गन्ने की खेती से थे परेशान, अब बहुफसलीय खेती से कमा रहे मुनाफा

Chandrakant Mishra | Sep 15, 2018, 09:04 IST

गन्ने के समय पर भुगतान न होने पर परेशान किसान ने शुरू की सब्जी की खेती। हर साल कमा रहा लाखों रुपए। एक साथ उगाता है कई प्रकार की सब्जियां

गोंडा। "गन्ने का समय पर भुगतान होता नहीं है। जब रुपयों की जरुरत होती है तब पैसा मिलते नहीं है। इस समस्या को दूर करने के लिए मैंने सब्जी की खेती शुरू की। अब मुझे रुपयों के लिए रुपयों के लिए भटकना नहीं पड़ता है।" ये कहना है सब्जी की खेती करने वाले किसान दिनेश सिंह का।

विकासखंड वजीरगंज के गांव चंदापुर निवासी किसान दिनेश सिंह (55वर्ष) पहले गन्ने की खेती करते थे। लेकिन गन्ना मिल द्वारा समय पर भुगतान नहीं होने पर दिनेश को काफी परेशानी होती थी। इस परेशानी को दूर करने के लिए दिनेश ने नया राश्ता निकाला। अब वे अपने खेत में सिर्फ गन्ना नहीं सब्जी भी उगाते हैं। इससे इन्हें जब रुपयों को जरुरत होती है सब्जी बेचकर रुपए पा लेते हैं। सब्जी की खेती से हुए मुनाफे से दिनेश वाहन और कई सारे पशु खरीद चुके हैं।

पढ़िए कैसे सब्जियों की खेती से मुनाफा कमा रहे हैं ये किसान

दिनेश सिंह ने बताया, " मेरे पास 40 एकड़ खेत है। पहले में पूरे में गन्ने की खेती करता था। इससे मुझे काफी मुनाफा भी होता था, लेकिन एक बड़ी समस्या भुगतान की थी। समय से हमें पैसा नहीं मिलता था। इससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। फिर मैंने कुछ खेत में सब्जी की खेती शुरू की। इससे मुझे हर सप्ताह रुपए मिलने लगा। सब्जी में मुनाफा भी अच्छा होता था। धीरे-धीरे मैंने सब्जी की खेती का रकबा बढ़ाने लगा। आज मैं सात एकड़ में सब्जी की खेती करता हूं।"



एक साथ उगाते हैं कई प्रकार की सब्जी

दिनेश सिंह बहुफसली खेती करते हैं। दिनेश ने बताया, मैं अपनी खेत में वैज्ञानिक विधि से खेती कर अच्छा कमा लेता हूं। एक साथ टमाटर, कददू, तोरई, लौकी और परवल की फसलें तैयार करता हूं। सबसे ज्यादा ध्यान परवल पर होता है। इन सभी सब्जियों से मैं एक साल में करबी पांच लाख रुपए कमा लेता हूं। मैं अपनी सब्जियों को पास के सब्जी बाजार वजीरगंज में बेचने ले जाता हूं। ज्यादातर छोटे व्यापारी खेत पर आकर सब्जी खरीद लेते हैं। इससे बाजार ले जाने की लागत भी बच जाती है। आने वाले समय में सब्जी की खेती का रकबा बढ़ाने पर जोर रहेगा। "

खेत उगलेंगे सोना, अगर किसान मान लें ' धरती पुत्र ' की ये 5 बातें

जैविक खाद का करते हैं प्रयोग

आजकल जैविक खाद का प्रयोग ज्यादा होने लगा। दिनेश भी अपने खेत में जैविक खाद का प्रयोग करते हैं। दिनेश की डेयरी में करीब आठ पशु हैं। उससे निकलने वाले गोबर का वे खुद जैविक खाद बनाते हैं। दिनेश ने बताया," रासायनिक खाद का मैं बहुत कम प्रयोग करता हूं। सब्जी में मैं ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद का ही प्रयोग करता हूं। इससे मेरी फसल अच्छी होती है। उत्पादन भी ज्यादा होता है। जैविक होने के नाते मेरे उत्पाद का दाम भी अच्छा मिलता है। " दिनेश ने अपने खेत में स्प्रिंकलर भी लगवा रखा है। सिंचाई के लिए सोलर प्लांट भी है। इससे खेत की सिंचाई के साथ-साथ घर में बिजली के उपकरण भी चलाते हैं।



मुनाफे से खरीदा 22 एकड़ खेत

आज दिनेश की पहचान अपने क्षेत्र में एक सफल किसान के रूप में हैं। दिनेश खेती से कमाए मुनाफे से दिनेश 22 एकड़ खेत भी खरीद चुके हैं। दिनेश के बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे हैं। दिनेश ने बताया, " मैं सिर्फ खेती करता हूं। खेती से कमाए मुनाफे से घर चलता है। खेती से मुझे काफी मुनाफा होता है। इसी से कमाए रुपयों से मैंने घर वनवाया, ट्रैक्टर और कार खरीदी। आज मेरे बच्चे लखनऊ में अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे हैं।"

वेस्ट डी कम्पोजर की 20 रुपए वाली शीशी से किसानों का कितना फायदा, पूरी जानकारी यहां पढ़िए

गांव के कई किसानों को किया प्रेरित

दिनेश को देखकर आज गांव के कई किसान सब्जी की खेती करने लगे हैं और मुनाफा भी कमा रहे हैं। इसी गांव के रामकुमार निषाद भी अब सब्जी की खेती करते हैं। " रामकुमार बताते हैं, " गन्ने के भुगतान की समस्या किसी से छिपी नहीं है। अपने ही रुपयों के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में दिनेश भाई को देखकर मैं भी सब्जी की खेती करता हूं। अब रुपयों की समस्या नहीं है। हर सप्ताह सब्जी तैयार हो जाती है। सब्जी बेचकर रुपये मिल जाते हैं। मैं तीन बीघे में सब्जी की खेती करता हूं। इस समय परवल और करेला लगा हुआ है।"

इसी गांव के केशव राम भी सब्जी उगाने लगे हैं। केशव ने बताया, " सब्जी की खेती बहुत आसान है। कम समय में मुनाफा ज्यादा होता है। हम लोगों का सब्जी का खर्चा भी बच जाता है। अब मैं सिर्फ सब्जी की ही खेती करता हूं। "

सतावर, एलोवेरा, तुलसी और मेंथा खरीदने वाली कम्पनियों और कारोबारियों के नाम और नंबर

Tags:
  • sugarcane farmers
  • sugarcane
  • leaving sugarcane farming