सरकार ने लोकसभा में पेश किया न्यूनतम मजदूरी बिल, विपक्ष ने बताया श्रमिक विरोधी कदम
गाँव कनेक्शन | Jul 30, 2019, 12:37 IST
श्रम एचं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने बिल पेश करते हुए कहा कि इससे देश के 50 करोड़ मजदूरों को न्यूनतम मजूदरी का अधिकार मिल सकेगा।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को न्यूनतम मजदूरी बिल 2019 पेश किया। बिल पेश करते हुए श्रम एचं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने सभी सदस्यों से इसे पारित करने की अपील की और कहा कि इससे देश में 50 करोड़ मजदूरों को न्यूनतम मजूदरी का अधिकार मिल सकेगा। हालांकि विपक्ष ने इस संहिता को श्रमिक विरोधी करार देते हुए कहा कि इसे श्रमिक संगठनों से बातचीत करने के बाद लाया जाए।
सदन में मजदूर संहिता संबंधी बिल पर चर्चा करते हुए श्रम एचं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों को समाहित करते हुए इसे तैयार किया गया है और इसमें मजदूरी से संबंधित चार कानून भी समाहित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस संहिता के लागू होने के बाद देश में संगठित और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 50 करोड़ से अधिक मजूदरों को न्यूनतम मजदूरी का अधिकार मिलेगा।
गंगवार ने कहा इस बिल के लागू होने के बाद, 'मासिक वेतन वालों को' अगले महीने की 7 तारीख तक, 'साप्ताहिक आधार पर काम करने वालों को' सप्ताह के अंतिम दिन तक और दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर भाई-बहनों को उसी दिन ही मजदूरी मिल जाए, इसका प्रावधान भी किया गया है।
गंगवार ने यह भी कहा कि इससे विभिन्न क्षेत्रों में मजदूरी संबंधी भेदभाव को दूर किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार बनने के बाद मजूदरों के हित में कई कदम उठाए गए और 2017 में न्यूनतम मजदूरी में 42 फीसदी की ऐतिहासिक बढ़ोतरी हुई।
कांग्रेस के सांसद कोकाकुनिल सुरेश ने आरोप लगाया कि यह विधेयक श्रमिक विरोधी है। उन्होंने पूछा कि ऐसी क्या आपात स्थिति आ गई थी कि श्रमिक संगठनों से बातचीत किए बिना आनन-फानन में यह संहिता लाया गया? सुरेश ने यह भी कहा कि आरएसएस संबंधित भारतीय मजदूर संघ भी इस संहिता का विरोध कर रहा है और अन्य श्रमिक संगठन भी इस संहिता का पुरजोर विरोध कर रहे हैं।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि सरकार इस विधेयक पर पुनर्विचार करे और श्रमिक संगठनों से विचार-विमर्श करने के बाद इसे दोबारा लाए। चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के वीरेंद्र कुमार ने कहा कि इस संहिता से श्रम क्षेत्र में नई क्रांति आने वाली है और नियोक्ता एवं मजदूरों दोनों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि इस संहिता में मजदूरों को संगठित और गैर संगठित में बांटे बिना उनका पूरा ध्यान रखा गया है।
कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों और वंचितों के हितों का पूरा खयाल रखा है और यह संहिता भी इसी से जुड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि मजदूरी के संदर्भ में महिलाओं के साथ भेदभाव होता रहा है, लेकिन इस संहिता के लागू होने के बाद यह भेदभाव खत्म हो जाएगा। द्रमुक के डी रवि कुमार ने कहा कि सरकार को यह व्यवस्था करना चाहिए कि जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं हो। उन्होंने कहा कि इसका प्रभावी ढंग से लागू करना चाहिए।
(भाषा से इनपुट के साथ)
सदन में मजदूर संहिता संबंधी बिल पर चर्चा करते हुए श्रम एचं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों को समाहित करते हुए इसे तैयार किया गया है और इसमें मजदूरी से संबंधित चार कानून भी समाहित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस संहिता के लागू होने के बाद देश में संगठित और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 50 करोड़ से अधिक मजूदरों को न्यूनतम मजदूरी का अधिकार मिलेगा।
गरीब एवं गरीबी से लड़ने वाले आदर्शों की सोच को साकार करने वाला बिल Code on Wages आज लोक सभा में प्रस्तुत किया।
2014 में आदरणीय मोदी जी की सरकार बनने के बाद से ही श्रम सुधारों में प्राथमिकता के आधार पर अपेक्षित कार्य किया जा रहा है। #CodeOnWages pic.twitter.com/qm4n7OtnZM
— Santosh Gangwar (@santoshgangwar) July 30, 2019
'मासिक वेतन वालों को' अगले महीने की 7 तारीख तक , 'साप्ताहिक आधार पर काम करने वालों को' सप्ताह के अंतिम दिन तक और दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर भाई-बहनों को उसी दिन ही मजदूरी मिल जाये, इसका प्रावधान भी इस कोड में किया गया है।#CodeOnWages pic.twitter.com/Nzkvo2hOr8
— Santosh Gangwar (@santoshgangwar) July 30, 2019
न्यूनतम मजदूरी की दरों में 42% की ऐतिहासिक वृद्धि की गई है। #CodeOnWages pic.twitter.com/6ALTIVcVh6
— Santosh Gangwar (@santoshgangwar) July 30, 2019
कांग्रेस सांसद ने कहा कि सरकार इस विधेयक पर पुनर्विचार करे और श्रमिक संगठनों से विचार-विमर्श करने के बाद इसे दोबारा लाए। चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के वीरेंद्र कुमार ने कहा कि इस संहिता से श्रम क्षेत्र में नई क्रांति आने वाली है और नियोक्ता एवं मजदूरों दोनों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि इस संहिता में मजदूरों को संगठित और गैर संगठित में बांटे बिना उनका पूरा ध्यान रखा गया है।
कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों और वंचितों के हितों का पूरा खयाल रखा है और यह संहिता भी इसी से जुड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि मजदूरी के संदर्भ में महिलाओं के साथ भेदभाव होता रहा है, लेकिन इस संहिता के लागू होने के बाद यह भेदभाव खत्म हो जाएगा। द्रमुक के डी रवि कुमार ने कहा कि सरकार को यह व्यवस्था करना चाहिए कि जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं हो। उन्होंने कहा कि इसका प्रभावी ढंग से लागू करना चाहिए।
(भाषा से इनपुट के साथ)