डिजिटल इंडिया की राह में अड़ंगा: हाथों की लकीरें मिटने से आधार के लिए भटक रहे बुज़ुर्ग
Meenal Tingal | Feb 06, 2017, 19:20 IST
सव्यं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। विटोली छोटा लोध (78 वर्ष) को इस बार पेंशन रुकने का डर सता रहा है। पेंशन पाने के लिए आधार नंबर जरूरी हो गया है, और विटोली का आधार इसलिए नहीं बन पा रहा क्योंकि उनके हाथ की लकीरें घिस गई हैं।
“इस बार हमारी पेंशन रोक दी जाएगी यह सोच-सोच के रात-रात भर नींद नहीं आती। कई बार कैंप में गए, लेकिन आधार नहीं बन पाया। क्योंकि मेरे हाथों की लकीरें मिट चुकी हैं।” लखनऊ के बख्शी का तालाब ब्लॉक के सोनवां गाँव में रहने वाले विटोली लोध बताते हैं।
बुजुर्गों को हाथ की लकीरें मिटने, आंख ठीक से काम न करने, एक उंगली न होने जैसी समस्याओं से अधार बनवाने के लिए उन्हें दर-दर भटकना पड़कना पड़ रहा है। जबकि नियमानुसार आधार बनवाने पर हाथों की दसों उंगलियों और हथेलियों की रेखाओं के साथ आंखों के रेटीना की फोटो ली जाती है, जिससे हर व्यक्ति की अपनी अलग पहचान निर्धारित होती है।
मोहित गर्ग, कार्वी संस्था
गाँवों में बुजुर्गों को परेशानी इसलिए भी हो रही है क्योंकि उन्हें इस स्थिति में आधार कैसे बनेगा इसकी पूरी जानकारी कैंप में नहीं दी जा रही है। जबकि केन्द्र सरकार का दावा है कि देश में करीब एक अरब लोगों के अधार जारी हो चुके हैं।
लखनऊ में ठाकुरगंज में रहने वाली मंजू (75 वर्ष) कहती हैं “मेरे चेहरे पर कुछ समय पहले फालिज का असर था, इससे मेरे चेहरे का एक हिस्सा कांपता सा है, कहा जा रहा है कि आपकी आंख पूरी तरह से खुल नहीं रही। आधार कार्ड के लिए मैं पिछले एक वर्ष से कई कैपों में जा चुकी हूं लेकिन अब तक नहीं बन सका। बैंक में भी आधार कार्ड मांगा जा रहा है।” बैंकिंग, पेंशन, राशन कार्ड, गैस कनेक्शन, रेलवे, पासपोर्ट, जैसी हर ज़रूरी सेवाओं के लिए पहचान और पते के प्रमाण पत्र के रूप में अधार ज़रूरी हो गया है। सोनवां गाँव की बुजुर्ग सावित्री देवी (70 वर्ष) परेशान होकर कहती हैं, “सरकार को यदि आधार कार्ड इतना जरूरी लगता है तो वह बुजुर्ग लोगों के लिए अलग से व्यवस्था बनाये और कर्मचारियों को बुजुर्ग लोगों के आधार कार्ड बनाने के लिए उनके घरों में भेजे।”
वहीं, कन्नौज के गुरसहायगंज के आजादनगर निवासी रामनाब शर्मा (80 वर्ष) बताते हैं “मैं इस उम्र में ठीक से चल भी नहीं पाता हूं, किसी का सहारा लेकर आधार बनवाने कई कैंपों में जा चुका हूं। लेकिन अब तक आधार कार्ड नहीं बन सका है,” आगे बताते हैं, “कैंप में कहा जाता है मशीन में हाथ की रेखाएं दिखायी नहीं दे रही हैं। इस कारण अब तक आधार कार्ड नहीं बन सका। परेशान हूं क्योंकि पेंशन पाने के लिए आधार कार्ड का लिंक करवाना जरूरी है।”
आधार कार्ड भारतीय सरकार द्वारा दिया गया ऐसा पहचान पत्र है जिसमे 12 अंकों का विशेष नंबर दिया जाता है जिसमें व्यक्ति से जुड़ी पूरी जानकारी एक ही कार्ड के जरिये मिल सकती है। इसमें आपका नाम, पता, उम्र, जन्म दिनांक, बैंक की जानकारी, कोड, पैन नंबर की जानकारी के साथ-साथ आपकी उंगलियों की निशानी, आपकी फोटो और आंखों की स्कैनिंग भी की जाती है। यह एक विशेष आइडेंटिटी कार्ड है जिसमें सरकार द्वारा आपका नाम ढूंढते ही आपके बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिल सकेगी।
This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).
लखनऊ। विटोली छोटा लोध (78 वर्ष) को इस बार पेंशन रुकने का डर सता रहा है। पेंशन पाने के लिए आधार नंबर जरूरी हो गया है, और विटोली का आधार इसलिए नहीं बन पा रहा क्योंकि उनके हाथ की लकीरें घिस गई हैं।
“इस बार हमारी पेंशन रोक दी जाएगी यह सोच-सोच के रात-रात भर नींद नहीं आती। कई बार कैंप में गए, लेकिन आधार नहीं बन पाया। क्योंकि मेरे हाथों की लकीरें मिट चुकी हैं।” लखनऊ के बख्शी का तालाब ब्लॉक के सोनवां गाँव में रहने वाले विटोली लोध बताते हैं।
बुजुर्गों को हाथ की लकीरें मिटने, आंख ठीक से काम न करने, एक उंगली न होने जैसी समस्याओं से अधार बनवाने के लिए उन्हें दर-दर भटकना पड़कना पड़ रहा है। जबकि नियमानुसार आधार बनवाने पर हाथों की दसों उंगलियों और हथेलियों की रेखाओं के साथ आंखों के रेटीना की फोटो ली जाती है, जिससे हर व्यक्ति की अपनी अलग पहचान निर्धारित होती है।
जिनके हाथों और उंगलियों की रेखाएं मशीन में नहीं आ रही हैं या आंखों के रेटिना मैच नहीं हो पा रहे हैं उनके लिए कार्वी के मुख्यालय आने की जरूरत होगी। ऐसी स्थिति में सुपरवाइजर की आईडी से आधार कार्ड बनवाया जाता है।
गाँवों में बुजुर्गों को परेशानी इसलिए भी हो रही है क्योंकि उन्हें इस स्थिति में आधार कैसे बनेगा इसकी पूरी जानकारी कैंप में नहीं दी जा रही है। जबकि केन्द्र सरकार का दावा है कि देश में करीब एक अरब लोगों के अधार जारी हो चुके हैं।
लखनऊ में ठाकुरगंज में रहने वाली मंजू (75 वर्ष) कहती हैं “मेरे चेहरे पर कुछ समय पहले फालिज का असर था, इससे मेरे चेहरे का एक हिस्सा कांपता सा है, कहा जा रहा है कि आपकी आंख पूरी तरह से खुल नहीं रही। आधार कार्ड के लिए मैं पिछले एक वर्ष से कई कैपों में जा चुकी हूं लेकिन अब तक नहीं बन सका। बैंक में भी आधार कार्ड मांगा जा रहा है।” बैंकिंग, पेंशन, राशन कार्ड, गैस कनेक्शन, रेलवे, पासपोर्ट, जैसी हर ज़रूरी सेवाओं के लिए पहचान और पते के प्रमाण पत्र के रूप में अधार ज़रूरी हो गया है। सोनवां गाँव की बुजुर्ग सावित्री देवी (70 वर्ष) परेशान होकर कहती हैं, “सरकार को यदि आधार कार्ड इतना जरूरी लगता है तो वह बुजुर्ग लोगों के लिए अलग से व्यवस्था बनाये और कर्मचारियों को बुजुर्ग लोगों के आधार कार्ड बनाने के लिए उनके घरों में भेजे।”
वहीं, कन्नौज के गुरसहायगंज के आजादनगर निवासी रामनाब शर्मा (80 वर्ष) बताते हैं “मैं इस उम्र में ठीक से चल भी नहीं पाता हूं, किसी का सहारा लेकर आधार बनवाने कई कैंपों में जा चुका हूं। लेकिन अब तक आधार कार्ड नहीं बन सका है,” आगे बताते हैं, “कैंप में कहा जाता है मशीन में हाथ की रेखाएं दिखायी नहीं दे रही हैं। इस कारण अब तक आधार कार्ड नहीं बन सका। परेशान हूं क्योंकि पेंशन पाने के लिए आधार कार्ड का लिंक करवाना जरूरी है।”
क्यों जरूरी है आधार?
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