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बच्चों में ज़्यादा गुस्सा, एक तरह का मनोरोग

गाँव कनेक्शन | Sep 16, 2016, 16:23 IST
India
ओपोजीशनडेफियांट डिस्ऑर्डर (ओडीडी) ये एक ऐसी दिक्कत है जिसमें बच्चें दूसरो की बात बिलकुल नहीं मानते है गुस्सा और बहुतज़्यादा दूसरो को परेशान करते है। ये दिक्कत उनके हर व्यवहार मेंनज़रआती है और दूसरों की भावनाओं को समझ नहीं पाते हैं।

दस साल का राजीव अपने मां बाप के साथ मनोवैज्ञानिक को दिखाने आया तो उसके घरवालो ने समझाया कि उसको इलाज की कोई ज़रूरत नही हैं, और समझाने से उसकी दिक्कत खत्म हो जाएगी। राजीव के मां बाप बहुत परेशान हो गए और उनको ये बात समझ में आ गई थी ये मामला समझाने की सीमा से बाहर चला गया है। वो बचपन से ही बड़ों की बात नहीं सुनता था और बहुत ज़्यादा बहस करता था। वो छोटी छोटी बातों पर गुस्सा करता था और दूसरों की बात बिल्कुल नहीं मानता था। बात तो तब बढ़ गई जब उसने अपनी छोटी बहन को गुस्से में आकर छत पर से धक्का दे दिया और उसको बहुत ज्यादा चोटें आईं। दो साल इलाज करवाने के बाद राजीव का गुस्सा अब बहुत नियंत्रण में आ गया है।

ओडीडी ज्यादातर तीन साल की उम्र से ही नज़र आने लगता है और 3-16 साल की उम्र में भी होता है। ये दिक्कत लड़कों में ज़्यादा होती है। ये 2 प्रतिशत से 16 प्रतिशत तक स्कूल जाने वाले बच्चों में होती है। ऐसे बच्चों के घर वालों में भी गुस्सा और अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करने की क्षमता कम होती है।

इसके मुख्य लक्षण होते हैं

  • बहुत ज्यादा गुस्सा करना, बड़ों की बात बिल्कुल न सुनना, व्यवहार बहुत नकारात्मक होना।
  • बड़ों की बात न मानना या उसका उल्टा करना।
  • जानकर दूसरों को परेशान करना।
  • बड़ों के बनाए हुए नियमों को न मानना और तोड़ना।
  • हमेशा दूसरों को अपनी परेशानियों के लिए जिम्मेदार ठहराना।
  • बहुत जल्दी बुरा मान जाना।
  • बहुत जल्दी गुस्सा होना और बदले की भावना मन में रखना।


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