाद दें ये आहार, बढ़ेगा उत्पादन

थनैला से बचाव

डॉ ओम प्रकाश आगे बताते हैं कि सर्दियों में दुधारू पशुओं के अक्सर थन चटक जाते हैं या थनों में सूजन आ जाती है। इससे दूध दोहन में परेशानी के साथ ही थनैला बीमारी पनपने की आशंका बन जाती है। इसके बचाव के लिए दूध निकालने के बाद कम से कम आधा घंटा पशुओं को जमीन पर बैठने ना दें। थनैला रोग के बचाव के लिए दूध दोहन के बाद थनों को पोटेशियम परमैग्नेट के घोल से साफ करना चाहिए।

RDESController-2606
RDESController-2606


समय पर गर्भाधान

सर्दियों के दिनों में अधिकतर भैंस गर्मी (हीट) पर आकर गर्भधारण करती है। पशुपालकों को भैंस के गर्मी के लक्षण दिखने पर 12 से 24 घंटे के बीच में दो बार अवश्य ग्याभन करा दें। ब्याने के 2.5 से 3 महीने के भीतर गाय-भैंस ग्याभिन हो जानी चाहिए इसके लिए ब्याने के बाद यह सुनिश्चित कर लें कि गर्भ की ठीक प्रकार से सफाई हो गई है या नहीं। गर्भ की सफाई के लिए दवाएं पशुचिकित्सक से पूछकर दें। गाय-भैंस को उचित समय पर गर्मी पर लाने और ग्याभन कराने के लिए उन्हें नियमित रूप से 50 ग्राम विटामिनयुक्त खनिज लवण मिश्रण अवश्य खिलाना चाहिए।

सर्दी से बचाव

सर्दियों में पशुओं को बचाने के लिए विशेष प्रबंध करने की आवश्यकता होती है क्योंकि ठंड लग जाने पर दुधारू पशुओं के दूध देने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। गाय- भैंस के छोटे बच्चों और भेड़-बकरियों पर जाड़े का घातक असर होता है। कई बार इन पशुओं के बच्चे ठंड की गिरफ्त में आकर निमोनिया रोग के शिकार बन जाते हैं। इसलिए जाड़े के दिनों में दुधारू पशुओं के साथ-साथ छोटे पशुओं को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। पशुओं को ठंड से बचाने के लिए पशुशाला के खुले दरवाजे और खिड़कियों पर टाट लगाए जिससे ठंडी हवा अदंर न आ सके। सर्दियों में पशुशाला को हमेशा सूखा और रोगाणुमुक्त रखें। इसके लिए साफ-सफाई करते समय चूना, फिनायल आदि का छिड़काव करते रहना चाहिए।

आग और धूप से तपाएं

ठंड से बचाव के लिए सुबह-शाम और रात को टाट की पल्ली उढ़ा दें। पशुशाला में रात को सूखी बिछावन का प्रयोग करें जिसे सुबह हटा देना चाहिए। नवजात बच्चों को सर्दी से बचाने के लिए उन्हें ढककर सूखे स्थान पर बांधे और रात को अधिक ठंड होने की आग जलाकर तपाते रहना चाहिए। ठंड में दिन के समय सभी पशुओं को बाहर खुली धूप में रखें जिससे ठंड के बचाव के साथ-साथ उनके शरीर का रक्त संचार भी अच्छा रहता है।

स्वच्छ और ताजा पानी ही पिलाये

पशुओं के लिए भी पशुशाला में स्वच्छ और ताजा पानी का प्रबंध होना जरुरी है। पानी की कमी से पशुओं के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और उनका दूध उत्पादन भी प्रभावित होता है। इसलिए सर्दियों में पशुओं को तालाब, पोखर, नालों, और नदियों का गंदा और दूषित पानी बिल्कुल न पिलाएं बल्कि उन्हें दिन में तीन से चार बार साफ-स्वच्छ पानी पिलाना चाहिए। अगर पानी पिलाने को टैंक की दीवारों की बिना बुझे चूने से पुताई करने के साथ ही नीचे भी चूना डाल दें। इससे पानी हल्का, स्वच्छ होने के साथ काफी हद तक पशुओं के शरीर की कैल्शियम की पूर्ति भी करता है।

RDESController-2607
RDESController-2607
गांव कनेक्शन मेला मेें लगा पशुओं के लिए लगा कैंप

अंत: परजीवियों से बचाव

सर्दियों के दिनों में परजीवी भी पशुओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे दुग्ध उत्पादन प्रभावित होता है, साथ ही नवजात बच्चों को दस्त, निमोनिया होने का खतरा रहता है। अक्टूबर तक पैदा होने वाले ज्यादातर भैंस के बच्चे बड़ी तादात में सर्दियों का मौसम खत्म होने तक मौत के मुंह में चले जाते हैं, जिसकी मुख्य वजह अंत: परजीवी का होना है। सर्दियों मे बकरियों में लीवर फ्लूक भी हो जाता है। इन पशुओं को अंत:परजीवी से बचाने के लिए शरीर भार के अनुसार कृमिनाशक दवाएं अल्बोमार, बैनामिन्थ, निलवर्म, जानिल आदि देते रहना चाहिए।

बाह्य परजीवियों से बचाव

सर्दियों के दिनों में जाड़ा लग जाने के डर से ज्यादातर पशुपालक अपने पशुओं को नहलाते ही नहीं हैं। जाड़ों में पशुओं के शरीर की साफ सफाई नहीं होने के कारण पशुओं के शरीर पर बाह्य परजीवी कीट- जूं, पिस्सू, किलनी का प्रकोप हो जाता है। यह सभी पशुओं का खून चूसकर बीमारी का कारण बनते हैं इसलिए जाड़े में पशुओं की साफ सफाई का बहुत ध्यान रखें। धूप निकलने पर सप्ताह में दो से तीन बार पशुओं को नहलाये। बाहरी कीट के बचाव के लिए बूटॉक्स और क्लीनर दवा की दो मिली मात्रा 1 लीटर पानी के अनुपात में घोलकर ग्रसित पशु के शरीर पर ठीक तरीके से चुपड़ दें। इसके 2 घंटे बाद उस पशु को नहलाये।

RDESController-2608
RDESController-2608


नमी से बचाव

सर्दियों में गाय-भैंस, बकरे और उनके नवजात बच्चों को जाड़े से बचाने की आवश्यकता होती है। पशुओं के बांधने की जगह नमी नहीं होनी चाहिए। अगर नमी होती है तो श्वांस संबंधी रोग और निमोनिया हो सकता है। नमी वाले स्थान पर साफ-सफाई करने के बाद चूने का छिड़काव कर दें। पशुशाला को दिन में दूध निकालने के बाद खुला छोड़ दें, जिससे उसमें हवा का संचार हो सके। सर्दियों में बकरियों को सुबह-शाम ओस के दौरान चरने के लिए नहीं छोड़ना चाहिए।

अधिक ऊर्जायुक्त आहार दें

सर्दियों में दुधारू पशुओं को उर्जा प्रदान करने के लिए समय-समय पर शीरा अथवा गुड़ अवश्य खिलाते रहना चाहिए। इस मौसम में गाय-भैंस के बच्चों और बकरियों को 30 से 60 ग्राम गुड़ जरूर खाने को देना चाहिए। बकरियों को 50 ग्राम और बड़े पशुओं को 200 ग्राम तक मेथी सर्दियों में प्रतिदिन खिलाने से जाड़े से बचाव होता है और साथ ही दूध उत्पादन भी अच्छा होता है। बकरियों को अधिक हरे चारे की जगह नीम, पीपल, जामुन, बरगद, बबूल आदि की पत्तियां खिलाना चाहिए। सर्दियों में दुधारू पशुओं को चारा-दाना खिलाने, पानी पिलाने व दूध दोहन का एक ही समय रखें। अचानक बदलाव करने से दूध उत्पादन प्रभावित हो सकता है।



Tags:
  • Livestock
  • animal husbandry
  • dairy cattle
  • dairy farming
  • winter tips in animal
  • Gaon Connection Mela
  • Gaon Connection
  • 6 year of gaon connection

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.