पनामागेट मामला : नवाज शरीफ की जगह अब कौन बनेगा पाकिस्तान का नया प्रधानमंत्री ?

Sanjay Srivastava | Jul 28, 2017, 20:24 IST

इस्लामाबाद (आईएएनएस)। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के इस्तीफा देने के बाद अब बड़ा सवाल यह खड़ा हुआ है कि आखिर उनका उत्तराधिकारी कौन होगा? सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नवाज शरीफ के इस्तीफा देने पर राजनीतिक गलियारों में अटकलें लगाई जाने लगी है कि अगला आम चुनाव होने तक कौन प्रधानमंत्री की कुर्सी पर काबिज होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रपति ममनून हुसैन को देश के मामलों का प्रभार अपने हाथों में लेने के लिए कहा है। सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) का प्रमुख होने के नाते नवाज शरीफ अभी भी उत्तराधिकारी को नामित करने का अधिकार रखते हैं।

रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ उनके (नवाज शरीफ) सबसे विश्वसनीय लोगों में से एक हैं और अटकलों के अनुसार, उनके (आसिफ) उत्तराधिकारी बनने की संभावना सबसे ज्यादा है। पूर्व बैंकर 1991 से पीएमएल-एन में कई महत्वपूर्ण पदों पर काबिज हो चुके हैं।

शक्तिशाली सेना के कट्टर आलोचक रहे ख्वाजा आसिफ 1993 से अपने गृह जनपद सियालकोट से नेशनल एसेंबली में निर्वाचित होते रहे हैं। सेना के खिलाफ उनके कठोर रवैये ने नवाज शरीफ के लिए समस्या पैदा कर दी थी।

रपटों के मुताबिक, पीएमएल-एन ने नवाज शरीफ के छोटे भाई व पंजाब के मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ को पद पर निर्वाचित करने से पहले कुछ हफ्तों के लिए एक अंतरिम प्रधानमंत्री लाने की योजना बनाई है।

प्रधानमंत्री बनने के लिए नवाज शरीफ के भाई को अपने वर्तमान पद को छोड़ना होगा और नेशनल एसेंबली के लिए निर्वाचित होना होगा। शहबाज शरीफ हालांकि बहुत बुद्धिमान माने जाते हैं, लेकिन वे अपने बड़े भाई के मुकाबले कम करिश्माई व्यक्तित्व वाले शख्स माने जाते हैं।

नेशनल एसेंबली के अध्यक्ष सरदार अयाज सादिक भी इस शीर्ष पद के मजबूत दावेदार हैं। वह शरीफ परिवार के करीबी माने जाते हैं। साल 2013 के आम चुनाव में शरीफ के मुख्य प्रतिद्वंद्वी इमरान खान को लाहौर सीट से हराकर सादिक ने उनका भरोसा जीत लिया था।

संभावित उत्तराधिकारी की कतार में योजना एवं विकास मंत्री अहसान इकबाल का भी नाम है। वह ऐसे राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जो लंबे समय तक नवाज शरीफ की पार्टी से जुड़ा रहा है।

पूर्व में शिक्षा और अल्पसंख्यक मंत्री रह चुके अहसान, नवाज शरीफ के दूसरे कार्यकाल के दौरान 1998-1999 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं।