उत्तर प्रदेश के मछली पालकों को इस ऐप के जरिए मिलेगी हर जानकारी
Divendra Singh | Dec 01, 2020, 12:27 IST
इस ऐप के जरिए मछली पालकों को नई योजनाओं की जानकारी आसानी से मिलती रहेगी। साथ ही मछली पालक कब क्या करें ये जानकारी भी मिलती रहेगी।
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। मछली पालक कब क्या करें, मछली पालन की क्या नई योजनाएं चल रहीं हैं, इस ऐप के जरिए उत्तर प्रदेश के सभी मछली पालकों को ऐसी जरूरी जानकारियां मिलती रहेंगी।
उत्तर प्रदेश, मत्स्य विभाग ने 'यूपी फिश फार्मर्स' (UP Fish Farmer's) ऐप लांच किया है, जिसके माध्यम से मछली पालकों को मत्स्य कृषक क्रेडिट कार्ड, निःशुल्क मछुआ दुर्घटना बीमा योजना और भारत सरकार द्वारा मछुआ समुदाय के व्यक्तियों को समय-समय पर उपलब्ध कराये जाने वाली कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश, मत्स्य विभाग के उप निदेशक डॉ. हरेंद्र प्रसाद इस ऐप के बारे में बताते हैं, "इस ऐप के माध्यम से मछली पालक के साथ ही मछली पालन से जुड़े हर किसी को विभाग की योजनाओं से जोड़ा जाएगा। उन्हें समय-समय पर हर एक योजना की जानकारी मिलती रहेगी। उत्तर प्रदेश के पशुधन, मत्स्य विकास व दुग्ध विकास कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी इसे अभी लांच किया है। यूपी को 21 नवंबर मत्स्य दिवस पर बेस्ट मछली उत्पादक का भी पुरस्कार मिला है।"
इस ऐप को डाउनलोड करने के लिए गूगल प्ले स्टोर पर जाना होता हैं, जहां से इसे डाउनलोड कर सकते हैं। डाउनलोड करने के बाद रजिस्ट्रेशन करना होता है। रजिस्ट्रेशन करने के लिए अपना नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि, जिला, ब्लॉक और पूरा पता भरना होता है। साथ ही आधार नंबर, मोबाइल नंबर व ईमेल आईडी और आप का व्यवसाय क्या है(मछली विक्रेता, मछुआरा, मछली पालन या अन्य) भरें। साथ बैंक डिटेल भी भरना होता है, एक बार रजिस्ट्रेशन होने पर सारी जानकारी मिलती रहेगी।
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के मछली पालक परवेज खान रिसर्कुलर एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) को देश भर में लागू कर दिया गया है। आरएएस (RAS) वह तकनीक होती है, इसमें पानी का बहाव निरंतर बनाए रखने लिए पानी के आने-जाने की व्यवस्था की जाती है। इसमें कम पानी और कम जगह की जरूरत होती है। सामान्य तौर पर एक एकड़ तालाब में 20 हजार मछली डाली हैं तो एक मछली को 300 लीटर पानी में रखा जाता है जबकि इस सिस्टम के जरिए एक हजार लीटर पानी में 110-120 मछली डालते है। इस हिसाब से एक मछली को केवल नौ लीटर पानी में रखा जाता है। सरकार इसके लिए अनुदान भी दे रही है।
ऐप को लांच करते हुए पशुपालन एवं मत्स्य विभाग मंत्री लक्ष्मी नारायण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कहा कि नीली क्रान्ति योजना के तहत प्रदेश में सघन मत्स्य पालन के माध्यम से मत्स्य उत्पादकता व मत्स्य उत्पादन वृद्धि के लिए 188 इन्फ्रास्ट्रक्चर इकाईयां स्थापित की गयी, जिसमें मुख्यतः रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, मत्स्य बीज हैचरी, लघु और वृहद मत्स्य आहार मिलों की निजी क्षेत्र में स्थापित करायी गयी। तीन वर्षों में 2215 मछुआ आवास सक्रिय मत्स्य पालकों को आवंटित किये गए।
उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में मथुरा, अलीगढ़ क्षेत्र में खारे पानी के कारण अनुपयोगी भूमि को उपयोग करते हुए श्रिम्प (खारे जल की झींगा प्रजाति) फार्मिंग का उत्पादन सफलता पूर्वक प्रारंभ हो चुका है, जिसके लिये आगामी पांच वर्षों के लिए 4000 हेक्टेयर में वाटर में फिश फार्मिंग के लिए 588.00 करोड़ रुपए की योजना केन्द्र सरकार का प्रेषित की गयी है। मछली की बिक्री के लिए कोल्ड चेन के लिए मत्स्य विक्रेताओं को 510 मोटर साइकिल विद आइस बॉक्स उपलब्ध कराए गए हैं, जिनका उपयोग लॉकडाउन के दौरान मत्स्य विक्रेताओं को मत्स्य बिक्री में लाभदायक रहा।
उत्तर प्रदेश, मत्स्य विभाग ने 'यूपी फिश फार्मर्स' (UP Fish Farmer's) ऐप लांच किया है, जिसके माध्यम से मछली पालकों को मत्स्य कृषक क्रेडिट कार्ड, निःशुल्क मछुआ दुर्घटना बीमा योजना और भारत सरकार द्वारा मछुआ समुदाय के व्यक्तियों को समय-समय पर उपलब्ध कराये जाने वाली कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश, मत्स्य विभाग के उप निदेशक डॉ. हरेंद्र प्रसाद इस ऐप के बारे में बताते हैं, "इस ऐप के माध्यम से मछली पालक के साथ ही मछली पालन से जुड़े हर किसी को विभाग की योजनाओं से जोड़ा जाएगा। उन्हें समय-समय पर हर एक योजना की जानकारी मिलती रहेगी। उत्तर प्रदेश के पशुधन, मत्स्य विकास व दुग्ध विकास कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी इसे अभी लांच किया है। यूपी को 21 नवंबर मत्स्य दिवस पर बेस्ट मछली उत्पादक का भी पुरस्कार मिला है।"
इस ऐप को डाउनलोड करने के लिए गूगल प्ले स्टोर पर जाना होता हैं, जहां से इसे डाउनलोड कर सकते हैं। डाउनलोड करने के बाद रजिस्ट्रेशन करना होता है। रजिस्ट्रेशन करने के लिए अपना नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि, जिला, ब्लॉक और पूरा पता भरना होता है। साथ ही आधार नंबर, मोबाइल नंबर व ईमेल आईडी और आप का व्यवसाय क्या है(मछली विक्रेता, मछुआरा, मछली पालन या अन्य) भरें। साथ बैंक डिटेल भी भरना होता है, एक बार रजिस्ट्रेशन होने पर सारी जानकारी मिलती रहेगी।
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उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के मछली पालक परवेज खान रिसर्कुलर एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) को देश भर में लागू कर दिया गया है। आरएएस (RAS) वह तकनीक होती है, इसमें पानी का बहाव निरंतर बनाए रखने लिए पानी के आने-जाने की व्यवस्था की जाती है। इसमें कम पानी और कम जगह की जरूरत होती है। सामान्य तौर पर एक एकड़ तालाब में 20 हजार मछली डाली हैं तो एक मछली को 300 लीटर पानी में रखा जाता है जबकि इस सिस्टम के जरिए एक हजार लीटर पानी में 110-120 मछली डालते है। इस हिसाब से एक मछली को केवल नौ लीटर पानी में रखा जाता है। सरकार इसके लिए अनुदान भी दे रही है।
पशुपालन एवं मत्स्य विभाग मंत्री, श्री लक्ष्मी नारायण चौधरी जी की प्रेसवार्ता... https://t.co/4Xh8xzRgvW
— Government of UP (@UPGovt) November 24, 2020
उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में मथुरा, अलीगढ़ क्षेत्र में खारे पानी के कारण अनुपयोगी भूमि को उपयोग करते हुए श्रिम्प (खारे जल की झींगा प्रजाति) फार्मिंग का उत्पादन सफलता पूर्वक प्रारंभ हो चुका है, जिसके लिये आगामी पांच वर्षों के लिए 4000 हेक्टेयर में वाटर में फिश फार्मिंग के लिए 588.00 करोड़ रुपए की योजना केन्द्र सरकार का प्रेषित की गयी है। मछली की बिक्री के लिए कोल्ड चेन के लिए मत्स्य विक्रेताओं को 510 मोटर साइकिल विद आइस बॉक्स उपलब्ध कराए गए हैं, जिनका उपयोग लॉकडाउन के दौरान मत्स्य विक्रेताओं को मत्स्य बिक्री में लाभदायक रहा।