मौसम की मार के बाद आम की फसल पर कोरोना का साया

Divendra Singh | Apr 10, 2020, 10:48 IST
आम की खेती से जुड़े किसान और कारोबारियों की तीन-चार महीनों में अच्छा मुनाफा हो जाता था, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से 70-80 प्रतिशत तक नुकसान हो जाएगा।
coronavirus
पहले ओला-बारिश से बौर गिर गए और जब फसल तैयार होने को हुई तो कोरोना वायरस की मार से किसान और कारोबारी परेशान हो गए हैं।

महाराष्ट्र के रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग जैसे कई जिलों होने वाली आम की किस्म अल्फांसो (हापुस) मार्च महीने में ही तैयार हो जाती है, जोकि मार्च, अप्रैल, मई से जून तक मार्केट में रहती है। अलफांसो की विदेशों में भी अच्छी खासी मांग रहती है, लेकिन कोरोना के संक्रमण के बाद से आम के निर्यात पर ही रोक लग गई।

रत्नगिरि जिले में प्रशांत जाधव पूरे साल इन्हीं तीन-चार महीनों का बेसब्री से इंतजार करते हैं, इन्हीं कुछ महीनों में साल भर की कमाई हो जाती है। लेकिन कोरोना ने इस बार सब चौपट कर दिया। प्रशांत बताते हैं, "इस समय जब आम तैयार है तब इसे बेच नहीं पा रहे हैं। अल्फांसो आम की मांग यूरोपियन देशों से लेकर खाड़ी देशों तक है। लेकिन कहीं नहीं जा पा रहा है।"

345003-mango-3225551920
345003-mango-3225551920

भारतीय अल्फांसो की मांग अमेरिका, यूरोप के देश और खाड़ी के देशों में बहुत अधिक है। कोरोना की वजह से अल्फांसो के निर्यात न होने पर इसकी मांग घरेलू बाज़ार में भी पर्याप्त होती है लेकिन देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से देश के किसी और हिस्से में अल्फांसो को भेज पाना संभव नहीं हो पा रहा है।

यही नहीं लॉकडाउन की वजह से होने की वजह से पेड़ से आम को तोड़ने उसकी छटाई, सफ़ाई और पैकेजिंग के लिए मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं।

वो आगे कहते हैं, "किसानों का आम विदेश ही नहीं आसपास की मंडियों में भी नहीं जा पा रहा है। हमारा आम मुम्बई, पुणे जैसे बड़े शहरों की मंडियों में जाता है, लेकिन इस बार नहीं जा पा रहा। अगर ऐसा ही रहा तो 70-80 प्रतिशत का नुकसान हो जाएगा।"

जबकि अभी उत्तर भारत की आम किस्मों में फल तैयार हो रहे हैं। फरवरी-मार्च में ओला-बारिश से आम को काफी नुकसान उठाना पड़ा था, बौर झड़ गए थे।

मैंगो एक्सपोर्ट एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष नदीम सिद्दीकी बताते हैं, "बारिश से इस बार आम के बौर काफी बर्बाद हो गए थे और जब फल तैयार होने का समय आया तो कोरोना आ गया। हर साल इटली, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ ही खाड़ी देशों में भी हमारे यहां से आम निर्यात होता था। यूपी से करीब हर साल ढाई सौ टन आम की सप्लाई दूसरे देशों की जाती है। लेकिन इस बार आम किसान बहुत नुकसान उठाने वाला है।"

उत्तर प्रदेश के प्रमुख आम उत्पादक जिले लखनऊ, अमरोहा, सम्भल, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर हैं। लगभग ढाई लाख हेक्टेयर क्षेत्र में विभि‍न्न कि‍स्में उगायी जाती हैं। इनमें दशहरी, चौसा, लंगड़ा, फाजली, मल्लिका, गुलाब खस और आम्रपाली प्रमुख हैं। देश में आम का सबसे बड़ा बाजार उत्तर प्रदेश है। इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, सऊदी अरब, कतर, कुवैत और अमेरिका में भी भारतीय आम की विभि‍न्न कि‍स्में निर्यात की जाती है।

देश में आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश प्रमुख आम उत्पादक राज्य हैं। उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर हैं।

एपीडा के अनुसार साल 2018-19 में 406.45 करोड़ रुपये का 46510.23 मीट्रिक टन आम निर्यात किया था।

"अगर जून तक लॉकडाउन खुल भी गया तो विदेशों में आम जाना मुश्किल ही है, हवाई जहाज से तो जाएगा नहीं। हम लगातार बात कर रहे हैं, अगर हवाई जहाज से नहीं जा भेजा जा रहा है तो पानी के रास्ते भेजा जा सकता है, ताकि हमें नुकसान तो उठाना पड़े। और हम ये भी मांग कर रहे हैं कि देश भर में आम की सप्लाई पर न रोक लगाई जाए।" नदीम सिद्दीकी ने आगे कहा।

345043-rdescontroller
345043-rdescontroller

ऑल इंडिया मैंगो ग्रोवर असोसिएशन के अध्यक्ष इंसेराम अली बताते हैं, "ये महीना आम की बाग की धुलाई का होता है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से सब रुका पड़ा है, पहले ही इस बार कम बौर आए थे और अब कोरोना। अगर यही हाल रहा तो इस बार विदेशों में आम भेजना तो दूर पूरे देश में ही भेजना मुश्किल हो जाएगा।

उत्तर प्रदेश में इस बार वैसे भी आम में कम बौर आए थे, जिससे फल भी कम आए हैं। केंद्रीय बागवानी उपोष्ण संस्थान सहारनपुर, बाराबंकी, लखनऊ जैसे कई जिलों में 18-19 मार्च को निरीक्षण के बाद देखा है कि सर्दी की लंबी ऋतु और असमय बारिश के कारण देर से आम के बौर कम संख्या में और देर से निकले लेकिन उन्हें कीट और व्याधियों के प्रकोप की कम समस्याएं झेलनी पड़ी। अधिक बारिश और ठंड के कारण आम के बागों की इनका कम प्रकोप हुआ। इस वर्ष जनवरी में हुई अत्यधिक सर्दी ने भुनगा कीट का वंश नाश किया तो लगातार वर्षा थ्रिप्स कीट को मिट्टी में ही मार दिया। जिसके परिणामस्वरूप यह दोनों कीट अभी तक अधिकांश बागों में कम दिखे। भुनगा तो फिर भी कहीं कहीं है लेकिन थ्रिप्स अभी तक पिछले वर्ष की तरह कहीं नहीं दिखा। आम के बौर बहुत कम संख्या में निकले हैं स्वाभाविक रुप से फसल कमजोर होगी।

संस्थान के निदेशक शैलेन्द्र राजन बताते हैं, "इस बार वैसे भी कम बौर आए, जिस वजह से फल भी कम आए। उत्तर भारत में जून में फल पकने लगते हैं, जबकि दक्षिण और पश्चिम भारत में पहले से ही आम पकने लगते हैं। लॉकडाउन का असर आम पर भी पड़ा है, लेकिन अभी किसानों को ध्यान देने की जरूरत है कि अगर अभी ध्यान न दिया तो बची हुई फसल भी बर्बाद हो जाएगी। इसलिए दवा का छिड़काव करें।"

"अभी जैसी स्थिति है लग नहीं रहा है कि विदेशों तक आम निर्यात हो पायेगा, इसलिए किसानों को अभी तैयारी करनी होगी, ताकि विदेशों में नहीं तो देश में आम पहुंच ही जाए।" शैलेंद्र राजन ने आगे बताया।

Tags:
  • coronavirus
  • Mango Food Festival
  • mango farming
  • corona impact
  • story

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.