कश्मीर पर कोई भी वार्ता सिर्फ पाकिस्तान के साथ ही होगी: एस. जयशंकर

कश्मीर मामले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प की मध्यस्थता के सुझाव को भारत ने ठुकराते हुए कहा कि इस मामले में बात-चीत सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच होगी।

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कश्मीर पर कोई भी वार्ता सिर्फ पाकिस्तान के साथ ही होगी: एस. जयशंकर

कश्मीर मामले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प की मध्यस्थता की पेशकश को ठुकराते हुए भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि इस मामले में बात-चीत सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच होगी। कोई भी तीसरा देश कश्मीर मामले में मध्यस्थ नहीं हो सकता।

थाईलैंड की राजधानी बैकांक में आसियान सम्मेलन में भाग लेने आए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ से भेंट के दौरान एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि यदि कश्मीर पर किसी वार्ता की आवश्यकता हुई, तो वह केवल और केवल पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्ता होगी।

जयशंकर ने ट्वीट कर इस बात-चीत की जानकारी देते हुए लिखा, "अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पिओ से क्षेत्रीय मामलों पर विस्तृत वार्ता हुई। उन्हें स्पष्ट रूप से अवगत करा दिया गया कि यदि कश्मीर पर किसी वार्ता की आवश्यकता हुई तो वह केवल पाकिस्तान के साथ होगी और द्विपक्षीय ही होगी।"

भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता संबंधी ट्रम्प के विवादास्पद बयान के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली आधिकारिक बैठक थी। अमेरिका के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मोर्गन ओर्टेगस ने बताया, दोनों नेताओं ने एशिया-आसियान क्षेत्र में कानून के शासन और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए साझी प्रतिबद्धता जाहिर की।" मोर्गन ने अपने बयान में कश्मीर मामले का कोई जक्रि नहीं किया है।

पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से व्हाइट हाउस में मुलाकात के दौरान कहा था कि अगर भारत तैयार हो तो अमेरिका कश्मीर मामले की मध्यस्थता कर सकता है।

भारत सरकार ने इससे पहले भी ट्रम्प के इस दावे को खारिज कर दिया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे इस मामले पर मध्यस्थता करने कहा था। वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि वह तैयार हैं और कश्मीर मामले पर अमेरिका के इस कदम का स्वागत करते हैं।

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आतंकवाद प्रमुख खतरा: जयशंकर

भारत ने कहा है कि वह उभरते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मजबूत, एकीकृत और समृद्ध आसियान को केंद्रीय भूमिका निभाते हुए देखना चाहता है। उन्होंने कहा कि आसियान देश की समृद्धि और सुरक्षा में योगदान करता है।

आसियान के सदस्य राष्ट्रों के विदेश मंत्रियों को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 10 सदस्यीय क्षेत्रीय समूह के साथ भारत का जुड़ाव देश की एक्ट ईस्ट नीति और रणनीति का अहम हिस्सा रहा है और आगे भी रहेगा। आपको बता दें कि आसियान में इंडोनेशिया, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, फिलीपीन्स, वियतनाम, ब्रुनेई,कंबोडिया, म्यांमार और लाओस जैसे देश शामिल हैं।

आसियान क्षेत्रीय मंच (एआरएफ) की बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद प्रशांत क्षेत्र में आतंकवाद साझा खतरा बना हुआ है इसलिए इस क्षेत्र में आतंकवाद को रोकने के लिए सामूहिक कार्रवाई की जरूरत है।

यह भी पढ़ें- सरकार कुलभूषण जाधव की वापसी के लिए प्रतिबद्धः एस. जयशंकर

     

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