यूपी बजट 2018-19 : मत्स्य विभाग के लिए 45 करोड़ रुपए, लेकिन क्या इससे मछली पालकों को फायदा होगा ?

Mithilesh Dhar | Feb 16, 2018, 18:56 IST
Fisheries
योगी सरकार ने आज अपना दूसरा बजट पेश किया। वैसे उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने बजट पेश करने से पहले कहा कि ये बजट कृषि, पशुधन और उद्वोग के लिए है। किसानों के लिए भी कई घोषणाएं की गयीं। पशुपालन और मत्स्य पालन के लिए विशेष व्यवस्था की गयी है। लेकिन इसकी वास्तविक स्थिति क्या है। क्या सच में किसानों को इन घोषणाओं से फायदा होने वाला है।

योगी सरकार ने बजट 2018-19 में मत्स्य पालक कल्याण फंड की स्थापना के लिए 25 करोड़ रुपए प्रस्तावित किया है। साथ ही ब्लू रिवोल्यूशन इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट फॉर फिशरिज योजना के अंतर्गत 20 करोड़ रुपए की धनराशि प्रस्तावित की गयी है। इस बजट से ऐसा दिखाया जा रहा है कि प्रदेश सरकार मत्स्य पालन को बढ़ावा देना चाहती है, तो फिर मत्सय पालकों को कृषि किसानों का दर्जा क्यों नहीं दिया गया ? बिजली की बढ़ी हुई कीमतें जो मार्च में लागू हो जाएंगी उसकी जद में आने वाले मछलीपालकों को क्या मिलेगा ?

जौनपुर में लगभग 4 एकड़ में मछली पालन कर रहे मछली पालक पिंटू पटेल कहते हैं "बजट में मैंने भी सुना कि सरकार ने मछली पालन और पालकों के लिए घोषणाएं की हैं, लेकिन उससे हमें ज्यादा फायदा नहीं होना वाला है। हम किसान तो हैं नहीं हैं। मार्च से बिजली की दरें बढ़ने वाली हैं। अपने तालाब में मैं अपने निजी नलकूप से पानी भरता हूं। बिजली की दरें बढ़ने से हमारी लागत बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी। हम तो यहीं राहत की उम्मीद कर रहे थे।"

प्रदेश में मछली पालन को बढ़ावा नहीं मिल रहा। वर्तमान में स्थिति यह है कि उत्तर प्रदेश अपनी जरूरत का 60 फीसदी दूसरे राज्यों से मंगा रहा है। उत्तर प्रदेश मत्स्य विभाग के अनुसार प्रदेश में सालाना 150 लाख टन मछली की जरुरत पड़ती है, जबकि प्रदेश में कुल उत्पादन मात्र 45 लाख टन ही हो रहा है। एक अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 54 प्रतिशत लोग मांसाहारी हैं और सालाना प्रति व्यक्ति यहां 15 किलोग्राम मछली की आवश्यकता है। इसी को देखते हुए सरकार मत्स्य विभाग के लिए विशेष प्रावधान किया है, लेकिन इससे बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है।

झांसी जिले के गुलाब सिंह पिछले कई वर्षों से मछली पालन कर रहे हैं। बिजली की दरें बढ़ने से होने वाली परेशानी के बारे में गुलाब बताते हैं, " बुंदेलखंड एक ऐसा क्षेत्र है जहां पानी की सबसे ज्यादा दिक्कत रहती है। हम किसानों को सिंचाई के लिए पूरी तरह से बिजली से चलने वाले नलकूपों से ही पानी मिल पाता है। अभी महीने का 60 हजार बिल देना पड़ता है आैर अब दरें बढ़ने से और खर्चा बढ़ेगा।" गुलाब सिंह ने लगभग पांच एकड़ में तालाब बनाए हुआ है, जिसमें सलाना 15 लाख मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं।

पिंटू पटेल अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, "पानी का स्तर भी हमारे यहां बहुत नीचे है। इस कारण दो-तीन घंटे दो सिंचाई करने में लग ही जाता है। अब और ज्यादा बिल जमा करना होगा। किसान का दर्जा मिला होता तो थोड़ी राहत हो सकती थी।"

ग्रामीण इलाकों की बात करे तो उत्तर प्रदेश मार्च से 400 रुपए प्रति किलोवाट की दर निर्धारित कर दी गई है। ग्रामीणों को 150 से 300 यूनिट बिजली 4.50 रुपए प्रतियूनिट की दर में मिलेगी। ग्रामीण उपभोक्ताओं को 50 रुपए का फिक्स चार्ज निर्धारित किया गया है। इसके अलावा ग्रामीण उपभोक्ताओं को पहली 100 यूनिट बिजली 3 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से मिलेगी। वहीं 100 से 150 यूनिट बिजली 3.50 रुपए में मिलेगी।

इस बार का बजट बहुत अच्छा है। मत्स्य पालक कल्याण फंड से मत्स्य पालकों और उनके परिवार को बहुत लाभ मिलेगा। रही बात मत्स्य पालकों को कृषि लाभ दिलाने का मामला विभागों के पास है। सरकार ने तो इस पर विचार करने को कहा है। बिजली विभाग को इस पर विचार करना चाहिए। हमने अपनी ओर से तो प्रस्ताव भेजा है।
डॉ हरेंद्र प्रसाद, सहायक निदेशक, मत्स्य निदेशालय, उत्तर प्रदेश

राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के अनुसार उत्तर प्रदेश में एक लाख 73 हजार हेक्टेयर में तालाब, एक लाख 56 हजार हेक्टेयर में जलाशय, एक लाख 33 हजार में झील और 28500 किलोमीटर लंबी नदियां हैं। इसके बाद भी यहां पर 50 प्रतिशत उपलब्ध संसधान में ही मछली पालन किया जाता है। यही वजह है कि प्रदेश में जितना मछली का उत्पादन होना चाहिए नहीं हो रहा है।

बाराबंकी जिले के गंगवारा गाँव के मछली पालन कर रहे मो. आसिफ बताते हैं, "कितना भी बिजली बचाओ लेकिन मछली पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें बिजली का खर्चा बढ़ ही जाता है। हमको महीनें का 50 हजार से ज्यादा बिल जमा करना पड़ता है। अब दरें से और बिल बढ़ेगा।"

भारत में मत्स्य पालन तेजी से बढ़ रहा है। पिछले तीन वर्षों में मछली उत्पादन में 18.86 प्रतिशत की वृद्वि हुई इसके साथ ही स्थलीय मात्स्यिकी क्षेत्र में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई। देश में चल रही नीली क्रांति योजना के तहत वर्ष 2022 तक 15 मिलियन टन तक पहुंचाना है। भारत में देश के लाखों लोग अपनी आजीविका के लिए मछली पालन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। सभी प्रकार के मछली पालन (कैप्चर एवं कल्चर) के उत्पादन को साथ मिलाकर 2016-17 में देश में कुल मछली उत्पादन 11.41 मिलियन तक पहुंच गया है।

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले एक दशक में जहां दुनिया में मछली और मत्स्य उत्पादों की औसत वार्षिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत दर्ज की गई वहीं भारत 14.8 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर के साथ पहले स्थान पर रहा। विश्व की 25 प्रतिशत से अधिक प्रोटीन आहार मछली द्वारा किया जाता है और मानव आबादी प्रतिवर्ष 100 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक मछली को खाद्य के रूप में उपभोग करती है।

पशुपालन डेयरी एवं मत्स्य मंत्रालय भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार मात्सियकी से 14.5 मिलियन व्यक्तियों को आजीविका मिलती है। इसके साथ ही 1.1 मिलियन से अधिक किसान जल कृषि के माध्यम से लाभ उठाते हैं।

Tags:
  • Fisheries
  • Uttar Pradesh Budget 2018-19

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.