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कम वेतन में काम करें तो योग्य ,'समान काम,समान वेतन 'मांगे तो अयोग्य क्यों संविदाकर्मी?

Ashwani Kumar Dwivedi | Jun 07, 2018, 14:22 IST
अधर में है देश के एक करोड़ संविदा कर्मियों का भविष्य, शिक्षामित्रों को अन्य संविदाकर्मी संगठनों ने दिया समर्थन, इको गार्डन में सरकार ने सातवे दिन भेजा प्रतिनिधि मंडल, 20 जून को सांसद कौशल किशोर का घेराव करेंगे रोजगार सेवक।
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लखनऊ। शिक्षा, परिवहन, चिकित्सा, नगरनिगम, मनरेगा सहित अन्य सरकारी विभागों में करीब 18 लाख संविदाकर्मी उत्तर प्रदेश में न्यूनतम वेतन पर वर्षो से काम कर रहें हैं। सरकार की दोहरी नीतियों के चलते देश भर में संविदाकर्मी प्रदर्शन करते रहते हैं। और कई बार प्रदर्शन हिंसक प्रदर्शन में तब्दील हो जाता हैं। एक तरफ संविदाकर्मी अपनी वर्षो की मेहनत के बदले सरकारी कर्मचारियों की तरह" समान वेतन और स्थायित्व" चाहते हैं और दूसरी तरफ सरकार इन्हें बोझ मानकर इनसे बचना चाहती है।

उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्र कर रहें है आन्दोलन

उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्र इन दिनों इको गार्डन लखनऊ में प्रदर्शन कर रहें हैं। प्रदेश ही नहीं देश के सभी राज्यों में सरकारी विभागों में संविदा कर्मी काम कर रहे हैं। एक तरफ जहाँ अलग-अलग संविदा कर्मियों के आन्दोलन में 2009 से अब तक उत्तर प्रदेश में कई प्रदर्शनकारियों की मौत भी हो चुकी है।वहीँ आर्थिक समस्याओ का सामना करते हुए सैकड़ो संविदाकर्मी अब तक दम तोड़ चुके हैं।प्रश्न ये हैं की इन हालात का जिम्मेदार कौन हैं,संविदा कर्मियों की मांग गलत है या सरकार की नीतिया गलत हैं।

सरकार बताये अट्ठारह साल से सेवा कर रहें शिक्षा मित्र अब कहाँ जाए

जनपद गोंडा से आये अवधेश मणि मिश्रा ने बताया ,"बतौर शिक्षामित्र अट्ठारह साल से नौकरी कर रहा हूँ।पैतीस सौ रुपए के न्यूनतम मानदेय पर जब तक पढ़ा रहे थे, तब तक सरकार की नजर में स्नातक शिक्षा मित्र योग्य थे। जब सरकारी शिक्षको के "समान काम, समान वेतन" की बात आई तो सरकार को शिक्षा मित्र अयोग्य लग रहे हैं। सात दिन हो गया शिक्षामित्र प्रदर्शन कर रहें है।लेकिन अभी तक कोई निराकरण नहीं हो पाया।"

योगी सरकार नए नियम बना शिक्षामित्रों की राह बना रही और मुश्किल : शिक्षा मित्र

ग्यारह महीनों में ख़त्म हो गये सात सौ एक शिक्षामित्र...

जनपद गोंडा से आये शिक्षामित्र व् संगठन के गोंडा जिला प्रभारी अभिमन्यु मिश्रा ने बताया," सपा सरकार में पहली भर्ती में सहायक अध्यापक की पोस्ट मिली थी।3 साल तक चालीस हजार वेतन भी मिला, फिर वेतन दस हजार कर दिया गया। वो भी 9 महीने से मिला नहीं ,इस सदमे और मानसिक तनाव के चलते अब तक प्रदेश में सात सौ शिक्षा मित्रों की मौत हो चुकी है। अवधेश मिश्रा धरना स्थल पर गाँव कनेक्शन प्रतिनिधि को यह बता ही रहें थे, तब तक फोन पर फरुक्खाबाद से एक शिक्षामित्र के दिल का दौरा पड़ने के चलते मौत की खबर आ गयी ।

मांगे पूरी न होने तक चलेगा प्रदर्शन, संविदा संगठनों ने दिया समर्थन

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शिक्षामित्र संगठन के प्रदेश संरक्षक शिव कुमार शुक्ला बताते है ," निदेशक बेसिक शिक्षा को ज्ञापन दिया गया है व् जिलाधिकारी लखनऊ के माध्यम से मुख्यमंत्री जी को भी ज्ञापन दिया गया है।जब तक मांगे पूरी नही होंगी तब तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा।एक जून से चल रहें धरना प्रदर्शन में अखिल भारतीय संविदा कर्मी संघ ,प्रेरक संघ ,रोजगार सेवक संघ ,रसोइया संघ और राज्य कर्मचारी सयुक्त परिषद् ने धरने को समर्थन दिया हैं लड़ाई जारी रहेगी।"

ये है शिक्षामित्रों की मांगे....

सरकार को भेजे गये मांग पत्र में शिक्षा मित्रो ने 9 अगस्त 2017 को केंद्र सरकार द्वारा पारित अधिनियम आरटीई एक्ट को उत्तर प्रदेश में लागू करने की मांग की हैं।

जिसके अंतर्गत शिक्षामित्रों को सुविधा देते हुए न्यूनतम अहर्ता प्राप्त करने के लिए चार वर्षों की छूट दी जाये और इस दौरान शिक्षा मित्रो को सहायक अध्यापक का वेतन दिया जाये।

मृतक शिक्षामित्रों के परिजनों को आर्थिक सहायता के साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए।

उच्च न्यायालय के आदेश रिट संख्या 7300/2018 में पारित आदेश के आधार पर 38878 रुपए वेतन 62 वर्ष की उम्र तक देते हुए शिक्षामित्रों को स्थायित्व प्रदान करनें की मांग।

सरकार चाहें तो हो सकता हैं निराकरण

शिक्षामित्रों के धरना स्थल पर समर्थन देने पहुंचे समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी ने गांव कनेक्शन संवाददाता से बात करते हुए कहा ,"सरकार चाहे तो शिक्षामित्रों की समस्या का हल हो सकता है।जैसे उत्तराखंड सरकार ने केंद्र सरकार के 9 अगस्त 2018 को पारित अधिनियम लागू कर दिया है यही उत्तर प्रदेश में लागू हो जाये हो तो शिक्षामित्रों को राहत मिल जाएगी।

सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप ,रोजगार सेवक 20 जून को घेरेंगे सांसद आवास

उत्तर प्रदेश रोजगार सेवक संघ के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह ने बताया ," पिछले दो सालो में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ ,गोरखपुर, मऊ,सहित अन्य जनपदों में शिक्षामित्र बराबर मानदेय के लिए धरना प्रदर्शन कर रहें है।ग्राम रोजगार सेवक भूखे मरने की स्थिति में आ गए हैं। आजमगढ़ ,गोरखपुर ,बलिया ,लखनऊ ,लगभग सभी जिलों में रोजगार सेवको ने अधिकारीयों को अपनी समस्या को लिखित रूप से अवगत कराया ।लखनऊ सहित प्रदेश के कई जिलों में रोजगार सेवको ने सामूहिक इस्तीफे तक दे दिए । सभी सम्बंधित जिम्मेदार अधिकारियों से लेकर ग्राम्य विकास मंत्री ,उप मुख्यमंत्री ,मुख्यमंत्री तक को कई बार रोजगार सेवक संगठन द्वारा ज्ञापन देकर गुहार लगाई गयी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई।

रोजगार सेवकों कोउपेक्षित किया गया हैं...

भूपेश सिंह आगे बताते है ,"चुनाव् के दौरान मंच से भाजपा के बड़े नेताओ ने संविदा कर्मियों को नियमित करने की बात तो की। लेकिन उस पर अमल नहीं किया गया।यहाँ तक भाजपा के मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर ने रोजगार सेवको को लिखित आश्वासन दिया था लेकिन कोई लाभ नही हुआ ।20 जून को उत्तर प्रदेश के 37हजार रोजगार सेवक सांसद के आवास का घेराव करेंगे।

रोजगार सेवक अगर घेरांव और ज्ञापन देना चाहते हैं तो उनका स्वागत

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इस विषय पर गाँव कनेक्शन संवाददाता द्वारा मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर से पूछने पर सांसद ने बताया कि रोजगार सेवको की लड़ाई उचित हैं। और मैंने लिखित आश्वासन दिया था, ये भी सही है।

सांसद ने आगे बताया कि भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र में रोजगार सेवको की ही नहीं बल्कि सभी संविदाकर्मियों की समस्या 120 दिनों के भीतर खत्म करने का वादा किया गया था। और सरकार करना भी चाहती है।जैसे आज मुख्यमंत्री का प्रतिनिधि मंडल इको गार्डन लखनऊ में शिक्षामित्रों से मिला है और शिक्षामित्रों को राहत देने के लिए सरकार कोशिश कर रही है।वैसे ही रोजगार सेवको की भी राहत दी जाएगी।

कौशल किशोर आगे बताते है ,"अभी कल ही मैंने मुख्यमंत्री जी से इस विषय में वार्ता की है। साथ ही ग्राम्य विकास मंत्री महेंद्र सिंह से भी बात हुई है ।जल्द ही रोजगार सेवको की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है,घेराव की जानकारी मुझे अभी नहीं है अगर रोजगार सेवक घेराव और ज्ञापन देना चाहते है तो उनका स्वागत हैं ।

बेरोजगारों की मजबूरी का फायदा उठा रहीं है सरकार.....

अखिल भारतीय संविदा कर्मचारी संघ के रास्ट्रीय प्रवक्ता ए .पी सिंह का कहना हैं ,"देश में एक करोड़ संविदा कर्मी कार्य कर रहें हैं । सरकारी कर्मचारी को जिस काम के लिए सरकार पचास हजार रुपए देती हैं। उसी काम को संविदा कर्मी 5 हजार रुपए में कर रहें हैं ।देश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या बढती जा रही है और सरकार ज्यादातर नयी भर्तिया संविदा के आधार पर कर रही है।

ए पी सिंह आगे बताते है ,"संविदा नीति नही ये शोषण की नीति है संविदा कर्मचारियों से 8 की जगह 12 घंटे काम लिया जाता हैं। रिनिवल के नाम पर अधिकारी वसूली करतें हैं,विरोध करने पर संविदा ख़त्म करने की धमकी दी जाती हैं ।घूस न देने पर परिवहन और कस्तूरबा गांधी में कार्यरत कई संविदा कर्मियों की सेवा समाप्त कर दी गयी ।

दो साल से मानदेय न मिलने से परेशान पचास ग्राम रोज़गार सेवको ने दिया सामूहिक इस्तीफा

सोशल मिडिया पर संविदाकर्मियों छलका संविदाकर्मियो का दर्द और गुस्सा

इनदिनों सोशल मिडिया पर संविदाकर्मियो का दर्द और गुस्सा दोनों ट्रेंड पर है ।

ट्विटर पर नीतिका पाण्डेय ने लिखा "भारत में तूफान आये न आये पर ,उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रो का तूफ़ान 2019 के चुनाव में अवश्य दिखाई देगा,देखो किसका तम्बू उखड़ता हैं।"

ट्विटर पर शहीदे आजम ने लिखा ,"यूपी के एनआरएचएम् संविदा कर्मी शोषण का शिकार हैं।समान काम तो फिर समान वेतन क्यों नहीं "।

मीनू सैनी ट्वीट करती हैं कि यूपी रोडवेज सयुक्त परिषद् की बैठक नियमित होने चाहिए संविदा कर्मी "

कृष्ण दीक्षित न ट्वीट किया ,"सर ग्राम रोजगार सेवको पर ही रहम करें 2016 -17 से बाकीं है बहुत कम मिलने वाला मानदेय विभाग के अधिकारी कहते है गर्ज हो तो काम करों वर्ना छोड़ दो नौकरी ,12 साल की तपस्या के बाद हम कहाँ जाएँ "

अभागा#शिक्षा मित्र ने ट्वीट किया "माननीय सीएम साहब आपके जन्मदिन पर आपको ढेर सारी शुभकामनाये ,शिक्षा मित्रो द्वारा इको गार्डन में चलाये जा रहें धरना प्रदर्शन में आपकी कृपा हो जाये तो लाखो दुआये आपको लगेंगी "

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