कृषि कानूनों के खिलाफ राहुल गांधी ने शुरू की 'खेती बचाओ यात्रा', किसान संगठनों ने कहा- पॉलिटिकल स्टंट
Daya Sagar | Oct 04, 2020, 15:38 IST
कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पंजाब से 'खेती बचाओ यात्रा' शुरू की है और कहा कि अगर उनकी सरकार केंद्र में आती है तो कृषि कानूनों को रद्दी में फेंक देगी। हालांकि पिछले चार दिनों से 'रेल रोको आंदोलन' कर रहे किसान संगठनों ने इसे महज कांग्रेस का एक पॉलिटिकल स्टंट कहा है।
नए कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार से पंजाब में 'खेती बचाओ यात्रा' शुरू की है। पंजाब में कृषि कानूनों का सबसे अधिक विरोध हो रहा है। इस यात्रा के पहले दिन उन्होंने पंजाब के मोंगा में रैली की और कहा कि अगर उनकी सरकार केंद्र में आती है तो वे कृषि कानूनों को रद्दी की टोकरी में फेंक देंगे।
राहुल गांधी ने कहा, "न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), खाद्य खरीद और थोक बाजार देश की कृषि-व्यापार व्यवस्था के तीन प्रमुख स्तम्भ हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस व्यवस्था को ध्वस्त करना चाहते हैं।" उन्होंने किसानों से वादा किया कि उनकी पार्टी के सत्ता में आने के तुरंत बाद ही इन तीनों कृषि कानूनों को समाप्त कर दिया जाएगा।
अपनी इस 'खेती बचाओ यात्रा' के तहत राहुल गांधी ने राज्य के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ के साथ एक ट्रैक्टर रैली में भाग लिया। यह ट्रैक्टर यात्रा जट्टपुरा, लुधियाना में समाप्त हुई, जहां पर भी उन्होंने जनसभा को संबोधित किया। राहुल गांधी की यह 'खेती बचाओ यात्रा' तीन दिन तक चलेगी, जिसमें वह पंजाब के अलग-अलग हिस्सों में जाएंगे।
उन्होंने कहा कि इस यात्रा से किसानों को विश्वास दिलाना है कि कांग्रेस कृषि कानूनों के खिलाफ मजबूती से उनके साथ खड़ा है। उन्होंने कहा, "मोदी सरकार दावा कर रही है कि ये कानून किसानों के लिए फायदेमंद है, तो सरकार यह भी बताए कि लाखों किसान इसके खिलाफ सड़कों पर क्यों हैं।" सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए वह कहते हैं कि सरकार इन तीन कानूनों को पास कराने के लिए इतनी आतुर क्यों थी?
अगर सरकार को यह कानून पास करवाना था तो संसद में इस पर व्यापक चर्चा कराती, विभिन्न दलों के सुझावों को बिल में शामिल करती। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया और विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद भी कृषि बिल को पास करा दिया। उन्होंने कहा कि अगर किसानों के लिए कानून बनाए जा रहे हैं तो किसानों से भी इस संबंध में बात करनी चाहिए थी।
राहुल गांधी ने किसानों को आश्वासन दिया कि वे किसानों के साथ हैं और एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा, "मोदी सरकार देश के अन्नदाता के मुंह से रोटी और पैरों से ज़मीन छीनने पर तुली है। लेकिन किसान अकेले नहीं हैं। मैं आपके हक़ की लड़ाई में हमेशा आपका साथ देने का वादा करता हूं।"
कृषि संगठनों ने कहा- 'पॉलिटिकल स्टंट'
हालांकि इन कृषि कानूनों का लगातार विरोध और आंदोलन कर रहे विभिन्न किसान संगठनों ने राहुल गांधी की इस रैली को महज एक पॉलिटिकल स्टंट कहा है। भारतीय किसान यूनियन, पंजाब के अध्यक्ष हरेंद्र लोखवाल गांव कनेक्शन से फोन पर बात-चीत में कहते हैं, "अगर कांग्रेस या राहुल गांधी को किसानों की वाकई में फिक्र होती, तो वह आकर हमारे आंदोलन में साथ देते और किसानों के साथ रेलवे ट्रैक पर बैठते, हाईवे जाम करते। लेकिन उन्हें इस मामले में भी अपनी पार्टी के राजनीतिक फायदे के लिए पॉलिटिकल स्टंट करना है।"
हरेंद्र लोखवाल ने बताया कि भारतीय किसान यूनियन सहित दर्जनों किसान संगठन पंजाब, हरियाणा सहित देश भर में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। इस दौरान वह रेल रोको और हाईवे रोको आंदोलन कर रहे हैं, जिसमें पंजाब के सभी 22 जिलों के लाखों किसान शामिल हैं। यह आंदोलन पिछले चार दिन से चल रहा है। हालांकि अभी हरियाणा व अन्य राज्यों में इस रेल रोको किसान आंदोलन का उतना प्रभाव नहीं दिख रहा है।
उधर, किसान बिलों के विरोध में उतरे किसानों से बात करने के लिए बीजेपी द्वारा गठित पंजाब के स्थानीय नेताओं का पैनल पंजाब की 31 किसान यूनियनों से बात कर रहा है और उन्हें कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ बैठ कर, अपने मसले रखने और मसलों के निदान हेतु मीटिंग करवाने का प्रस्ताव दे रहा है। पंजाब की 31 किसान यूनियन इस प्रस्ताव पर 7 अक्टूबर को फैसला लेंगे।
लोखवाल ने कहा उसके पहले हम लोग 6 अक्टूबर को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की अध्यक्षता में जबरदस्त रैली करेंगे। हालांकि उन्होंने बीजेपी द्वारा किसी भी बातचीत के प्रस्ताव पर कुछ नहीं कहा।
ये भी पढ़ें- कृषि कानूनों के खिलाफ फिर किसानों की हुंकार, पंजाब में राशन लेकर रेलवे ट्रैक और टोल प्लाजा पर गाड़ा तंबू
राहुल गांधी ने कहा, "न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), खाद्य खरीद और थोक बाजार देश की कृषि-व्यापार व्यवस्था के तीन प्रमुख स्तम्भ हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस व्यवस्था को ध्वस्त करना चाहते हैं।" उन्होंने किसानों से वादा किया कि उनकी पार्टी के सत्ता में आने के तुरंत बाद ही इन तीनों कृषि कानूनों को समाप्त कर दिया जाएगा।
अपनी इस 'खेती बचाओ यात्रा' के तहत राहुल गांधी ने राज्य के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ के साथ एक ट्रैक्टर रैली में भाग लिया। यह ट्रैक्टर यात्रा जट्टपुरा, लुधियाना में समाप्त हुई, जहां पर भी उन्होंने जनसभा को संबोधित किया। राहुल गांधी की यह 'खेती बचाओ यात्रा' तीन दिन तक चलेगी, जिसमें वह पंजाब के अलग-अलग हिस्सों में जाएंगे।
People of Punjab join Shri @RahulGandhi Ji, Chief Minister @capt_amarinder Singh Ji, PPCC President @sunilkjakhar Ji and other Congress leaders in the #KhetiBachaoYatra from Badni Kalan. pic.twitter.com/IvCdDHOLgd
— Punjab Congress (@INCPunjab) October 4, 2020
अगर सरकार को यह कानून पास करवाना था तो संसद में इस पर व्यापक चर्चा कराती, विभिन्न दलों के सुझावों को बिल में शामिल करती। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया और विपक्षी दलों के भारी विरोध के बावजूद भी कृषि बिल को पास करा दिया। उन्होंने कहा कि अगर किसानों के लिए कानून बनाए जा रहे हैं तो किसानों से भी इस संबंध में बात करनी चाहिए थी।
राहुल गांधी ने किसानों को आश्वासन दिया कि वे किसानों के साथ हैं और एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा, "मोदी सरकार देश के अन्नदाता के मुंह से रोटी और पैरों से ज़मीन छीनने पर तुली है। लेकिन किसान अकेले नहीं हैं। मैं आपके हक़ की लड़ाई में हमेशा आपका साथ देने का वादा करता हूं।"
Shri @RahulGandhi Ji along with CM @capt_amarinder Singh Ji addressed the people of Punjab at Jattpura, Raikot and assured them that they will not stop fighting till farm laws are amended to give constitutional guarantee on MSP and FCI continuation. #KhetiBachaoYatra pic.twitter.com/J6RzUfecy8
— Punjab Congress (@INCPunjab) October 4, 2020
हालांकि इन कृषि कानूनों का लगातार विरोध और आंदोलन कर रहे विभिन्न किसान संगठनों ने राहुल गांधी की इस रैली को महज एक पॉलिटिकल स्टंट कहा है। भारतीय किसान यूनियन, पंजाब के अध्यक्ष हरेंद्र लोखवाल गांव कनेक्शन से फोन पर बात-चीत में कहते हैं, "अगर कांग्रेस या राहुल गांधी को किसानों की वाकई में फिक्र होती, तो वह आकर हमारे आंदोलन में साथ देते और किसानों के साथ रेलवे ट्रैक पर बैठते, हाईवे जाम करते। लेकिन उन्हें इस मामले में भी अपनी पार्टी के राजनीतिक फायदे के लिए पॉलिटिकल स्टंट करना है।"
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हरेंद्र लोखवाल ने बताया कि भारतीय किसान यूनियन सहित दर्जनों किसान संगठन पंजाब, हरियाणा सहित देश भर में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। इस दौरान वह रेल रोको और हाईवे रोको आंदोलन कर रहे हैं, जिसमें पंजाब के सभी 22 जिलों के लाखों किसान शामिल हैं। यह आंदोलन पिछले चार दिन से चल रहा है। हालांकि अभी हरियाणा व अन्य राज्यों में इस रेल रोको किसान आंदोलन का उतना प्रभाव नहीं दिख रहा है।
#Shambhu border Ambala-Chandigarh road Morcha, where #farmers have assembled to protest against #FarmBills
My advice to @PMOIndia, is that it is not late, talk to farmers, address their concerns, otherwise #Punjab #Haryana #farmer protests will get out of hand in the coming days pic.twitter.com/edpiUrEcdc
— Ramandeep Singh Mann (@ramanmann1974) October 4, 2020
लोखवाल ने कहा उसके पहले हम लोग 6 अक्टूबर को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत की अध्यक्षता में जबरदस्त रैली करेंगे। हालांकि उन्होंने बीजेपी द्वारा किसी भी बातचीत के प्रस्ताव पर कुछ नहीं कहा।
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