Weather Update: उत्तर प्रदेश में अगले कुछ दिनों तक रहेगा घना कोहरा, किसानों के लिए ज़रूरी सलाह
Divendra Singh | Dec 26, 2025, 17:42 IST
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उत्तर प्रदेश में सर्दी का असर तेज़ हो गया है। मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी और पूर्वी यूपी में अगले कुछ दिनों तक घना से अत्यंत घना कोहरा छाया रह सकता है। तराई जिलों में इसका असर सबसे ज़्यादा रहेगा, जिससे तापमान गिरने के साथ शीत दिवस और भीषण शीत दिवस की स्थिति बन सकती है। मौसम वैज्ञानिकों ने रबी फसलों को लेकर किसानों के लिए विशेष सलाह भी जारी की है।
<p>मौसम विभाग का कहना है कि उत्तर प्रदेश के तराई और उत्तरी जिले इस कोहरे से सबसे अधिक प्रभावित होंगे।<br></p>
उत्तर प्रदेश में सर्दी का असर तेज़ होता जा रहा है। मौसम विभाग के ताज़ा पूर्वानुमान के अनुसार राज्य के पश्चिमी और पूर्वी दोनों हिस्सों में घना से अत्यंत घना कोहरा छाए रहने की संभावना है। यह स्थिति अगले चार से पाँच दिनों तक बनी रह सकती है। इसके बाद कोहरे से कुछ राहत मिलेगी, लेकिन पूरी तरह साफ़ मौसम की उम्मीद फिलहाल नहीं है।
मौसम वैज्ञानिक मनीष रनाल्कर के अनुसार, यह स्थिति उत्तर भारत के विंटर सीजन में सामान्य मानी जाती है। सर्दियों में वातावरण स्थिर (स्टेबल) हो जाता है, जिससे नमी नीचे ही फँसी रहती है और कोहरा या स्मॉग लंबे समय तक बना रहता है। यही वजह है कि उत्तर भारतीय मैदानी इलाकों में दिसंबर और जनवरी के दौरान कोहरा लगभग हर साल देखने को मिलता है।
मौसम विभाग का कहना है कि उत्तर प्रदेश के तराई और उत्तरी जिले इस कोहरे से सबसे अधिक प्रभावित होंगे। हालांकि निचले और मध्य जिलों में भी रात और सुबह के शुरुआती घंटों में कोहरा घना या अत्यंत घना रह सकता है। दृश्यता कम होने से सड़क और रेल यातायात पर भी असर पड़ सकता है।
कोहरे के साथ-साथ तापमान में गिरावट भी चिंता का कारण बन रही है। अगर दिन में धूप निकल आती है तो कोहरा छँट जाता है और तापमान में थोड़ी बढ़ोतरी होती है, लेकिन घना कोहरा देर तक टिके रहने की स्थिति में तापमान और गिर सकता है। इसी वजह से आने वाले दिनों में कुछ जिलों में “शीत दिवस” और “भीषण शीत दिवस” की स्थिति बनने का अनुमान है।
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक दिसंबर और जनवरी उत्तर प्रदेश में सबसे ठंडे महीने होते हैं। न्यूनतम तापमान फिलहाल 6 से 8 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है और इसमें अगले कुछ हफ्तों में बहुत बड़े बदलाव की संभावना नहीं है।
जनवरी में भी ठंड और कोहरे का सिलसिला जारी रहेगा, हालांकि कोहरे की घनता में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। फरवरी के बाद धीरे-धीरे तापमान बढ़ेगा और मार्च आते-आते मौसम में बदलाव महसूस होने लगेगा।
मौसम विभाग और कृषि विश्वविद्यालयों ने मौजूदा हालात को देखते हुए रबी फसलों के लिए विशेष एग्रो-एडवाइजरी जारी की है।
गेहूं
दिसंबर के महीने में गेहूं की बुवाई पूरी कर लेने की सलाह दी गई है।
ठंड गेहूं के लिए अनुकूल मानी जाती है, लेकिन अत्यधिक नमी और लंबे समय तक कोहरा नुकसानदेह हो सकता है।
सरसों और मक्का
कोहरे और शुष्क मौसम के कारण सरसों और मक्का में सुरंगक कीट (लीफ माइनर) का खतरा बढ़ जाता है।
वैज्ञानिक सलाह के अनुसार कीटनाशकों का छिड़काव समय पर करना ज़रूरी है।
आलू की फसल
आलू की बुवाई जारी रखी जा सकती है।
जिन किसानों ने अगेती आलू की बुवाई कर रखी है, उन्हें सिंचाई में थोड़ी देरी करने की सलाह दी गई है, क्योंकि ठंड और कोहरे के कारण वातावरण में पहले से नमी मौजूद रहती है।
कई इलाकों में किसान पाले से बचाव के लिए खेतों के किनारे आग जलाने का देसी उपाय अपनाते हैं, लेकिन मौसम वैज्ञानिक इसे साफ़ तौर पर गलत और खतरनाक बताते हैं।
मनीष रनाल्कर के अनुसार, आग जलाने से निकलने वाला धुआँ कोहरे के साथ मिलकर स्मॉग बना देता है। इससे कोहरा जल्दी छँटता नहीं, बल्कि और ज़्यादा देर तक टिकता है। साथ ही यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है। इसलिए खेतों में आग जलाना पाले से बचाव का उपाय नहीं, बल्कि एक मिथक है।
मौसम विभाग के अनुसार, जनवरी और फरवरी तक सर्दी का असर बना रहेगा। यही समय न्यूनतम तापमान के लिहाज़ से सबसे संवेदनशील होता है। फरवरी के बाद धीरे-धीरे मौसम में बदलाव आएगा, कोहरे की घनता कम होगी और तापमान में बढ़ोतरी शुरू होगी।
फिलहाल किसानों और आम लोगों को सलाह दी गई है कि वे मौसम पूर्वानुमान पर नज़र रखें, कृषि सलाहों का पालन करें और कोहरे के दौरान यात्रा में अतिरिक्त सावधानी बरतें।
मौसम वैज्ञानिक मनीष रनाल्कर के अनुसार, यह स्थिति उत्तर भारत के विंटर सीजन में सामान्य मानी जाती है। सर्दियों में वातावरण स्थिर (स्टेबल) हो जाता है, जिससे नमी नीचे ही फँसी रहती है और कोहरा या स्मॉग लंबे समय तक बना रहता है। यही वजह है कि उत्तर भारतीय मैदानी इलाकों में दिसंबर और जनवरी के दौरान कोहरा लगभग हर साल देखने को मिलता है।
तराई ज़िलों में सबसे अधिक असर
कोहरे के साथ-साथ तापमान में गिरावट भी चिंता का कारण बन रही है। अगर दिन में धूप निकल आती है तो कोहरा छँट जाता है और तापमान में थोड़ी बढ़ोतरी होती है, लेकिन घना कोहरा देर तक टिके रहने की स्थिति में तापमान और गिर सकता है। इसी वजह से आने वाले दिनों में कुछ जिलों में “शीत दिवस” और “भीषण शीत दिवस” की स्थिति बनने का अनुमान है।
जनवरी तक जारी रहेगी ठंड और कोहरे की मार
Image credit : Gaon Connection Network, Divendra Singh
जनवरी में भी ठंड और कोहरे का सिलसिला जारी रहेगा, हालांकि कोहरे की घनता में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। फरवरी के बाद धीरे-धीरे तापमान बढ़ेगा और मार्च आते-आते मौसम में बदलाव महसूस होने लगेगा।
रबी फसलों के लिए मौसम विभाग की सलाह
गेहूं
दिसंबर के महीने में गेहूं की बुवाई पूरी कर लेने की सलाह दी गई है।
ठंड गेहूं के लिए अनुकूल मानी जाती है, लेकिन अत्यधिक नमी और लंबे समय तक कोहरा नुकसानदेह हो सकता है।
सरसों और मक्का
कोहरे और शुष्क मौसम के कारण सरसों और मक्का में सुरंगक कीट (लीफ माइनर) का खतरा बढ़ जाता है।
वैज्ञानिक सलाह के अनुसार कीटनाशकों का छिड़काव समय पर करना ज़रूरी है।
आलू की फसल
आलू की बुवाई जारी रखी जा सकती है।
जिन किसानों ने अगेती आलू की बुवाई कर रखी है, उन्हें सिंचाई में थोड़ी देरी करने की सलाह दी गई है, क्योंकि ठंड और कोहरे के कारण वातावरण में पहले से नमी मौजूद रहती है।
पाले से बचाव को लेकर फैले भ्रम
मनीष रनाल्कर के अनुसार, आग जलाने से निकलने वाला धुआँ कोहरे के साथ मिलकर स्मॉग बना देता है। इससे कोहरा जल्दी छँटता नहीं, बल्कि और ज़्यादा देर तक टिकता है। साथ ही यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है। इसलिए खेतों में आग जलाना पाले से बचाव का उपाय नहीं, बल्कि एक मिथक है।
आगे कैसा रहेगा मौसम?
फिलहाल किसानों और आम लोगों को सलाह दी गई है कि वे मौसम पूर्वानुमान पर नज़र रखें, कृषि सलाहों का पालन करें और कोहरे के दौरान यात्रा में अतिरिक्त सावधानी बरतें।