यूपी के 14 जिलों से काऊ मिल्क प्लांट से जुड़ेंगे 80 हजार किसान, छह महीने तक खराब नहीं होगा दूध

Ajay Mishra | Sep 10, 2018, 10:24 IST
इस काऊ मिल्क प्लांट से 2,250 गाँव होंगे लाभान्वित और 150 बीएमसी लगेंगे, प्लांट की एक लाख लीटर की है क्षमता
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अजय मिश्र/मोहम्मद परवेज

तिर्वा (कन्नौज)। उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में करीब 141 करोड़ की लागत से ऐसा प्लांट लगा है, जहां की पैकिंग वाला दूध एक-दो दिन नहीं बल्कि छह महीने तक खराब नहीं होगा। यहां सिर्फ गाय का दूध और उससे बने पदार्थ मिलेंगे। यूपी के 14 जनपदों से करीब 80 हजार दुग्ध उत्पादक इससे लाभान्वित होंगे।

जिला मुख्यालय कन्नौज से करीब 29 किमी दूर ब्लॉक उमर्दा क्षेत्र के बढ़नपुर वीरहार में काऊ मिल्क प्लांट बनाया गया है। दुग्ध विकास विभाग के प्रभारी कारखाना आरके प्रजापति बताते हैं, "यह काऊ मिल्क प्लांट एक लाख लीटर क्षमता का है। यूपी के 14 जनपदों से गाय का दूध यहां आएगा।" आगे बताया, "सभी जनपदों में कुल 150 बीएमसी (बल्क मिल्क कूलर) लगेंगे और हर बीएमसी में एक हजार लीटर दूध ठण्डा होगा। एक बीएमसी से करीब 10-15 गाँव जुड़ेंगे और हर एक बीएमसी से 10-15 सोसाइटी जुड़ेंगी। इससे करीब 2,250 गाँवों के तकरीबन 80 हजार दुग्ध उत्पादकों (किसानों) को लाभ मिलेगा।"

प्रजापति बताते हैं, ''हर सोसाइटी से लगभग 40 किसान जुड़ेंगे। यूएचटी (अल्ट्रा हाइट ट्रीटमेट) से दूध की पैकिंग होगी। दूध ट्रेटा पैक में भी उपलब्ध रहेगा, जो छह महीने तक सही रहेगा। इसे नार्मल रूम के तापमान पर प्रयोग किया जा सकेगा। पैकिंग खुलने के बाद दूध खराब हो सकता है। दूध न खराब होने की खास बात पैकिंग बंद रहने तक ही रहेगी।" प्रभारी कारखाना आरके प्रजापति आगे बताते हैं, "पैकिंग के दौरान कोई भी बैक्टीरिया इसमें नहीं रहेगा। इससे दूध का इस्तेमाल अधिक दिन तक हो सकेगा।"

ये बनेंगे उत्पाद



काऊ मिल्क प्लांट में गाय के दूध से घी, खोया, छेना, बटर, घी बनेगा। इससे गाय पालकों की संख्या बढ़ने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। दूसरी ओर गाय के दूध और उससे बने उत्पाद बाजार में आसानी से मिल जाएंगे।

इन जिलों के दुग्ध उत्पादकों को मिलेगा लाभ


कारखाना प्रभारी बताते हैं, ''कन्नौज के अलावा यूपी के मथुरा, फिरोजाबाद, आगरा, मैनपुरी, अलीगढ़, एटा, हमीरपुर, कानपुर नगर, शाहजहांपुर, बाराबंकी, बरेली, हाथरस और बुलंदशहर के दुग्ध उत्पादकों को फायदा मिलेगा। यहां के लोग गाय का दूध प्लांट के लिए भेज सकेंगे।"

डेनमार्क और नीदरलैण्ड से आईं मशीनें


इंजीनियर आशीष कुशवाहा बताते हैं, ''दूध किस मवेशी का है इसकी जांच करने के लिए पीसीआर मशीन लगी है, यह डेनमार्क से आई है। मशीन की खास बात है कि डीएनए वेस्ड है जो पता लगाएगी कि गाय का दूध किस रेशियो में है। यूएचटी मशीन नीदरलैण्ड से आई है। इसके अलावा फ्रांस से थीमोनियर पैकिंग मशीन को लाया गया है, यहां से पैकिंग होने वाला दूध 90 दिन तक चलेगा। ट्रैक्टा पैकिंग मशीन आ गई है लेकिन उसे स्थापित किया जाना है।"

पांच लीटर की भी होगी पैकिंग


कारखाना प्रभारी बताते हैं, ''दूध की पैकिंग के लिए मशीनें लग चुकी हैं। पांच लीटर और आधा लीटर की पैकिंग होगी। इसके अलावा हम लोग एक लीटर और 250 मिली में भी दूध को पैक कर सकेंगे। क्रेट वाशर में दूध जाएगा, उसके बाद पैक होगा। इसके अलावा कोल्ड रूम भी बना है। वहीं, बटर की बल्क पैकिंग 20 किलो की होगी और पाउच में भी घी पैक होगा। इतना ही नहीं, 15 लीटर का घी भी पैक करने की व्यवस्था है।"

सितम्बर में होगा ट्रायल


दूध गर्म करते समय करीब 130 डिग्री सेल्सियस यहां का तापमान रहेगा। पैकिंग नार्मल तापमान पर होगी। इसके लिए 25 डिग्री सेल्सियस तापमान रखा जाएगा। चिलर मशीन का प्रयोग इसके लिए होगा। फिलहाल यहां 25 लोगों का स्टाफ तैनात है, जो आगे बढ़ाया जाएगा। प्लांट एक से डेढ़ महीने में चालू हो जाएगा। सितम्बर में मशीन का ट्रायल किया जाना है। इससे पहले 28 अगस्त को विभाग के प्रमुख सचिव भी यहां का दौरा कर चुके हैं। दूध को लेकर आने वाले वाहनों के लिए मार्ग सकरा होने की समस्या बताई है। इसे चौड़ा करने के निर्देश प्रशासनिक अफसरों को दिए गए हैं।

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