जर्ज़र भवन में पढ़ने को मजबूर बच्चे
गाँव कनेक्शन | Sep 16, 2016, 16:30 IST
बछरावां (रायबरेली)। सरकार हर वर्ष ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करती है, ऐसे में कुछ विद्यालय के भवन इतने जर्जर हो गए हैं कि कभी भी गिर सकते हैं।
रायबरेली जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर बछरावां ब्लॉक के राघवपुर गाँव में चल रहा प्राथमिक विद्यालय के कमरे इतने ज्यादा जर्जर हो गए हैं कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
बारिश में छत टपकने लगती है और कमरों में पानी भर जाता है। इससे बच्चों को घर भेज दिया जाता है।प्राथमिक विद्यालय के इंचार्ज वेद कुमार सिंह कहते हैं, “कई बार हमने बीएसए और एबीएसए को प्रार्थना पत्र लिखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अतिरिक्त कक्ष को हमने ऑफिस बना रखा है। स्कूल की बिल्डिंग की छत से पानी टपकता रहता है। फर्श भी पूरी तरह से उखड़ गयी है।”
प्राथमिक स्कूल का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। बारिश के दौरान बच्चों को पढ़ाई में परेशानी होती है। बारिश नहीं होने पर बच्चों को खुले में बैठाकर पढ़ाया जाता है। तेज बारिश होने पर मजबूरन अंदर बैठाना पड़ता है। ग्रामपंचायत की ओर से दस वर्ष से भी साल पहले इस भवन का निर्माण कराया गया था। विद्यालय में एक इंचार्ज, दो सहायक अध्यापक और एक प्रशिक्षु अध्यापक हैं। इसमें एक से पांच तक 60 बच्चे हैं। भवन की स्थिति को देखते हुए अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल में हादसे के डर से भेजने से कतरा रहे हैं। इससे इस साल स्कूल में छात्र-छात्राओं के नामांकन में भी कमी आई है।
वेद सिंह बताते हैं, “आजतक विद्यालय की चाहरदिवारी तक नहीं बन पायी है, इससे रात में यहां पर छुट्टा जानवर अपना ठिकाना बना लेते हैं, सुबह आओ तो चारों तरफ गोबर ही गोबर दिखता है। यहां तक की कमरों में दरवाजे नहीं हैं, उसे भी जानवर गंदा कर देते हैं।” सहायक अध्यापक प्रदीप कुमार कहते हैं, “अभिभावक भी अपने बच्चों को स्कूल में नहीं भेजना चाहते हैं, कहते हैं कि अगर कुछ हो जाएगा तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। स्कूल में कोई व्यवस्था ही नहीं है।”
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
रायबरेली जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर बछरावां ब्लॉक के राघवपुर गाँव में चल रहा प्राथमिक विद्यालय के कमरे इतने ज्यादा जर्जर हो गए हैं कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
बारिश में छत टपकने लगती है और कमरों में पानी भर जाता है। इससे बच्चों को घर भेज दिया जाता है।प्राथमिक विद्यालय के इंचार्ज वेद कुमार सिंह कहते हैं, “कई बार हमने बीएसए और एबीएसए को प्रार्थना पत्र लिखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अतिरिक्त कक्ष को हमने ऑफिस बना रखा है। स्कूल की बिल्डिंग की छत से पानी टपकता रहता है। फर्श भी पूरी तरह से उखड़ गयी है।”
प्राथमिक स्कूल का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। बारिश के दौरान बच्चों को पढ़ाई में परेशानी होती है। बारिश नहीं होने पर बच्चों को खुले में बैठाकर पढ़ाया जाता है। तेज बारिश होने पर मजबूरन अंदर बैठाना पड़ता है। ग्रामपंचायत की ओर से दस वर्ष से भी साल पहले इस भवन का निर्माण कराया गया था। विद्यालय में एक इंचार्ज, दो सहायक अध्यापक और एक प्रशिक्षु अध्यापक हैं। इसमें एक से पांच तक 60 बच्चे हैं। भवन की स्थिति को देखते हुए अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल में हादसे के डर से भेजने से कतरा रहे हैं। इससे इस साल स्कूल में छात्र-छात्राओं के नामांकन में भी कमी आई है।
वेद सिंह बताते हैं, “आजतक विद्यालय की चाहरदिवारी तक नहीं बन पायी है, इससे रात में यहां पर छुट्टा जानवर अपना ठिकाना बना लेते हैं, सुबह आओ तो चारों तरफ गोबर ही गोबर दिखता है। यहां तक की कमरों में दरवाजे नहीं हैं, उसे भी जानवर गंदा कर देते हैं।” सहायक अध्यापक प्रदीप कुमार कहते हैं, “अभिभावक भी अपने बच्चों को स्कूल में नहीं भेजना चाहते हैं, कहते हैं कि अगर कुछ हो जाएगा तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। स्कूल में कोई व्यवस्था ही नहीं है।”
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क