अम्फान साइक्लोन अपडेट: 1999 के बाद पहली बार बंगाल की खाड़ी में बना सुपर साइक्लोन पड़ा थोड़ा कमजोर, खतरा बरकरार

लगभग दो दशकों के बाद ऐसा हो रहा है जब बंगाल की खाड़ी में कोई सुपर साइक्लोन बना। आखिरी बार ऐसा सुपर साइक्लोन अक्टूबर 1999 में बना था जब ओडिशा इसकी चपेट में आया था और 10,000 से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।

Nidhi JamwalNidhi Jamwal   20 May 2020 8:16 AM GMT

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Amphan Super cycloneपिछले साल मई में ओडिशा में फानी चक्रवात आया था, जिसमें जान-माल को व्यापक नुकसान पहुंचा था। हालांकि समय पर मिले राहत ने कई लोगों की जान भी बचाई थी। फोटो: निधि जम्वाल

बंगाल की खाड़ी में बना सुपर साइक्लोन 'अम्फान' (जिसे उम पुन भी कहा जा रहा है) बंगाल की खाड़ी में बहुत तेजी से उत्तर से उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ रहा है। हालांकि यह थोड़ा कमजोर होकर 'सुपर साइक्लोन' से 'अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान' में बदल गया है। उम्मीद की जा रही है कि यह पश्चिम बंगाल-बांग्लादेश तट पर डीघा (पश्चिम बंगाल) और हटिया द्वीप समूह (बांग्लादेश) के बीच 20 मई की शाम तक टकराएगा। भारत के मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार, "यह सुपर साइक्लोन बहुत घातक और विनाशकारी क्षमता रखता है। इससे संचार और बिजली के खंभों, खड़ी फसलों और सड़कों को व्यापक पैमाने पर नुकसान हो सकता है।"

मौसम विभाग पहले ही ओडिशा, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम और मेघालय में भारी बारिश की चेतावनी जारी कर चुका है। लैंडफाल के समय जब यह साइक्लोन समुद्र तट से टकराएगा तब हवा की गति 155 से 165 किलोमीटर प्रति घंटा (किमी प्रति घंटा) होने की उम्मीद है, जो 185 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के साथ पूर्वी मेदिनीपुर और उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों की तरफ बढ़ रही है।

समुद्र तटों पर मछुआरों द्वारा मछली पकड़ने की गतिविधियों पर पाबंदी लगा दी गई है। लैंडफाल के दौरान यह दक्षिण और उत्तर 24 परगना जिले के निचले इलाकों को लगभग चार से पांच मीटर और पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले के निचले इलाकों को तीन से चार मीटर तक जलमग्न कर सकता है। पश्चिम बंगाल में लोगों की मदद के लिए राष्ट्रीय आपदा ईकाई (एनडीआरएफ) की 19 टीमों को तैनात किया गया है, जबकि चार टीमों को स्टैंडबाई के रूप में रखा गया है। इसी तरह ओडिशा में भी एनडीआरएफ की 13 टीमें तैनात हैं, जबकि 17 टीमों को जरूरत के समय इस्तेमाल किया जा सकता है।


लगभग दो दशकों के बाद ऐसा हो रहा है जब बंगाल की खाड़ी में कोई सुपर साइक्लोन बना। आखिरी बार ऐसा सुपर साइक्लोन अक्टूबर 1999 में आया था जब ओडिशा इसकी चपेट में आया था और 10,000 से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। हवा की गति के आधार पर भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) चक्रवातों को चक्रवाती तूफान, गंभीर चक्रवाती तूफान, बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान, अत्यंत गंभीर चक्रवाती तूफान और सुपर साइक्लोन के रूप में वर्गीकृत करता है।

लेकिन अम्फान को जो चीज और खतरनाक बनाती है, वह यह है कि 18 घंटे के भीतर ही यह श्रेणी -1 साइक्लोन से श्रेणी 5 साइक्लोन में परिवर्तित हो चुका है। इस तरह कह सकते हैं कि बंगाल की खाड़ी में बहुत मजबूत साइक्लोन विकसित हो रहा है।

भारतीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे में जलवायु वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत रॉक्सी मैथ्यू कोल्ल कहते हैं, "हमारे शोध से पता चला है कि महासागरों के अधिक तापमान की वजह से उत्तर हिंद महासागर में चक्रवातों की गति बहुत तेज हो रही है। वर्तमान मामले में बंगाल की खाड़ी विशेष रूप से गर्म रही है, जिसकी वजह से पहले एक चक्रवात और फिर बहुत कम समय में ही एक सुपर साइक्लोन आ रहा है।"

उदाहरण के लिए बंगाल की खाड़ी के कुछ दलदली इलाकों में मई के पहले दो हफ्तों तक लगातार 32 से 34 डिग्री सेल्सियस का अधिकतम तापमान दर्ज किया गया। "जलवायु परिवर्तन के कारण रिकॉर्ड तापमान दर्ज हो रहा है, हमने कभी इतना अधिक तापमान नहीं देखा। अधिक तापमान एक साइक्लोन को सुपर चार्ज कर सकते हैं क्योंकि उष्णकटिबंधीय चक्रवात मुख्य रूप से समुद्र की सतह पर हुए वाष्पीकरण से अपनी ऊर्जा लेते हैं," उन्होंने आगे बताया।

बंगाल की खाड़ी में समुद्र की सतह पर कभी इतना अधिक तापमान नहीं दर्ज किया गया और यह एक ज्ञात तथ्य है कि महासागरों का अधिक तापमान उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के तेज होने में योगदान देता है।

लेकिन रॉक्सी मैथ्यू के अनुसार एक चक्रवात की तीव्रता के लिए समुद्र की सतह का तापमान ही नहीं समुद्र की ऊष्मा की मात्रा भी महत्वपूर्ण होती है। "समुद्र की सतह का तापमान और समुद्र की ऊष्मा दोनों इस समय अधिक हैं। यह ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव हो सकता है, " उन्होंने कहा।

इस तीव्रता को 2017 के ओखी चक्रवात के दौरान भी आईएमडी ने रिकॉर्ड किया था जिसमें तमिलनाडु और केरल के 347 मछुआरों की दर्दनाक मौत हो गई थी। मौसम विभाग की एक रिपोर्ट में ओखी चक्रवात की असामान्य विशेषताओं का उल्लेख किया गया था। उस रिपोर्ट के अनुसार, ओखी तूफान अपने शुरूआती चरण में ही बहुत अधिक तेज था और 24 घंटे के भीतर ही यह एक चक्रवाती तूफान में तब्दील हो गया। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि यह तीव्रता सामान्य रूप से दो दिन लेती है।

आईआईटी भुवनेश्वर के स्कूल ऑफ अर्थ, ओशियन एंड क्लाइमेट साइंसेज विभाग में सहायक प्रोफेसर, वी. विनोज कहते हैं, "ग्लोबल वार्मिंग के कारण दुनिया भर में महासागरों की ऊपरी सतह गर्म हो रही है। यह भारतीय क्षेत्र के आसपास के समुद्री क्षेत्रों के लिए भी सही है। मानसून से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में चक्रवाती गतिविधियों की बढ़ती संख्या का यह एक प्रमुख कारण है।"

आईआईटी, बॉम्बे के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर श्रीधर बालासुब्रमण्यम के अनुसार, उच्च समुद्री सतह के तापमान के अलावा, वायुमंडलीय तरंगों ने भी सुपर साइक्लोन अम्फान की गति को और बढ़ाया है।

इन वायुमंडलीय तरंगों में संवहन-युग्मित केल्विन तरंग (CCKW) और मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO) शामिल हैं। "खाड़ी में समुद्र की सतह का तापमान 11 मई तक बहुत अधिक था, जिसके बाद यह धीरे-धीरे गिरना शुरू हो गया। लेकिन, चक्रवात अम्फान का गठन 16 मई से ही शुरू हो गया था," बालासुब्रमण्यम कहते हैं।

इसका कारण यह है कि तब तक MJO हमारे हिंद महासागर बेसिन में उतर गया था और इसी तरह से केल्विन तरंगों का संयोजन भी। उन्होंने कहा, "महासागरों के उच्च-सतह के तापमान और इन वायुमंडलीय तरंगों ने चक्रवात अम्फान की गति को और तीव्र किया। हालांकि अब ये लहरें सिस्टम से हट गई हैं और हमारे बेसिन से बाहर चली गई हैं, चक्रवात कमजोर पड़ने लगा है।"

इसलिए अब अम्फान पहले से थोड़ा कमजोर हुआ है। हालांकि खतरा किसी भी हाल में अभी टला नहीं है। किसी भी तरह से नुकसान बहुत अधिक होने वाला है। इसलिए निचले इलाकों में रहने वाले लोगों की समय पर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने की जरूरत है। उन्हें सुरक्षित आश्रय प्रदान करने से कई लोगों की जान बच सकती है। पिछले मई में इस तरह से कई लोगों की जान बची थी, जब ओडिशा में चक्रवात फानी आया था।

लेकिन कोरोना महामारी इन सबके बीच एक बड़ी चुनौती है। इंटरनेशनल सेंटर फॉर क्लाइमेट चेंज एंड डेवलपमेंट, बांग्लादेश के निदेशक सलीमुल हक कहते हैं, "चक्रवात अम्फान से लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग सब प्रभावित होगा। आश्रय स्थलों पर सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों का पालन करना लगभग असंभव के बराबर है।"

पश्चिम बंगाल के सुंदरवन विकास मंत्री मंटूराम पाखीरा ने मीडिया को बताया कि अभी तक सुंदरवन के ढाई लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया जा चुका है। यह काम लगातार जारी है और दोपहर तक और भी लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया जाएगा। हालांकि उन्होंने भी स्वीकार किया कि कोरोना लॉकडाउन की वजह से राहत कार्यों में दिक्कत आ रही है और घबराये लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर पा रहे हैं।

अनुवाद- दया सागर

मूल लेख अंग्रेजी में यहां पढ़ें- Super Cyclone Amphan weakens to an extremely severe cyclonic storm. But, still remains strongest cyclone ever recorded in the Bay of Bengal


  

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