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बदलेगा सरकारी स्कूलों का कलेवर

गाँव कनेक्शन | Sep 16, 2016, 16:01 IST
India
लखीमपुर खीरी। थारू गाँवों के सरकारी प्राइमरी स्कूल अब बदले बदले नजर आएंगे। स्कूलों की शक्ल सूरत सब बदली जा रही है। ये स्कूल न केवल देखने में आकर्षक लगने लगे हैं। बल्कि इनमें पढऩे वाले बच्चों के लिए फर्नीचर से लेकर खेल की सब सामग्री भी उपलब्ध होगी। स्कूल मलाला लाइब्रेरी से भी लैस होंगे।

नेपाल बार्डर पर दुधवा टाइगर रिजर्व की गोद में बसे करीब 38 थारू गाँवों में से आठ गाँवों को खीरी की डीएम किंजल सिंह ने गोद लिया है। इन गाँवों में प्राइमरी स्कूलो में रंग रोगन किया जा रहा है।

वालपुट्टी से आकर्षक ढंग से सजाया जा रहा है। बाउंड्री वाल हो या मेन गेट सब का कायाकल्प किया जा रहा। स्कूल दूर से देखने पर लगते ही नहीं कि ये वही सरकारी प्राइमरी स्कूल हैं।

सफेद रंग से लकलक कर रहे इन स्कूलों में थारू बच्चों के लिए खेल की सामग्री के साथ मलाला लाइब्रेरी भी बनाई जा रही हैं। इस लाइब्रेरी में बच्चों की कहानी की किताबों से लेकर प्रेरक रोचक किताबों को भी रखा जाएगा। लड़कियों के लिए मेहंदी, सिलाई-कढ़ाई की किताबें भी इस लाइब्रेरी में मौजूद रहेंगी। देश की महान विभूतियों विवेकानन्द से लेकर पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के जीवन से जुड़ी किताबें भी इस मलाला लाइब्रेरी में मौजूद रहेंगी। स्कूलों में मैटिंग, फर्नीचर भी आकर्षक ढंग से लगाया जाएगा, जिससे बच्चों का मन स्कूल में लगे। दीवारों पर कार्टून बनाए जाएंगे। वर्णमाला गिनती ज्ञान सब कुछ सजाकर लिखा जाएगा। थारू इलाके में नींव नाम से 'थारू द राइजिंग' कार्यक्रम चला रहीं खीरी की डीएम किंजल सिंह कहती हैं, ''बच्चों को पढ़ाई के लिए एक अच्छे माहौल की जरूरत होती है। जनजातीय इन बच्चों को आगे बढ़ाने को स्कूलों से ही शुरुआत होनी चाहिए। प्राइमरी शिक्षा अच्छी होगी तो बच्चे खुद ब खुद आगे निकल जाएंगे।"

थारू इलाके के पुरैना, रामनगर, धुसकिया, पोया समेत आठ गाँवों को जिला प्रशासन ने पहले चरण में चुना है। स्कूलों की सूरत बदली जा रही। लाल, हरे, बैंगनी और कई रंगों में दीवारें रंगी जा रहीं हैं। बर्तन स्टैंड से लेकर हाथ धोने के लिए जगह बनाई जा रही है। बच्चों को साफ-सफाई के गुर भी सिखाए जा रहे। खीरी के बीएसए डॉ. ओपी राय कहते हैं, ''बच्चों को स्वस्थ माहौल देने की ये सार्थक कोशिश है। इस दूरस्थ और पिछड़े इलाके में खुले ये सरकारी स्कूल अब कान्वेंट की तरह दिखने लगे हैं। हमारी कोशिश है जनजातीय बच्चों को एक अच्छा माहौल देना। लाइब्रेरी से लेकर खेल का सामान बच्चों के सर्वांगीण विकास की तैयारी है।"

रिपोर्टर : प्रतीक श्रीवास्तव

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