आखिरकार शिवसेना और भाजपा की एक लम्बी दोस्ती टूट गई

Sanjay Srivastava | Jan 23, 2018, 16:53 IST
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मुंबई। आखिरकार शिवसेना और भाजपा की एक लम्बी दोस्ती, जिसमें एक लम्बे समय खटास आ रही थी वह आज टूट गई। शिवसेना ने ऐलान किया कि वह अब एनडीए का घटक दल नहीं रहेगी, और अगला लोकसभा चुनाव 2019 अपने दम पर अकेले ही लड़ेगी।

शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत ने कहा कि शिवसेना आगामी लोकसभा चुनाव 2019 व महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी।

पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शिवसेना ने भाजपा के साथ गठबंधन ना करने और अगले साल होने वाले लोकसभा तथा आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया। यह प्रस्ताव बैठक में सर्वसम्मति से पारित हो गया। शिवसेना सांसद संजय राउत ने यह प्रस्ताव करते हुए कहा कि भाजपा पिछले तीन वर्षों से पार्टी को हतोत्साहित करती आ रही है।

शिवसेना को हतोत्साहित करती आ रही है भाजपा : संजय राउत

राउत ने कहा, पार्टी राज्य में कम से कम 25 लोकसभा सीट (कुल 48 में से) और 125 विधानसभा सीट (कुल 288 में से) जीतेगी। राउत ने कहा, भाजपा ने हिंदुत्व के नाम पर शिवसेना के साथ गठबंधन किया था और हिंदुत्व के चलते पार्टी ने धैर्य बनाए रखा। लेकिन पिछले तीन साल से भाजपा सत्ता के बल पर शिवसेना को हतोत्साहित करती आ रही है। शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं ने राउत के प्रस्ताव का समर्थन किया।

शिवसेना ने भाजपा से मिलाया हाथ

चार साल में यह दूसरी दफा है जब शिवसेना ने अपने अकेले के बूते पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में शिवसेना-भाजपा का गठबंधन टूट गया था और दोनों पार्टियों ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा था। बाद में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी जबकि शिवसेना को एक महीने तक विपक्ष में बैठना पड़ा था और उसके बाद उसी साल शिवसेना ने भाजपा से हाथ मिला लिया।

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने यह भी ऐलान किया कि अब पार्टी महाराष्ट्र से बाहर भी अपने आधार को बढ़ाने के लिए सभी राज्यों में चुनाव लड़ेगी।

ठाकरे ने वर्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में अपने अध्यक्षीय भाषण में पार्टी नेताओं को प्रेरित करते हुए कहा, "अगले चुनाव के लिए तैयार हो जाइए। यह दिसम्बर 2018 में एक साथ घोषित किए जा सकते हैं या अलग से कराए जा सकते हैं।"

उन्होंने कहा कि लंबे समय से पार्टी ने हिंदू वोट के विभाजन को रोकने के लिए गुजरात और गोवा जैसे राज्यों में कुछ प्रयासों को छोड़कर अन्य राज्यों में जानबूझकर चुनाव लड़ने से परहेज किया।
ठाकरे ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए अपने भाषण में कहा, "अब, हमें हिंदुत्व के मुद्दे पर हर राज्य में होने वाले चुनाव में लड़ना होगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम जीते या हारें, लेकिन हिंदुत्व को त्यागा नहीं जा सकता।"

बाल ठाकरे की जयंती पर नए अध्यक्ष का चुनाव

आज शिवेसना के संस्थापक और सुप्रीमो बाल ठाकरे की 92वीं जयंती के रूप में मनाया जाता है। बाल ठाकरे का 17 नवंबर 2012 को निधन हो गया था। आज शिवेसना पार्टी अपने अध्यक्ष एवं दूसरे पदाधिकारियों के निर्वाचन के लिए आतंरिक चुनाव करा रही है। पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के विरोध में कोई उम्मीदवार खड़ा ना होने के कारण उनका पुनर्नर्विाचित होना तय है।

भाजपा-शिवसेना गठबंधन दरार बीएमसी चुनाव 2017 में उभर कर आया। इस चुनाव में शिवसेना बड़ी पार्टी बनकर उभरी और उसने 227 सदस्यीय नगरपालिका में से 84 सीटें जीती जबकि भाजपा 82 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही।

288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना-भाजपा के गठबंधन की सरकार है। जिसमें भाजपा की 122 सीटें व शिवसेना के 63 सीटें हैं। विधानसभा में बहुमत के लिए 145 का जादुई संख्या होना जरूरी है।

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