राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम मोदी ने की 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा, कहा- लागू होगा लॉकडाउन 4

पीएम मोदी ने एक आर्थिक पैकेज की घोषणा की, जो कोरोना लॉकडाउन के बाद केंद्र सरकार का दूसरा आर्थिक पैकेज है। उन्होंने कहा कि दोनों पैकेज को मिला दिया जाए तो यह 20 लाख करोड़ का पैकेज होता है, जो भारत के आपदा में आत्मनिर्भर होने का रास्ता खोलेगा। उन्होंने लॉकडाउन 4 के भी पूरे संकेत दिए।

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कोरोना लॉकडाउन 3 के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को तीसरी बार संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह वैश्विक आपदा का समय है और पूरा विश्व इससे प्रभावित है। भारत भी इससे अछूता नहीं है, लेकिन भारत ने इस आपदा को अवसर के रूप में भी लिया है, जो बताता है कि 21वीं सदी भारत की है। उन्होंने एक आर्थिक पैकेज की घोषणा की, जो कोरोना लॉकडाउन के बाद केंद्र सरकार का दूसरा आर्थिक पैकेज है। पीएम मोदी ने कहा कि दोनों पैकेज को मिला दिया जाए तो यह 20 लाख करोड़ का पैकेज होता है, जो भारत के आपदा में आत्मनिर्भर होने का रास्ता खोलेगा।

उन्होंने चौथे लॉकडाउन की तरफ संकेत देते हुए कहा कि जल्द ही लॉकडाउन 4 से संबंधित दिशा-निर्देश आपको दे दिए जाएंगे। इसके अलावा उन्होंने बताया कि वित्त मंत्रालय जल्द ही आर्थिक पैकेज की पूरी जानकारी सबके सामने रखेगा।

पढ़िए पीएम मोदी का पूरा भाषण-

साथियों, एक वायरस ने दुनिया को तहस-नहस कर दिया है। विश्व भर में करोड़ों जिंदगियां संकट का सामना कर रही हैं। सारी दुनिया, जिंदगी बचाने की जंग में जुटी है। लेकिन थकना, हारना, टूटना-बिखरना, मानव को मंजूर नहीं है। सतर्क रहते हुए ऐसी जंग के सभी नियमों का पालन करते हुए, अब हमें बचना भी है और आगे भी बढ़ना है। जब हम इन दोनों कालखंडो को भारत के नजरिए से देखते हैं तो लगता है कि 21वीं सदी भारत की हो, ये हमारा सपना नहीं, ये हम सभी की जिम्मेदारी है।

विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही है- "आत्मनिर्भर भारत। एक राष्ट्र के रूप में आज हम एक बहुत ही अहम मोड़ पर खड़े हैं। इतनी बड़ी आपदा, भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है, एक संदेश लेकर आई है, एक अवसर लेकर आई है। जब कोरोना संकट शुरु हुआ तब भारत में एक भी पीपीई (PPE) किट नहीं बनती थी। एन-95 मास्क का भारत में नाममात्र उत्पादन होता था। आज स्थिति ये है कि भारत में ही हर रोज 2 लाख पीपीई और 2 लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं।

विश्व के सामने भारत का मूलभूत चिंतन, आशा की किरण नजर आता है। भारत की संस्कृति, भारत के संस्कार, उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं जिसकी आत्मा वसुधैव कुटुंबकम है। भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है, तो आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता। भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता होती है। जो पृथ्वी को मां मानती हो, वो संस्कृति, वो भारतभूमि, जब आत्मनिर्भर बनती है, तब उससे एक सुखी-समृद्ध विश्व की संभावना भी सुनिश्चित होती है।

भारत की प्रगति में तो हमेशा विश्व की प्रगति समाहित रही है। भारत के लक्ष्यों का प्रभाव, भारत के कार्यों का प्रभाव, विश्व कल्याण पर पड़ता है। जब भारत खुले में शौच से मुक्त होता है तो दुनिया की तस्वीर बदल जाती है। टीबी हो, कुपोषण हो, पोलियो हो, भारत के अभियानों का असर दुनिया पर पड़ता ही पड़ता है।

इंटरनेशनल सोलर अलायंस, ग्लोबर वॉर्मिंग के खिलाफ भारत की सौगात है। इंटरनेशनल योगा दिवस की पहल, मानव जीवन को तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए भारत का उपहार है। जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही दुनिया में आज भारत की दवाइयां एक नई आशा लेकर पहुंचती हैं। इन कदमों से दुनिया भर में भारत की भूरि-भूरि प्रशंसा होती है, तो हर भारतीय गर्व करता है। दुनिया को विश्वास होने लगा है कि भारत बहुत अच्छा कर सकता है, मानव जाति के कल्याण के लिए बहुत कुछ अच्छा दे सकता है।

सवाल यह है -कि आखिर कैसे? इस सवाल का भी उत्तर है-130 करोड़ देशवासियों का आत्मनिर्भर भारत का संकल्प। आज हमारे पास साधन हैं, हमारे पास सामर्थ्य है, हमारे पास दुनिया का सबसे बेहतरीन टैलेंट है, हम सर्वोत्म उत्पाद बनाएंगे, अपनी गुणवत्ता को और बेहतर करेंगे, सप्लाई चेन को और आधुनिक बनाएंगे। ये हम कर सकते हैं और हम जरूर करेंगे। यही हम भारतीयों की संकल्पशक्ति है। हम ठान लें तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं, कोई राह मुश्किल नहीं। आज तो चाह भी है, राह भी है। ये है भारत को आत्मनिर्भर बनाना।

आत्मनिर्भर भारत की ये भव्य इमारत, पाँच पिलर्स पर खड़ी होगी। पहला पिलर -इकोनॉमी, एक ऐसी इकॉनॉमी जो क्रमिक बदलाव नहीं बल्कि एक उछाल लाए। दूसरा पिलर इंफ्रास्ट्रक्चर एक ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर जो आधुनिक भारत की पहचान बने। तीसरा पिलर- हमारा सिस्टम- एक ऐसा सिस्टम जो बीती शताब्दी की रीति-नीति नहीं, बल्कि 21वीं सदी के सपनों को साकार करने वाली तकनीक पर आधारित हो। चौथा पिलर- हमारी जनसांख्यिकी- दुनिया की सबसे बड़े लोकतंत्र में हमारी जनसंख्या हमारी ताकत है, आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है। पाँचवाँ पिलर- मांग- हमारी अर्थव्यवस्था में डिमांड और सप्लाई चेन का जो चक्र है, जो ताकत है, उसे पूरी क्षमता से इस्तेमाल किए जाने की जरूरत है।

कोरोना संकट का सामना करते हुए, नए संकल्प के साथ मैं आज एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रहा हूं। ये आर्थिक पैकेज, 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' की अहम कड़ी के तौर पर काम करेगा। हाल में सरकार ने कोरोना संकट से जुड़ी जो आर्थिक घोषणाएं की थीं, जो रिजर्व बैंक के फैसले थे, और आज जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान हो रहा है, उसे जोड़ दें तो ये करीब-करीब 20 लाख करोड़ रुपए का है। ये पैकेज भारत की GDP का करीब-करीब 10 प्रतिशत है।

इन सबके जरिए देश के विभिन्न वर्गों को, आर्थिक व्यवस्था की कड़ियों को, 20 लाख करोड़ रुपए का संबल मिलेगा, सपोर्ट मिलेगा। 20 लाख करोड़ रुपए का ये पैकेज, 2020 में देश की विकास यात्रा को, आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई गति देगा। आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए, इस पैकेज में Land, Labour, Liquidity और Laws, सभी पर बल दिया गया है।

ये आर्थिक पैकेज हमारे कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, हमारे लघु-मंझोले उद्योग, हमारे एमएसएमई के लिए है, जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन है, जो आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प का मजबूत आधार है।

ये आर्थिक पैकेज देश के उस श्रमिक के लिए है, देश के उस किसान के लिए है जो हर स्थिति, हर मौसम में देशवासियों के लिए दिन रात परिश्रम कर रहा है। ये आर्थिक पैकेज हमारे देश के मध्यम वर्ग के लिए है, जो ईमानदारी से टैक्स देता है, देश के विकास में अपना योगदान देता है।

आपने भी अनुभव किया है कि बीते 6 वर्षों में जो आर्थिक सुधार हुए, उनके कारण आज संकट के इस समय भी भारत की व्यवस्थाएं अधिक सक्षम, अधिक समर्थ नज़र आईं हैं।

अब आर्थिक सुधार के उस दायरे को व्यापक करना है, नई ऊंचाई देनी है। ये रिफॉर्मस खेती से जुड़ी पूरी सप्लाई चेन में होंगे, ताकि किसान भी सशक्त हो और भविष्य में कोरोना जैसे किसी दूसरे संकट में कृषि पर कम से कम असर हो।

साथियों, आत्मनिर्भरता, आत्मबल और आत्मविश्वास से ही संभव है। आत्मनिर्भरता, ग्लोबल सप्लाई चेन में कड़ी स्पर्धा के लिए भी देश को तैयार करती है। ये संकट इतना बड़ा है, कि बड़ी से बड़ी व्यवस्थाएं हिल गई हैं। लेकिन इन्हीं परिस्थितियों में हमने, देश ने हमारे गरीब भाई-बहनों की संघर्ष-शक्ति, उनकी संयम-शक्ति का भी दर्शन किया है।

आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए 'वोकल' बनना है, न सिर्फ लोकल उत्पाद खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है। मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है।

वर्ल्ड कोरोना मीटर के अनुसार भारत में कोरोना के अब तक 72,953 मरीज हो चुके हैं। पिछले 24 घंटों में 3607 नए मरीज कोरोना के आए हैं, वहीं पिछले एक दिन में कुल 82 मरीजों की कोरोना से मौत हुई है। भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या 2331 है जबकि 23,203 लोग इससे ठीक होकर घर जा चुके हैं।

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