आईएसआई के कॉल से बचने के लिए छोटे स्तर के कर्मचारियों को किया जायेगा ट्रेंड

गाँव कनेक्शन | Aug 08, 2017, 18:45 IST
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लखनऊ। यूपी एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड) ने झांसी जिले के एडीएम कार्यालय में तैनात स्टेनो द्धारा सेना की गोपनीय सूचना एक अंजान शख्स को देने के मामले में प्रदेश के सभी सरकारी विभागों में एक एडवाइजरी जारी करने जा रही है, जहां कर्मचारियों को इस बात की ट्रेनिंग दी जायेगी, जिससे वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के जाल में न फंस सके। इसकी कवायद शुरू करने के पीछे एटीएस का मकसद केवल कर्मचारियों को फेक कॉल से बचाना है।

आईजी असीम अरुण ने बताया, झांसी के एडीएम कार्यालय में तैनात स्टेनो राघवेंद्र आईएसआई के इंटरनेट कॉल के जाल में फंस गया, जिसके चलते उसने सेना से जुड़ी खुफिया सूचना एक कथित सेना के मेजर यादव नाम के शख्स को दे दिया था। यह कार्य स्टेनो 2009 से कर रहा था, लेकिन उसे इस बात का बिल्कुल अंदाजा न था कि, जिसे वह यह जानकारी दे रहा है वह आईएसआई के लोग हैं।

इसके बाद एटीएस ने भविष्य में किसी विभाग के अन्य कर्मचारियों से गलती न हो जाये। इसे लेकर एटीएस ने प्रदेश के कुछ विभागों में एक एडवाइजरी जारी कर उन्हें ट्रेनिंग देने की योजना बनाई है। इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में कर्मचारियों को सिखाया जायेगा कि, वह कैसे फेंक कॉल से बचे और कोई गोपनीय सूचना बगैर उच्चाधिकारियों को सूचित किए अंजान शख्स को न दे। ज्यादातर मामलों में छोटे कर्मचारी बड़े अधिकारी के नाम से फोन कॉल आने पर अर्दब में आ जाते हैं और इससे संबंधित जानकारी लेने तक की जहमत नहीं उठाते है, जिसके चलते देश विरोधी कार्य में लगे लोग अपने मकसद में कामयाब हो जाते हैं। वहीं एसटीएस झांसी कार्यालय में 2009 में तैनात एसडीएम, जो मौजूदा समय में पूर्वांचल के किसी जनपद में तैनात हैं, उनसे पूछताछ करेगी।

क्योंकि राघवेंद्र ने पूछताछ में बताया कि, उसने 2009 में फोन कॉल की सूचना एसडीएम को दे दी थी और उनके आदेश के बाद ही उसने सेना की गोपनीय सूचना अंजान शख्स को फोन पर दी थी। राघवेंद्र के इस बयान के बाद एटीएस टीम एसडीएम से जल्द पूछताछ कर मामले की जानकारी एकत्र करेगी। ज्ञात है कि, यूपी एटीएस ने बीते दिनों झांसी जिले के एडीएम न्याय के कार्यालय से राघवेंद्र नाम के स्टेनो को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी के आरोप में हिरासत में लिया था। एटीएस की पूछताछ में सामने आया कि, स्टेनो राघवेंद्र को नौ डिजिट के मोबाइल नम्बर से 2009 से फोन आता था और फोन करने वाला शख्स खुद को आर्मी का मेजर बताता था, जिसे राघवेंद्र सेना से जुड़ी जानकारियां दे दिया करता था। इस जानकारी के बाद एटीएस ने सेना से पूरी जांच साझा की है और यादव नाम के अज्ञात शख्स की तलाश में जुट गई है।

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