मंदिर राम जन्मभूमि पर, मस्जिद सरयू के दूसरी तरफ बननी चाहिए: सुब्रमण्यम स्वामी
Sanjay Srivastava | Mar 21, 2017, 18:59 IST
नई दिल्ली (भाषा)। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आज सुझाव दिया कि अयोध्या मुद्दे को सुलझाने के लिए राम मंदिर रामजन्मभूमि पर जबकि मस्जिद सरयू नदी के दूसरी तरफ बननी चाहिए। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम हमेशा तैयार थे। मंदिर और मस्जिद बनाए जाने चाहिए लेकिन मस्जिद सरयू नदी के दूसरी तरफ बननी चाहिए। राम जन्मभूमि पूरी तरह से राम मंदिर के लिए होनी चाहिए।''
उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय की जब आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अयोध्या विवाद आपसी सहमति से सुलझना चाहिए और सभी पक्षों को आपसी समाधान निकालने के लिए अदालत के बाहर विचार विमर्श करना चाहिए। स्वामी ने दलील दी कि सउदी अरब और अन्य मुस्लिम देशों में मस्जिद ऐसा स्थल मानी जानी है जहां नमाज पढ़ी जाती है और दुआ कहीं भी मांगी जा सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा सुझाव यह है कि मस्जिद सरयू नदी के दूसरी तरफ बननी चाहिए और राम जन्मभूमि राम मंदिर के लिए होनी चाहिए। हम राम का जन्मस्थल नहीं बदल सकते, लेकिन मस्जिद कहीं भी बनाई जा सकती है।''
भाजपा नेता ने कहा कि वह चाहते हैं कि शीर्ष अदालत इस मुद्दे पर एक मध्यस्थ का नाम सुझाए और उन्होंने आशा जताई कि इस संबंध में फैसला 31 मार्च तक हो जाएगा।
प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस तरह के धार्मिक मुद्दे आपसी बातचीत से सुलझाए जा सकते हैं और उन्होंने आपसी सहमति से समाधान निकालने के लिए मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया। यह टिप्पणी उस समय की गई जब स्वामी ने इस मुद्दे पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया।
सांसद ने कहा था कि छह वर्ष से अधिक समय बीत चुका है और मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई होनी चाहिए।
उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय की जब आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अयोध्या विवाद आपसी सहमति से सुलझना चाहिए और सभी पक्षों को आपसी समाधान निकालने के लिए अदालत के बाहर विचार विमर्श करना चाहिए। स्वामी ने दलील दी कि सउदी अरब और अन्य मुस्लिम देशों में मस्जिद ऐसा स्थल मानी जानी है जहां नमाज पढ़ी जाती है और दुआ कहीं भी मांगी जा सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा सुझाव यह है कि मस्जिद सरयू नदी के दूसरी तरफ बननी चाहिए और राम जन्मभूमि राम मंदिर के लिए होनी चाहिए। हम राम का जन्मस्थल नहीं बदल सकते, लेकिन मस्जिद कहीं भी बनाई जा सकती है।''
भाजपा नेता ने कहा कि वह चाहते हैं कि शीर्ष अदालत इस मुद्दे पर एक मध्यस्थ का नाम सुझाए और उन्होंने आशा जताई कि इस संबंध में फैसला 31 मार्च तक हो जाएगा।
प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस तरह के धार्मिक मुद्दे आपसी बातचीत से सुलझाए जा सकते हैं और उन्होंने आपसी सहमति से समाधान निकालने के लिए मध्यस्थता का प्रस्ताव दिया। यह टिप्पणी उस समय की गई जब स्वामी ने इस मुद्दे पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया।
सांसद ने कहा था कि छह वर्ष से अधिक समय बीत चुका है और मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई होनी चाहिए।